
राष्ट्रीय राजधानी में मौजूद नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) में भारत रंग महोत्सव के आयोजन के दौरान जब भिखारी ठाकुर के नाटक 'बिदेसिया' का मंचन हुआ तो इसने काम के सिलसिले में परदेस जाने वाले प्रवासी मजदूरों का दर्द छलका दिया.
'भोजपुरी के शेक्सपियर' कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर के प्रसिद्ध नाटक 'बिदेसिया' का मंचन पहली बार 1912 में हुआ था. एनएसडी में 28 जनवरी से 16 फरवरी के बीच होने वाले भारत रंग महोत्सव में भी इस नाटक का मंचन हुआ.
यह कहानी बिहार के एक नौजवान की जि़न्दगी पर आधारित है, जो अपने नवविवाहित जीवन में अपनी पत्नी के साथ बेहद खुश होता है. लेकिन गांव में रोज़गार की कमी उसे निरंतर चिंतित रखती है. आखिरकार उसे भी अपने प्रेम से बिछोह का दंश झेलना पड़ता है और गांव के अन्य पुरुषों की तरह पैसे कमाने के लिए घर से दूर शहर का रुख करना पड़ता है.
यह प्ले प्रवासी मजदूरों के हालात और मुश्किलों को बहुत अच्छी तरह प्रदर्शित करता है. भारत रंग महोत्सव में हर दिन इस तरह के कई नाटकों का मंचन हो रहा है.
कई नाटकों का हो रहा मंचन
एनएसडी के छात्रों के उत्सव अद्वितीय के दूसरे दिन दो प्रभावशाली स्ट्रीट प्ले दिखाए गए. 'अनदेखी अनसुनी' नाम के प्ले का मंचन देशबंधु कॉलेज ने किया, जो विकलांग व्यक्तियों के संघर्ष पर रोशनी डालता है. दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी ने 'ख्वाहिश-ए-नूर' नाम के प्ले का मंचन किया.
अद्वितीय के ओपन स्टेज पर भी कई खूब प्रदर्शन देखे गए. इसमें स्टैंड-अप कॉमेडी, एकल शास्त्रीय नृत्य और समूह शास्त्रीय नृत्य देखने को मिले. इस कार्यक्रम का समापन एनएसडी के रजिस्ट्रार प्रदीप के मोहंती ने प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट देकर किया. इससे उनके समर्पण और प्रदर्शन कला में उनके प्रतिभा की सराहना की गई.
इस बीच, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) और हाउसिंग एंड अर्बन डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (HUDCO) के बीच 'लोकरंगम' के लिए एक समझौता हुआ है. हुडको के क्षेत्रीय प्रमुख राजीव गर्ग और एनएसडी के निदेशक चित्तरंजन त्रिपाठी ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए. ‘लोकरंगम’ लोक और शास्त्रीय रंगमंच रूपों को समर्पित एक विशेष मंच है.
थिएटर एप्रिसिएशन कोर्स का उद्घाटन
भारत रंग महोत्सव 2025 के तहत एनएसडी ने थिएटर एप्रिशिएशन कोर्स (TAC) के 14वें संस्करण का उद्घाटन भी किया. इस उद्घाटन समारोह में एनएसडी के निदेशक चित्तरंजन त्रिपाठी, अकादमिक डीन शांतनु बोस और कोर्स क्यूरेटर अमितेश ग्रोवर मौजूद रहे. कोर्स के उद्घाटन के दौरान आसिफ अली हैदर ने नाटक लेखन, अनुवाद और रूपांतरण पर एक सेशन का नेतृत्व किया.
इस सेशन में स्क्रिप्ट डेवलपमेंट और मंच के लिए पाठों को बदलने पर चर्चा की गई. अजय कुमार ने ‘परफॉर्मर एज़ स्टोरीटेलर’ वर्कशॉप का संचालन किया. इस वर्कशॉप में आवाज, शारीरिक एक्सप्रेशन और एकल प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित किया गया. इन सत्रों ने प्रतिभागियों को रंगमंच लेखन और प्रदर्शन में जरूरी कौशल प्रदान किए.