
नेटफ्लिक्स पर हंसल मेहता की नई वेब सीरीज स्कूप न केवल पत्रकारों जिग्ना वोरा और ज्योतिर्मय डे के जीवन को पर्दे पर लाती है, बल्कि मुंबई के शीर्ष पुलिस अधिकारी हिमांशु रॉय के जीवन पर भी प्रकाश डालती है, जिन्होंने 2011 में जे डे हत्याकांड की जांच की अगुवाई की थी. OTT पर आई इस वेब सीरीज को दर्शकों का खूब प्यार मिल रहा है.
वेब सीरीज़ में उनकी भूमिका अभिनेता हरमन बावेजा ने निभाई है, जो ओटीटी पर काफी लंबे समय के बाद फिर से वापसी कर रहे हैं. इस सीरीज में हरमन बावेजा मूंछों और मस्कुलर बॉडी में नजर आ रहे हैं. हरमन ने जेसीपी श्रॉफ के रूप में मुंबई के शीर्ष पुलिस अधिकारी हिमांशु रॉय की भूमिका निभाई है.
हिमांशु रॉय कौन थे?
1988 बैच के आईपीएस अधिकारी हिमांशु रॉय ने 2010 से 2014 तक संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) के रूप में कार्य किया. रॉय ने उस समय कार्यभार संभाला था जब दाऊद इब्राहिम की डी कंपनी और छोटा राजन के गिरोह के गैंगस्टरों के बीच गैंगवार चल रही थी.
ज्वाइंट के रूप में अपने चार साल के कार्यकाल के दौरान, रॉय कुछ हाई-प्रोफाइल मामलों जैसे आईपीएल 2013 सट्टेबाजी कांड, लॉ ग्रेजुएट पल्लवी पुरकायस्थ की हत्या, एक आईएएस अधिकारी की बेटी और लैला खान और उनके पांच रिश्तेदारों की उनके फार्महाउस पर हत्या में शामिल थे.रॉय जे डे हत्याकांड को संभालते हैं. यह वही समय था जब रॉय को पत्रकार ज्योतिर्मय डे की हत्या का मामला सौंपा गया था, जिनकी 11 जून, 2011 को मुंबई के पवई इलाके में चार अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.
हालांकि यह शुरू से ही स्पष्ट था कि हत्या छोटा राजन गिरोह द्वारा जे डे के खिलाफ बदला लिया गया था, रॉय ने अकल्पनीय किया जब उन्होंने एक महिला पत्रकार, क्राइम रिपोर्टर जिग्ना वोरा पर भी हत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया. वोरा उस वक्त क्राइम रिपोर्टर थीं और एशियन एज अखबार में काम कर रहे थीं. जबकि जे डे मिड-डे टैबलॉयड के साथ थे. हैरानी की बात यह है कि पत्रकार वोरा के साथ कहानियों के लिए अहम जानकारी साझा करने वालों में हिमांशु रॉय भी थे. लेकिन बाद में उन्होंने छोटा राजन गिरोह के साथ कथित संबंधों के कारण पत्रकार वोरा पर भी उंगली उठाई. जिग्ना को 25 नवंबर, 2011 को इन आरोपों में गिरफ्तार किया गया था.
क्या था पूरा मामला?
हिमांशु रॉय मुंबई पुलिस के पहले जांचकर्ताओं में से एक थे जिन्होंने जे डे की हत्या में शामिल होने के लिए वोरा पर उंगली उठाई थी. रॉय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बयान दिया कि मुंबई पुलिस के पास वोरा के खिलाफ पुख्ता सबूत थे और पुलिस के पास वोरा और छोटा राजन के बीच 36 फोन रिकॉर्ड के ट्रांसक्रिप्ट थे.पीटीआई के अनुसार हिमांशु रॉय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुछ बातें कहीं. उन्होंने कहा,“जब उसे पहली बार पूछताछ के लिए बुलाया गया था, तो वह टालमटोल कर रही थी और उसने दावा किया कि उसने राजन से कभी बात नहीं की. जब उसे दूसरी बार कॉल किया गया, तो उससे उसके फोन रिकॉर्ड दिखाने के लिए कहा गया जिसके लिए वोरा ने मना कर दिया. इससे जांचकर्ताओं को उसके दावों पर संदेह हुआ क्योंकि उनके और राजन के बीच कई बार फोन पर बातचीत हुई थी.' हालांकि, चार्जशीट में राजन और जिग्ना वोरा के बीच हुई 36 फोन कॉल्स का कोई ट्रांसक्रिप्ट नहीं था और मुंबई पुलिस द्वारा वोरा के खिलाफ मामले को "कमजोर" माना गया था.
वोरा को 10 महीने की हिरासत के बाद जमानत दे दी गई थी, और 2018 में, एक हत्या के पक्ष में होने के आरोप के लगभग 7 साल बाद, उसे अदालत ने बरी कर दिया था.जिग्ना वोरा को 25 नवंबर, 2011 को गिरफ्तार किया गया था.