कई फिल्में दर्शकों के दिलों में इस कदर घर कर जाती हैं कि सालों बीत जाने के बाद भी उसके लीड एक्टर्स हमेशा उसी फिल्म के लिए याद किए जाते हैं. बॉलीवुड एक्ट्रेस जिविधा शर्मा के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ. जिविधा का होंठ के नीचे काला तिल और मासूमियत उस वक्त इतना चर्चा में आया कि वे रातों-रात मशहूर हो गईं.
फिल्म में जिविधा ने पूजा नाम की एक मासूम लड़की का किरदार निभाया था. 10 दिसंबर 1970 को जिविधा का जन्म दिल्ली के पंजाबी फैमिली में हुआ था.
तमिल फिल्म से किया फिल्मों में डेब्यू
जिविधा शर्मा ने तमिल फिल्म काधले निम्माधि (1998) से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की. अगले साल वह सुभाष घई की फिल्म ताल (1999) में नजर आईं. जिविधा ने पहली बार सफलता का स्वाद चखा रोमांटिक एक्शन फिल्म फिल्म ये दिल आशिकाना (2002) से. 1999 से 2013 तक के करियर में जिविधा ने कई तमिल, तेलुगु, हिंदी और पंजाबी फिल्मों में काम किया लेकिन लीड एक्ट्रेस के तौर पर उन्हें लोकप्रियता नहीं मिल पाई.
काफी ग्लैमरस हो गई हैं जिविधा
जिविधा एक अच्छी डांसर हैं. उन्होंने कुछ वीडियो एल्बम में भी काम किया है. जिविधा ने 2009 में पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में डेब्यू किया. उन्होंने 'यार अनमुले', 'दिल ले गई कुड़ी पंजाब दी', 'लॉयन ऑफ पंजाब' और 'दिल साडा लुटिया गया' जैसी फिल्मों में काम किया है. वह सोशल मीडिया पर बेहद एक्टिव रहती हैं और अपनी तस्वीरें भी पोस्ट करती रहती हैं. हालांकि उनका लुक पहले से काफी बदल गया है. 20 साल पहले मासूम सी दिखने वाली जिविधा अब काफी ग्लैमरस हो गई हैं.
क्या थी फिल्म की कहानी
कुक्कू कोहली के निर्देशन में बनी इस फिल्म का निर्माण अरुणा ईरानी ने किया था. यह 2002 की म्यूजिकल हिट थी. करण मल्होत्रा और पूजा वर्मा पुणे के एक कॉलेज में साथ पढ़ते हैं. इसी दौरान उन्हें एक दूसरे से प्यार हो जाता है. दोनों की जिंदगी में तब तूफान आ जाता है जब पूजा की फ्लाइट आतंकवादियों द्वारा हाइजैक कर ली जाती है. यह हाईजैक पूजा के भाई विजय वर्मा ने अंजाम दिया है, जो आतंकवादी संगठन के मुखिया अख्माश जलाल से मिला हुआ होता है. हालांकि विजय इस बात से अनजान होता है कि उसकी बहन फ्लाइट में है. करण पूजा को बचाने के लिए आतंकवादियों से लड़ने जाता है लेकिन पकड़ा जाता है. अख्माश तब करण और पूजा के बदले अपने नेता अशरफ-उल-हक मलिक को रिहाई की मांग करके भारत सरकार को ब्लैकमेल करने की कोशिश करता है. आखिरी में करण और आतंकियों के बीच लड़ाई होती है जिसमें अशरफ-उल-हक मलिक समेत सभी आतंकी मारे जाते हैं और करण और पूजा मिल जाते हैं.