बॉलीवुड की जिंदादिल अभिनेत्री कही जाने वालीं जोहरा सहगल की आज बर्थ एनिवर्सरी है. जोहरा का जन्म 27 अप्रैल, 1912 को रामपुर रियासत के नवाबी खानदान में हुआ था. जोहरा अपने समय से काफी आगे रहने वाले लोगों में शामिल थीं. वे इतनी जिंदादिल थीं कि उनसे मिलकर लौटने वालों के चेहरे पर मुस्कान होती थी. वे इतनी बोल्ड थीं कि 97 साल की उम्र में उन्होंने एक बार कहा था कि उन्हें अब भी सेक्स चाहिए. सेक्स उन्हें जवान बने रहने की एनर्जी देता था. वो खुद इस बात को कबूलती थीं कि हंसना और शारीरिक संबंध बनाना जिंदगी को आगे बढ़ाने के लिए बेहद जरूरी है. जोहरा ताउम्र अपनी जिंदादिली के लिए मशहूर रहीं. अपने आखिरी दिनों यानी 102 साल की उम्र में भी वह कभी बूढ़ी नहीं हुईं.
आज जोहरा के जन्मदिन पर आपको बताते हैं उनसे जुड़ी ऐसी ही कुछ जिंदादिल बातें.
जोहरा ने पृथ्वीराज कपूर के थिएटर में करीब 14 साल तक नाटकों में अभिनय किया और इसके बाद उन्होंने फिल्मी दुनिया में एंट्री ली. उनका कहना था कि थियेटर के लिए वो ताउम्र जवान रहेंगी. जोहरा जब छोटी थी तभी उनकी मां का निधन हो गया था. अपने बचपन के दिनों में जोहरा एक टॉमबॉय की तरह रहती थीं. उन्हें बाहर जाकर लड़कों के साथ खेलना पसंद था. 1929 में मैट्रिक पास करने के बाद उन्होंने क्वीन मैरी कॉलेज से साल 1933 में ग्रेजुएशन कंप्लीट किया. जोहरा ने बतौर डांसर 1935 में करियर की शुरुआत की थी. पंडित रविशंकर के बड़े भाई पंडित उदय शंकर के ग्रुप में शामिल होकर उन्होंने देश-विदेश में तमाम प्रस्तुतियां भी दीं. जोहरा रंगमंच के प्रगतिशील आंदोलन इप्टा से भी जुड़ी रहीं.
शादी पर बन गए थे दंगे जैसे हालात
जोहरा ने वैज्ञानिक, पेंटर और डांसर कामेश्वर सहगल से शादी की. धर्म अलग होने की वजह से यह शादी इतनी आसान नहीं थीं. दोनों के परिवार वाले इस शादी के खिलाफ थे. दोनों की शादी पर दंगे जैसे हालात बन गए लेकिन बाद में सब ठीक हो गया. उनके दो बच्चे बेटी किरन और बेटा पवन हैं.
मैं जिंदगी से भी मजबूत रही
जोहरा कहती थीं जिंदगी मुश्किल रही, लेकिन मैं उससे ज्यादा मजबूत रही. मैंने जिंदगी को उसी के खेल में हरा दिया. जोहरा 75 साल की उम्र के बाद भी ‘दिल से’, 'हम दिल दे चुके सनम', 'चीनी कम', 'कभी खुशी कभी गम', ‘वीर-जारा’ और 'सांवरिया' जैसी फिल्मों में काम करती रहीं. उन्होंने कुछ हिंदी फिल्मों के लिए भी कोरियोग्राफ किया, जिसमें क्लासिक फिल्म बाजी (1951) और फिल्म 'आवारा' शामिल है.
जोहरा सहगल को 1963 संगीत नाटक अकादमी, 1998 में पद्मश्री, 2001 में कालिदास सम्मान, 2002 में पद्म भूषण, 2004 में संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप और 2010 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.
जोहरा सहगल कहती थीं अगर आपके जीवन में हंसी ना हो तो जीवन बोझ बन जाएगा...