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काबुल से 100 से ज्यादा विदेशी नागरिकों को लेकर दोहा पहुंचा कतर का विमान

अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद आई स्थिरता के बाद पहली बार कतर से एक व्यापारिक अंतरराष्ट्रीय प्लेन ने काबुल के लिए उड़ान भरी और यात्रियों को लेकर वापस लौटी.

काबुल से दोहा के लिए कतर एयरवेज की प्लेन ने भरी उड़ान. (फोटो- रॉयटर्स) काबुल से दोहा के लिए कतर एयरवेज की प्लेन ने भरी उड़ान. (फोटो- रॉयटर्स)
हाइलाइट्स
  • तालिबान पर पड़ रहा है अंतरराष्ट्रीय दबाव

  • काबुल से दोहा के बीच व्यापारिक उड़ान शुरू

  • 100 से ज्यादा विदेशी यात्रियों का हुआ रेस्क्यू

अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद पहली बार गुरुवार को करीब 100 से ज्यादा विदेशी नागरिकों को लेकर पहला विमान, काबुल से अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए उड़ान भरा. कतर एयरवेज के विमान से विदेशी यात्री दोहा पहुंचे. इन यात्रियों में अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे.

अफगान शरणार्थियों के लिए विदेश निकलने के लिए कतर ही फिलहाल एक रास्ता दिख रहा है. ऐसे में कतर प्रशासन का कहना है कि काबुल एयरपोर्ट पर अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को शुरू करने में तुर्की का भी सहयोग मिल रहा है. अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते दबदबे के बीच बड़ी संख्या में दोहा और काबुल के बीच अंतरराष्ट्रीय विमानों ने उड़ानें भरी थीं.

अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते दबदबे के बीच बड़ी संख्या में दोहा और काबुल के बीच अंतरराष्ट्रीय विमानों ने उड़ानें भरी थीं. इनके जरिए 1,20,000 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू किया गया था. इस उड़ाने के लिए दोहा एक ट्रांजिट पॉइन्ट के तौर पर उभरा था.  

फ्लाइट में अमेरिकी नागरिक भी हैं शामिल

इस फ्लाइट में कनाडा, अमेरिका, यूक्रेन, जर्मनी, ब्रिटेन और अन्य देशों के नागरिक सवार थे.  अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता एमिली हॉर्न के एक बयान में कहा है कि तालिबान ने लचीलापन दिखाया है. वे कुछ मामलों में पेशेवर तरीके से आगे बढ़ रहे हैं. यह एक सकारात्मक कदम है. अमेरिका ने इस ऐतिहासिक उड़ान का स्वागत किया है.

तालिबान पर पड़ रहा है अंतरराष्ट्रीय दबाव

तालिबान पर अंतरराष्ट्रीय नियमों को मानने का भारी दबाव पड़ रहा है. ऐसे में माना जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए अवसर देकर तालिबान अपनी छवि सुधारने की कोशिशों में जुटा है. संयुक्त राष्ट्र के विशेष राजदूत डेबोरा लियोन्स ने सुरक्षा परिषद को जानकारी दी है कि अफगानिस्तान में अर्थव्यवस्था पूरी तरह से फेल है और सामाजिक नियम पूरी तरह से टूटने के खतरे में हैं. 

महिला अधिकारों पर चिंतित दुनिया

तालिबान एक बार फिर अफगानिस्तान में 1996 से 2001 की तरह अफगानिस्तान में कड़े इस्लामिक कानूनों को लागू कर रहा है. तालिबान ने दोबारा सत्ता संभालने के बाद कहा था कि महिलाओं को शरियत के तहत अधिकार दिए जाएंगे लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है. तालिबान की सोच महिलाओं को लेकर अब भी 20 साल पहले जैसी ही है. तालिबान की इस सोच पर दुनियाभर के संगठन चिंता जाहिर कर रहे हैं.