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पाकिस्तान की जेल में 29 साल बिताने के बाद देश लौटा शख्स, कहा- देश के लिए बलिदान देने से पीछे न हटें

कुलदीप सिंह ने कहा कि 1992 में उनकी गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तानी एजेंसियों ने उन्हें तीन साल तक प्रताड़ित किया. उन्हें कथित जासूसी के आरोप में एक अदालत में पेश किया गया और बाद में उन्हें 25 साल कैद की सजा सुनाई गई.

कुलदीप सिंह कुलदीप सिंह

पाकिस्तान की जेल में 29 साल से जासूसी के आरोप में कैद भारतीय शख्स आखिरकार सालों बाद अपने देश लौट आया है. पाकिस्तान की जेल में 29 साल बिताने के बाद स्वदेश लौटे जम्मू-कश्मीर के कठुआ निवासी कुलदीप सिंह का शुक्रवार रात अपने गृहनगर में जोरदार स्वागत किया गया. सालों बाद भारत लौटे कुलदीप सिंह ने युवाओं से कहा कि वो देश के लिए किसी भी तरह का बलिदान देने से कभी पीछे न हटें. 

पाकिस्तान ने 53 साल के कुलदीप सिंह को औरंगाबाद के मोहम्मद गुफरान के साथ सोमवार को रिहा कर दिया था. दोनों स्वदेश वापसी के बाद पंजाब के गुरु नानक देव अस्पताल में रेड क्रॉस भवन पहुंचे थे. कठुआ के बिलावर स्थित मकवाल गांव के रहने वाले सिंह का ग्रामीणों ने जोरदार स्वागत किया. उनके लौटने की खुशी में पटाखे जलाए और देशभक्ति से ओत-प्रोत नारेबाजी की गयी. 

पाकिस्तानी एजेंसियों ने तीन साल तक प्रताड़ित किया

कुलदीप सिंह ने कहा कि 1992 में उनकी गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तानी एजेंसियों ने उन्हें तीन साल तक प्रताड़ित किया. उन्हें कथित जासूसी के आरोप में एक अदालत में पेश किया गया और बाद में उन्हें 25 साल कैद की सजा सुनाई गई. उन्होंने कहा, “मेरे सभी दोस्तों, ग्रामीणों और विशेष रूप से युवाओं को मेरा संदेश है कि वे गलत रास्तों से दूर रहें, जो उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं. लेकिन जब देश के लिए कोई बलिदान देने की बात आती है, तो कभी पीछे न हटें.’’ वहीं औरंगाबाद के रहने वाले मोहम्मद गुफरान तीन साल पहले कारगिल से बॉर्डर पार कर गलती से पाकिस्तान पहुंच गए थे. 

परिवारवालों ने खो दी थी उम्मीद 

कुलदीप सिंह के परिवार के सदस्यों ने कहा कि पाकिस्तान में कुलदीप की गिरफ्तारी के बाद, उनके ठिकाने के बारे में तब पता चला जब उन्होंने लाहौर की कोट लखपत जेल से उन्हें पत्र लिखा. परिवारवालों ने कहा कि भारतीय कैदी सरबजीत सिंह की हत्या के बाद पिछले आठ सालों से कुलदीप सिंह के साथ कोई संपर्क नहीं होने के कारण उन्होंने सारी उम्मीदें खो दी थी. एक रिश्तेदार ने कहा, ‘‘हमें खुशी है कि वह इतने सालों के बाद वापस हमारे बीच आए हैं.’’ गौरतलब है कि सरबजीत सिंह एक भारतीय नागरिक थे जिन्हें पाकिस्तान ने जासूसी और आतंकवाद के आरोप लगाकर सजा और प्रताड़ना दी थी. वे 1990 से पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में थे, जहां जेल के कैदियों ने हमला कर उन्हें मार दिया था.