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Birth Anniversary Dr. APJ Abdul Kalam: कभी बेचने पड़े थे अखबार, फ‍िर तय किया 'म‍िसाइल मैन' से राष्ट्रपति भवन तक का सफर

अब्दुल कलाम ने भारत के दो प्रमुख विज्ञान अनुसंधान संगठनों - रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का नेतृत्व किया. जुलाई 1992 से दिसंबर 1999 के दौरान डॉ कलाम की देखरेख में हुए परमाणु परीक्षणों ने भारत को परमाणु शक्ति बना दिया. अग्नि और पृथ्वी पर उनके काम के लिए, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को 'भारत का मिसाइल मैन' कहा जाता है.

Dr. A P J Abdul Kalam (File Photo) Dr. A P J Abdul Kalam (File Photo)
हाइलाइट्स
  • पूरी दुन‍िया छात्र द‍िवस के तौर पर मनाती है डॉ. कलाम की जयंती

  • बहुत ही चुनौतीपूर्ण था एक छात्र के रूप में उनका जीवन

  • डॉ. कलाम ने भारत को बनाया विशिष्ट अंतरिक्ष क्लब का सदस्य

  • स्वास्थ्य सेवा को सभी के लिए सुलभ बनाने का भी किया प्रयास

  • कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित हुए डॉ. कलाम

“अगर तुम सूरज की तरह चमकना चाहते हो तो तुम्हें पहले सूरज की तरह जलना होगा”, ये कथन भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का है. आज डॉ कलाम की जयंती है. डॉ कलाम की जयंती को पूरी दुनिया छात्र दिवस के रूप में भी मनाती  है. 2010 में, संयुक्त राष्ट्र ने 15 अक्टूबर को "विश्व छात्र दिवस" ​​के रूप में घोषित किया था. डॉ एपीजे अब्दुल कलाम (A P J Abdul Kalam) की शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता और प्रेम ऐसा था कि उन्होंने सभी कठिनाइयों को पार कर न केवल शिक्षा में उत्कृष्टता हासिल की बल्कि भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर भी अपनी सेवा दी.

आर्थिक तंगी के कारण बेचने पड़े थे समाचार पत्र 

डॉ अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था. उनकी मां का नाम आशियम्मा और पिता का नाम जैनुलाब्दीन था. एक छात्र के रूप में उनका जीवन बहुत ही चुनौतीपूर्ण था. एक समय था जब उन्हें अपने परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए घर-घर जाकर अखबार बेचने पड़ते थे. हालांकि अपने काम करने के दौरान इन्होंने कभी-भी अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी. तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ़ कॉलेज से उन्होंने अपना ग्रेजुएशन किया और इसके बाद मद्रास इंस्टीट्यूट से एरोनॉटिक्स इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. ग्रेजुएशन के बाद कलाम एक मुख्य वैज्ञानिक के रुप में डीआरडीओ से जुड़ गये और जल्द ही भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपास्त्र के प्रोजेक्ट निर्देशक के रुप में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़े. 

भारत के मिसाइल मैन

भारत को अंतरिक्ष व रक्षा अनुसंधान के क्षेत्र में महाशक्ति के रूप में स्थापित करने वाले अब्दुल कलाम ने भारत के दो प्रमुख विज्ञान अनुसंधान संगठनों - रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का नेतृत्व किया. जुलाई 1992 से दिसंबर 1999 के दौरान डॉ कलाम की देखरेख में हुए परमाणु परीक्षणों ने भारत को परमाणु शक्ति बना दिया. अग्नि और पृथ्वी पर उनके काम के लिए, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को 'भारत का मिसाइल मैन' कहा जाता है.

भारत को बनाया विशिष्ट अंतरिक्ष क्लब का सदस्य

डॉ कलाम ने भारत के पहले सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV) को विकसित करने की परियोजना का नेतृत्व किया. जुलाई 1980 में, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के मार्गदर्शन में, भारत के SLV-III ने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी के निकट की कक्षा में सफलतापूर्वक तैनात किया, जिसके बाद भारत विशिष्ट अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया. डॉ कलाम ने भारत की बैलिस्टिक मिसाइलों के विकास के लिए कई परियोजनाओं का निर्देशन किया. उन्होंने सफल एसएलवी कार्यक्रम के पीछे की तकनीक का उपयोग करते हुए बैलिस्टिक मिसाइलों के विकास के लिए डेविल एंड वैलिएंट परियोजनाओं का नेतृत्व किया. 

स्वास्थ्य सेवा को सभी के लिए सुलभ बनाने का किया प्रयास 

एपीजे अब्दुल कलाम ने स्वास्थ्य क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दिया है. उन्होंने स्वास्थ्य सेवा को सभी के लिए सुलभ बनाने के लिए कड़ी मेहनत की. डॉ कलाम ने हृदय रोग विशेषज्ञ सोमा राजू के साथ काम किया, और कम लागत वाला कोरोनरी स्टेंट 'कलाम-राजू स्टेंट' विकसित किया. डॉ कलाम को 1981 में पद्म भूषण और 1990 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. 1997 में उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, भारत रत्न मिला.  2002 में, डॉ कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति बने लेकिन उन्होंने हमेशा खुद को पहले एक शिक्षक ही माना.

कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से हुए सम्मानित 

उन्होंने बहुत सारी प्रेरणादायक किताबें लिखी जिनमें “इंडिया 2020, इग्नाइटेड माइन्ड्स, मिशन इंडिया, द ल्यूमिनस स्पार्क, इंस्पायरिंग थॉट्स” प्रमुख हैं. उन्होंने देश से भ्रष्टाचार को दूर भगाने के लिये “वॉट कैन आई गिव मूवमेंट” नामक मिशन की शुरुआत की. उन्होंने देश के विभिन्न इंस्टीट्यूट और विश्वविद्यालयों में अतिथि प्रोफेसर के रुप में अपनी सेवा दी. उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों जैसे इंदिरा गांधी अवार्ड, वीर सावरकर अवार्ड, रामानुजन अवार्ड आदि से नवाज़ा गया. 27 जुलाई 2015 को शिलांग में भारतीय प्रबंधन संस्थान में व्याख्यान देते समय डॉ कलाम का निधन हो गया लेकिन विज्ञान और समाज कल्याण में दिए गए उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए दुनिया उन्हें हमेशा याद रखेगी.