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चंद्रयान 2 के 9000 चक्कर पूरे, चांद पर म‍िले क्रोम‍ियम और मैगनीज के अंश

चंद्रयान-2 उपग्रह ने चंद्रमा की कक्षा में दो साल पूरे कर लिए हैं. इस दौरान उसने न सिर्फ चंद्रयान-1 से मिली जानकारियों की पुष्टि की है. बल्कि चंद्रमा की कक्षा में चंद्रयान-2 अब तक 9,000 से अधिक परिक्रमा लगा चुका है. भारत के चंद्रयान -2 अंतरिक्ष यान ने रिमोट सेंसिंग के माध्यम से क्रोमियम और मैंगनीज  के मामूली तत्वों का पता लगाया है.

 (Photo: Isro) (Photo: Isro)
हाइलाइट्स
  • चंद्रयान-2 ने दो साल में 9,000 परिक्रमा की

  • चांद पर पानी होने की भी पुष्टि की

  • 2 साल होने पर इसरो ने जारी किए आंकड़े

  • चंद्रयान-2 से मिले डाटा बेहद उत्साहजनक

चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी का पता भारत के चंद्रयान-1 मिशन ने लगाया था. चंद्रयान-2 ने इसकी पुष्टि कर दी है. चंद्रयान-2 उपग्रह ने चंद्रमा की कक्षा में दो साल पूरे कर लिए हैं. इस दौरान उसने न सिर्फ चंद्रयान-1 से मिली जानकारियों की पुष्टि की है. बल्कि चंद्रमा की कक्षा में चंद्रयान-2 अब तक 9,000 से अधिक परिक्रमा लगा चुका है.  इस दौरान उन्होंने चंद्रयान-2 के कक्ष पेलोड का डेटा भी जारी किया. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अधिकारियों का दावा है कि भारत के चंद्रयान -2 अंतरिक्ष यान ने रिमोट सेंसिंग के माध्यम से क्रोमियम और मैंगनीज  के मामूली तत्वों का पता लगाया है.

चंद्रयान-2 ने दो साल में 9,000 परिक्रमा की

इसरो के चेयरमैन के. सिवन ने बताया कि 'चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह से करीब 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर यह उपग्रह घूम रहा है.  इसके आठ पे-लोड (उपग्रह के साथ लगे मुख्य उपकरण) सुदूर-संवेदी पड़ताल के साथ मौका-मुआयना भी कर रहे हैं.'  इसके अलावा इसरो का कहना है कि ''वैज्ञानिक आंकड़े शिक्षा जगत एवं संस्थानों के विश्लेषण के लिए उपलब्ध कराये जा रहे हैं ताकि चंद्रयान-2 मिशन में और अधिक वैज्ञानिक भागीदारी हो सके.'' 

चांद पर क्रोमियम और मैंगनीज जैसे तत्वों का पता लगा

इसरो द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला को एजेंसी की वेबसाइट और फेसबुक पेज पर लाइव दिखाया जा रहा है, ताकि छात्र, शिक्षा जगत और संस्थानों तक यह पहुंच सकें और चंद्रयान-2 के डेटा का वैज्ञानिक समुदाय विश्लेषण कर सके. इसके अलावा चंद्रयान-2 मिशन, निगरानी, अभियान और डेटा संग्रहण के पहलुओं पर भी व्याख्यान होंगे.

चंद्रयान-2 से मिले डाटा बेहद उत्साहजनक

बता दें, चंद्रयान-2 से मिले प्रारंभिक डाटा के विश्लेषण चंद्रमा पर व्यापक रूप से पानी की मौजूदगी की पुष्टि हुई है. यह डाटा 29 डिग्री उत्तर से लेकर 62 डिग्री उत्तर के बीच हाइड्रोक्साइड और पानी की स्पष्ट पहचान को दर्शाता है.  इससे यह भी पता चल रहा है कि चंद्रमा की ऊंची सतह वाले स्थानों पर हाइड्रोक्सिल या संभवत: पानी के अणु अधिक मात्रा में हैं. 

चंद्रयान-2 को 22 जुलाई, 2019 को प्रक्षेपित किया गया था

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की जानकारी हासिल करने के लिए चंद्रयान-2 को 22 जुलाई, 2019 को प्रक्षेपित किया गया था. हालांकि इसके लैंडर विक्रम की सात सितंबर को चंद्रमा की सतह पर हार्ड लैंडिंग हुई थी. और 20 अगस्त को इसने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा, ‘हालांकि, उतरने का प्रयास (रोवर ले जाने वाले लैंडर का) सफल नहीं हुआ था. वहीं, आठ वैज्ञानिक उपकरणों से सुसज्जित अंतरिक्षयान ने सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था.’