छत्तीसगढ के रायपुर में देश का सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल तैयार किया जाएगा. रायपुर से लगभग 55 किलोमीटर दूर नंदिनी में जंगल निर्मित होगा. यहां खादान और छोड़ दीगई जमीनों पर पौधों को रोपित किया जाएगा. इस पहल के जरिए 3777 एकड़ में फैले इलाके में हरियाली आएगी और जंगली जानवरों के लिए प्राकृतिक आवास के तौर पर इसे विकसित किया जाएगा.
इस क्षेत्र के 1120 एकड़ जमीन को जंगल में बदला जा चुका है. इस साल राज्य के वन विभाग द्वारा 895 एकड़ में विशेष अभियान के तहत औषधीय सहित लगभग 30 विभिन्न प्रजातियों के 83 हजार से अधिक पौधे लगाए गए हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने निरीक्षण के दौरान जन वन कार्यक्रम के तहत प्रतीकात्मक संकेत के तौर पर बरगद का पौधा भी लगाया. परियोजना की पूरी लागत 3.37 करोड़ रुपये बताई गई है.
राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षण (पीसीसीएफ) राकेश चतुर्वेदी ने कहा कि मुख्यमंत्री के इशारे पर परियोजना को चाक-चौबंद किया गया है. यह पर्यावरण संरक्षण पर आधारित एक नई अवधारणा है और इसे मियावाकी के साथ क्रियान्वित किया गया है, जो एक जापानी तकनीक है जो घने मानव निर्मित जंगल बनाने में मदद करती है. ऐसे इलाकों में प्राकृतिक और बहुस्तरीय पौधे बहुत तेजी से बढ़ते हैं. एक बार जब पूरे इलाके में वन रोपित कर दिया जाएगा तो नंदिनी वन देश का सबसे बड़ा मानव निर्मित वन होगा.
पशु-पक्षियों के लिए भी तैयार होगा प्राकृतिक आवास!
खदानों के उत्खनन स्थलों की वजह से जो आमतौर पर डोलोमाइट-चूना पत्थर से बने होते हैं, जंगल के अंदर विशाल जलाशयों का निर्माण हो जाता है. इसके अलावा क्षेत्र में मौजूद विशाल गीली जमीन की वजह से यह क्षेत्र पक्षियों के लिए आदर्श आवास के रूप में भी बनाया जा सकता है. यूरोसिबेरिमन क्षेत्र के प्रवासी पक्षियों को भी यहां देखा गया था. पीसीसीएफ ने कहा कि अगले कुछ वर्षों में परियोजना के व्यापक आकार लेने की संभावना है.
छत्तीसगढ़ का 44 प्रतिशत भूमि वन आच्छादित
छत्तीसगढ़ में, परित्यक्त खदानों की कोई कमी नहीं है, जिनमें बहुत कम प्रभावी सुधार किया जा रहा है. नंदिनी के इस इलाके को इको-एथनिक टूरिज्म के रूप में विकसित किया जाएगा, जिसमें लैंडस्केपिंग, वाटर स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया जाएगा. वहीं यहां ठहरने के लिए कॉटेज भी बनाए जाएंगे. छत्तीसगढ़ की लगभग 44 प्रतिशत भूमि वन आच्छादित है.