कोरोना के खिलाफ युद्धस्तर पर चल रहे वैक्सीनेशन अभियान को लेकर एक अच्छी खबर भारत के लिए आई है. स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन को जल्द ही विश्व स्वास्थ्य संगठन की मंजूरी मिल सकती है. अब तक वैक्सीन के नतीजों के आधार पर विश्व स्वास्थ्य संगठन इस वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दे सकता है.
माना जा रहा है कि WHO इसे उन वैक्सीन की सूची में डाल सकता है, जिसका इमरजेंसी इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि परीक्षण के नतीजे बेहद असरदार नजर आ रहे हैं. दरअसल वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की स्वीकृति EUL प्रक्रिया के जरिए मिलेगी. यह एक प्रक्रिया है जिसमें उन उत्पादों को मंजूरी दी जाती है, जो महामारी जैसी स्थितियों को रोकने में असरदार साबित होते हैं.
Covaxin को विकसित करने वाली कंपनी Bharat Biotech के सूत्रों ने यह भी दावा किया है उन्हें महीने के अंत तक मंजूरी मिलने की उम्मीद है. यह भारत के लिए बड़े कदम के तौर पर देखा जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक कोवैक्सिन की निर्मात कंपनी भारत बायोटेक ने पिछले कुछ महीनों में विश्व स्वास्थ्य एजेंसी के साथ डेली परीक्षणों से संबंधित डेटा शेयर किया था, जो सकारात्मक रहा.
पश्चिमी देशों से भी नहीं मिली है मान्यता
Covaxin को अभी तक पश्चिमी देशों ने मान्यता नहीं दी है जिससे हजारों छात्रों, उनके माता-पिता और अन्य पेशेवरों के लिए परेशानी हो रही है, जिन्होंने भारत में टीका लिया है, लेकिन लंबे समय तक रहने के लिए इन देशों में वापस लौट रहे हैं. डब्ल्यूएचओ की मंजूरी न होने की वजह से जिन लोगों ने कोवैक्सिन की दोनों डोज ली है, उन्हें कई देशों में वैक्सीनेटेड नहीं माना जा रहा है.
WHO की मंजूरी से मिलेगी बड़ी राहत
इस मुद्दे को हल करने के लिए अलग-अलग राज्यों में सार्वजनिक अधिकारियों से संपर्क करने के लिए उन्हें परेशान होना पड़ रहा है. अगर विश्व स्वास्थ्य संगठन की मंजूरी इस वैक्सीन को मिलती है तो इसे बड़ी राहत के तौर पर देखा जा सकता है. नीति आयोग के सदस्य और कोविड -19 टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ वीके पॉल ने कहा कि भारत पूरी वयस्क आबादी के संपूर्ण टीकाकरण मिशन पर तेजी से आगे बढ़ रहा है. उन्होंने भी उम्मीद जताई है कि जल्द ही कोवैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन की मंजूरी मिल जाएगी.