भारत में पहली बार वैक्सीन की दोनों डोज लेने वालों की संख्या एक डोज लेने वालों से ज्यादा हो गयी है. यानि देश में वे लोग ज्यादा हो गए हैं जिन्हें कोरोना वायरस वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है. मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर और नवंबर में वैक्सीन कवरेज देश की 80% आबादी तक पहुंच गया है, ये वह लोग हैं जिन्हें कम से कम एक डोज तो दी ही जा चुकी है. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले कुछ समय में ये संख्या और भी बढ़ेगी.
दोनों डोज लेने वालों की संख्या है ज्यादा
कोविन डैशबोर्ड के अनुसार, मंगलवार रात तक, भारत में कोविड-19 वैक्सीन की कम से कम एक डोज लगने वालों की संख्या 75.54 करोड़ तक पहुंच गयी है, वहीं 38.07 करोड़ लोगों को दोनों डोज दी जा चुकी है. वहीं, अन्य 37.47 करोड़ को केवल एक दी गयी है. अगर भारत की पूरी वयस्क आबादी की बात करें, तो यह लगभग 94 करोड़ है यानि देश के 40.3% वयस्कों को पूरी तरह से टीका लगाया जा चुका है, जबकि अन्य 40.2 प्रतिशत को अब तक वैक्सीन की एक ही डोज लगाई गयी है.
अब देश में वैक्सीन की दोनों डोज लेने वालों की संख्या, एक डोज लेने वालों से ज्यादा हो गयी है.
हर्ड इम्यूनिटी के कितना करीब भारत?
अब अगर हम इस आकड़ें गणितीय महत्व पर जाएं, तो जो मॉडल नॉटिंघम यूनिवर्सिटी और स्टॉकहोम यूनिवर्सिटी द्वारा बनाया गया था, उसके अनुसार गैर-फार्मास्युटिकल चीजें जैसे कि मास्किंग और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ 40 प्रतिशत तक वैक्सीनेशन होने पर हर्ड इम्यूनिटी आने की उम्मीद है.
मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत ने कोविड-19 के 10,351 नए मामले दर्ज किए गए हैं, ये संख्या पिछले 274 दिनों आयी सबसे कम संख्या है. देश में अब तक लगभग 3.45 करोड़ मौतें कोविड -19 से और 4.6 लाख मौतें वायरल बीमारी से हुई हैं.
क्या कहते हैं अवर वर्ल्ड इन डेटा के आंकड़ें?
अवर वर्ल्ड इन डेटा वेबसाइट के आंकड़ों के अनुसार, भारत की पूरी आबादी के औसतन 54.1% को कम से कम एक डोज लग चुकी है, जबकि 26.8% को दोनों डोज लगाई गयी है. इन आंकड़ों का वैश्विक औसत निकालें तो ये 52.2% और 40.9% है. इसका मतलब यह है कि भारत भले ही वैक्सीन की पूरी कवरेज में दूसरे देशों से आगे हो लेकिन यहां टीके की दोनों डोज लगने वालों की संख्या कम है.
क्या हो सकता है कारण?
इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे वैक्सीन की दोनों डोज में बढ़ाये गए गैप के कारन भी दूसरी डोज वालों की संख्या भारत में कम है. आपको बता दें, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड की दो डोज के बीच हाल ही में गैप बढ़ाया गया है. 13 मई को, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविशील्ड वैक्सीन की दोनों डोज के बीच के अंतर को 4-8 सप्ताह से बढ़ाकर 12-16 सप्ताह कर दिया था. जिससे कोविशील्ड की दोनों डोज लगवाने वालों की संख्या कहीं न कहीं कम हो गयी है. 15 मई बाद की बात करें, तो देश में दोनों डोज लगवाने वालों की तुलना में एक डोज लगवाने वाले ज्यादा हो गए थे.
हालांकि, अक्टूबर की शुरुआत में इस अंतर् में कई न कहीं कमी आयी है. आज दोनों डोज लेने वालों की वैक्सीन की पहली डोज लेने वालों से ज्यादा हो गयी है.
सरकार का लक्ष्य- साल के आखिर तक सबको लगे वैक्सीन
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अधिकारियों को डर है कि देश के लगभग 20% को अभी तक एक भी डोज नहीं दी जा सकी है. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, साल के आखिर तक भारत सरकार ने देश के सभी वयस्कों को वैक्सीन की दोनों डोज लगाने का लक्ष्य रखा है.
मंगलवार को, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने भी जोर देकर कहा कि भारत के 100% वयस्कों को वैक्सीन की दोनों डोज के साथ कोविड -19 टीकाकरण अभियान को पूरा करना "तत्काल आवश्यकता" है.
उन्होंने कहा, "हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी का टीकाकरण हो." आपको बता दें, केंद्रीय मंत्री सरकार के 'हर घर दस्तक' अभियान के तहत टीकाकरण की पहुंच और कवरेज को आगे बढ़ाने में सरकार की मदद करने वालों से बातचीत कर रहे थे. इस अभियान में वैक्सीन को लोगों के घरों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है.
इस महीने की शुरुआत में केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को नवंबर के अंत तक कम से कम 90% पहली डोज कवरेज की योजना बनाने का निर्देश दिया था.