"मेरे हौसलों की उड़ान अभी बाकी है, मेरे सपनों में जान अभी बाकी है, अभी तो धरती को नापा है जनाब, पूरा आसमान अभी बाकी है." ये लाइनें मुजफ्फरपुर की फैशन डिजाइनर आभा चौधरी की चरितार्थ हैं. आभा चौधरी ने जीवन के झंझावातों से अपने लिए और अपने पूरे परिवार के लिए एक ऐसा रास्ता तैयार किया जिसके बारे में जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे.
पिता की मौत के बाद घर संभाला
कहानी में मोड़ तब आया जब आभा चौधरी के पिता की मौत हो गई. अकेले पड़ी आभा अभाव में जीवन गुजारने लगीं. परिवार की बड़ी बेटी होने के नाते परिवार की सारी जिम्मेदारी आभा के कंधों पर आ गईं. परिवार की बड़ी बेटी होने के नाते परिवार और कारोबार दोनों संभालना था. बहनों की उम्र ढाई साल, 5 साल,18 और 16 साल थी. सबको पालना आभा की जिम्मेदारी थी.
खुद के दम पर शुरू किया ड्रेस डिजाइनिंग बिजनेस
फिर आभा ने अभाव में अवसर खोजा और खुद आत्मनिर्भर बनकर ऐसी कहानी लिखी कि पूरा परिवार पटरी पर आ गया. आज आभा को कौन नहीं जानता. अपनी जिद और अभाव में चल रही जिंदगी को संघर्ष के बलबूते ऐसे मुकाम पर ला दिया जहां सफलता ही सफलता कदम चूम रही है. आभा ने सबसे पहले अपने जीवन को बलिदान के हवाले किया. अपने सपने को, अपने इंगेजमेंट को तोड़ दिया. डिजाइनर कपड़ा तैयार करने लगी. प्रदर्शनी में जाने लगी. खुद का एग्जिबिशन लगाना शुरू कर दिया. प्रदर्शनी से ही ऑर्डर मिलने लगा और उत्साह और बढ़ा तो दिल्ली और पटना के कई शोरूम से डिमांड आने लगी.
कई परिवारों को दे रही हैं रोजगार
आभा आमदनी बढ़ने के बाद सबसे पहले बहनों को सेटल किया और एक बहन को मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब मिली. आज आभा परिवार और कारोबार दोनों संभाल रही हैं. आभा ने बताया कि अब उनकी जिंदगी सही पटरी पर हैं. डिजाइनर कपड़े के क्षेत्र में पहचान बना चुकी आभा ने खुद का एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट शुरू किया. आभा आज की तारीख में खुद को संभालने के साथ कई परिवारों को रोजगार मुहैया करा रही हैं. जिंदगी को जीवटता के साथ जीने वाली आभा आज दूसरे के घरों में रोशनी बिखेर रही हैं.