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वाराणसी में देव दीपावली की तैयारी, जगमग होगी कुम्हारों की बस्ती, बढ़ रहे हैं आत्मनिर्भरता की ओर

वाराणसी में देव दीपावली की तैयारी जोर शोर से चल रही है. हालांकि, इसबार मौके पर कुम्हारों की बस्ती भी जगमग होने वाली है. दीये बनाने और बाती बनाने के ऑर्डर इस बार लोकल कुम्हारों को दिए गए हैं. इससे वे आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकेंगे.

काशी के कुम्हार होंगे आत्मनिर्भर काशी के कुम्हार होंगे आत्मनिर्भर
हाइलाइट्स
  • देव दीपावली से जगमग होगी कुम्हारों की बस्ती

  • काशी के कुम्हार होंगे आत्मनिर्भर

देव दीपावली में एक बार फिर काशी के घाट जगमगाएंगे. महादेव की नगरी के घाट अर्धचन्द्राकार हैं. ऐसे में काशी के गले में पड़ी रोशनी की माला को तैयार करने वाले कुम्हार भी इसके इंतजार में रहते हैं. विकास और संस्कृति से तालमेल करने वाली काशी की कुम्हार टोली में भी देव दीपावली से उजाला होगा. लाखों दीये के ऑर्डर को पूरा करने का बड़ा काम लगभग हो चुका है. दीपावली के बाद इस बड़े आयोजन से आर्थिक सम्बल खासतौर पर महिलाओं को मिला है क्योंकि पूरे परिवार दीये बनाने में जुटे थे जिसमें ज्यादातर महिलाएं हैं.

काशी के कुम्हारों के घरों में इस दीपावली के बाद भी रोशनी है. देव दीपावली के ऑर्डर ने इनके चेहरों पर मुस्कान ला दी है. उनके हाथ लगातार चाक पर चले पर अब उससे होने वाली आय से उनको आर्थिक रूप से सम्बल मिला है. वहीं दीये की बाती बनाने वाले भी परिवार हैं जो लाखों दीयों के लिए बाती बना रहे हैं,  उनको भी स्थानीय स्तर पर इस आयोजन की वजह से रोजगार मिला है.

सरकार ने दिया है 10 लाख से ज्यादा दीयों का ऑर्डर

इस साल काशी के घाटों को रोशन करने के लिए योगी सरकार ने 10 लाख दीयों और बाती का आर्डर दिया था. काशी के कुम्हार परिवारों को ही इसे बनाने की जिम्मेदारी दी गई. इसके अलावा देव दीपावली समिति और अन्य निजी संस्थाओं ने भी अपने प्रतिष्ठानों के लिए अलग से दीयो का ऑर्डर दिया है. हर साल भव्य होती देव दीपावली में काशी के लोग भी शामिल होते हैं. इसलिए लोग भी दीये खरीदते हैं. दीपावली के बाद भी स्थानीय स्तर एर दीयों की खरीद हुई है. काशी में मिट्टी के दीये बनाने वाले क्लस्टर चलाने वाले और काशी पॉटरी के महासचिव राजेश त्रिवेदी बताते हैं कि समितियों और निजी संस्थाओं की ओर से ढाई लाख से ज्यादा दीयो के ऑर्डर मिले हैं. इसमें सामान्य और डिजाइनर दिए शामिल हैं. ऑर्डर समय पर पूरा किया जाए इसके लिए कुम्हार परिवार की महिलाओं को भी बड़ी संख्या में इस काम में लगाया गया था. 

दीये बनाने वाले क्लस्टर में 90 प्रतिशत महिलाएं 

जानकारी के अनुसार काशी में में 1500 से अधिक परिवार कुम्हार का कार्य करते हैं. खास तौर पर दीये बनाने के जो क्लस्टर हैं उनमें में 90 प्रतिशत महिलाएं हैं, जो घर से ही दीये बनाती हैं. प्रधानमंत्री ने अपने संसदीय क्षेत्र के पिछले दौरे में जहां काशी के पर्वों को और भव्यता देने का आह्वान किया था वहीं उनके ‘वोकल फॉर लोकल’ (vocal for local) के मंत्र का असर भी यहां दिखाई पड़ रहा है. कुम्हार विकास प्रजापति का कहना है कि कोविड के बाद पिछले 2 साल से दीयो की मांग और भी ज्यादा बढ़ गई है. प्रदेश सरकार ने काशी के विकास और पर्यटन के मॉडल में देव दीपावली को शामिल करते हुए स्थानीय स्तर पर कुम्हारों को दीयो का ऑर्डर दिया है तो वहीं जल्दी काम के लिए इलेक्ट्रिक सोलर चाक भी दिया है. विकास प्रजापति कहते हैं कि इससे कुम्हारों का काम आसान हो गया है.

बाती बनाने के लिए भी दिया गया है ऑर्डर  

इसके अलावा बाती बनाने के लिए भी बड़ा ऑर्डर दिया गया है. कलावे से बाती बनाई जा रही है, जिससे घाट पर दीये देर तक रोशन रहें. शुभम त्रिपाठी बताते हैं कि सरकार ने इन लाखों दीयों के लिए बाती का ऑर्डर स्थानीय स्तर पर ही दिया है. जिसको पूरा करने के लिए दिन रात काम कर रहे हैं. इस देव दीपावली पर काशी के सभी घाटों में रोशनी होगी. ऐसे में इन कुम्हार परिवार के घर भी जगमगाएंगे. यहां दीये बनाने के क्लस्टर में करीब 500 कुम्हार परिवार के सदस्यों को काम पर लगाया गया था. दिन में 500 रुपए की कमाई हुई है. महादेव की नगरी में आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए देव दीपावली को मॉडल के तौर पर भी देखा जा रहा है.