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Farming Story: पिता की मौत के बाद इंजीनियर बेटे ने शुरू की अनार की खेती, अब लाखों में हो रही है कमाई

अनंतपुर के बेलुगुप्पा मंडल के तग्गुपार्थी गांव के रहने वाले भुवनेश्वर ने अनार की खेती की शुरुआत की, जिससे आज उनकी लाखों की कमाई होती है. पहली फसल में ही भुवनेश्वर को 14 लाख का फायदा हुआ था.

अनार अनार
हाइलाइट्स
  • ट्रेडिशनल फार्मिंग से की थी शुरुआत

  • पहली फसल में हुआ लाखों का फायदा

जिंदगी के कई हादसे आपकी जिंदगी को बदलकर रख देते हैं. ऐसा ही कुछ हुआ अनंतपुर के रहने वाले 32 साल के भुवनेश्वर चक्रवर्ती के साथ. महामारी के दौरान अपने पिता की मौत के बाद भुवनेश्वर अपने पैतृक गांव में बची हुई सारी जमीन बेचना चाहते थे. लेकिन धीरे-धीरे समय का पहिया ऐसा घुमा की भुवनेश्वर को अपने गांव में ही 16 एकड़ जमीन और खरीदनी पड़ी. भुवनेश्वर पेशे से एक इंजीनियर थे, लेकिन पिता की मौत के बाद उन्होंने खेती में हाथ आजमाने की सोची. शुरुआत में भुवनेश्वर को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन अब उस बात को 32 साल बीत गए हैं. बेंगलुरु में 5-डिजिट सैलरी कमाने वाले भुवनेश्वर आज लाखों में कमाई करते हैं.

ट्रेडिशनल फार्मिंग से की थी शुरुआत
अनंतपुर के बेलुगुप्पा मंडल के तग्गुपार्थी गांव के रहने वाले भुवनेश्वर ने शुरुआत में पारंपरिक खेती की, जो की उतना आसान नहीं था. क्योंकि पारंपरिक फसलों उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ. काफी नुकसान उठाने के बाद भुवनेश्वर ने पारंपरिक खेती के अलावा एक विकल्प की सोची. भुवनेश्वर ने इसके लिए ऑनलाइन सर्च करना शुरू किया. दरअसल उन्हें एक ऐसी फसल की तलाश थी, जिसे आसानी से काली मिट्टी में बोया जा सके. जिसके बाद भुवनेश्वर को अनार की खेती के बारे में पता चला. उसके बाद भुवनेश्वर महाराष्ट्र से पौधे लेकर आए और उन्हें 2020 में छह एकड़ भूमि में लगाया. धीरे-धीरे उन्होंने अनार के बाद को बढ़ाना शुरू कर दिया.

पहली फसल में हुआ लाखों का फायदा
देखते ही देखते 11 महीने में, भुवनेश्वर ने फसल के पहले चक्र में 26 टन फसल हासिल की और अनार को 60,000 रुपये से 70,000 रुपये प्रति टन के हिसाब से बेचकर 18 लाख रुपये कमाए. 4 लाख रुपये की इनपुट लागत को छोड़कर, उन्होंने अनार की खेती से पहले साइकिल में 14 लाख रुपए का फायदा हुआ. आधुनिक तकनीक को अपनाने से न केवल लागत में कमी आई बल्कि इस भुवनेश्वर को काफी हद तक अपनी पैदावार बढ़ाने में भी मदद मिली. 2022 में, भुवनेश्वर ने एक एंड्रॉइड मोबाइल एप्लिकेशन बनाई और बेंगलुरु की कई गेटेड सोसाइटी में 100 रुपए किलो तक बेचा. उन्होंने मोबाइल ऐप के माध्यम से लगभग 16 टन फल बेचे. इस बीच के बिचौलियों की लागत भी घट गई. जिसे उन्हें 16 लाख रुपए का फायदा हुआ. उन्होंने आरटीसी कार्गो सेवाओं के माध्यम से बेंगलुरु में ग्राहकों को फल बांटना शुरू किया, और धीरे-धीरे अपने खेत में 10 मजदूरों को भी काम पर रखा. 

आधुनिक तकनीक से कम की लागत
धीरे-धीरे भुवनेश्वर ने अपने खेतों में सोलर पैनल भी लगवा लिए, जिससे खेत की सिंचाई के लिए बिजली मिल गई. इसी सोलर पैनल की मदद से उन्होंने फसल को नुकसान पहुंचाने वाली फल मक्खियों को रोकने के लिए सोलर लाइट लगा दी. इसके अलावा फूलों के फर्टिलाइजेशन के लिए उन्होंने मधुमक्खी पालन भी किया. भुवनेश्वर ने 50 हजार रुपए की लागत लगातार फसल उपकरण लगाया, जिसमें लगे 13 सेंसर वर्षा, जमीन की नमी और कीटों के बारे बताते हैं.

सरकार से भी की मदद की अपील
लागत कम करने के लिए, उन्होंने डीलरों से बड़ी मात्रा में उर्वरक और कीटनाशक खरीदे उन्होंने अनार की खेती से मुनाफा कमाने के लिए किसानों को सिखाने और प्रशिक्षित करने के लिए एक यूट्यूब चैनल भी शुरू किया. इस बीच, उन्होंने राज्य सरकार से बिचौलियों को खत्म करने और किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए कृषि संघों के साथ फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स स्थापित करने का आग्रह किया. उनका कहना है कि कंपनियां किसानों से उपज खरीदने के लिए बिचौलियों का इस्तेमाल करती हैं, न तो उपभोक्ता को फायदा होता है और न ही किसान को.