टपकती छत, क्षतिग्रस्त फर्श, टूटी बेंच और उजड़ी दीवारें, ये सारे शब्द सुनकर आपके दिमाग में कोई खंडहर आया होगा. लेकिन हम किसी खंडहर की बात नहीं कर रहे हैं, हम बात कर रहे हैं. कोट्टुक्कल पंचायत के अंबालाथुमूला की आंगनबाड़ी की. भारत देश में पूर्व से पश्चिम तक, उत्तर से दक्षिण तक आंगनबाड़ी केंद्र खुले हुए हैं. लेकिन ज्यादातर केंद्रों की हालत खस्ता ही है. ऐसे में एक विदेशी महिला की पहल ने इस तस्वीर को बदल दिया है. जिनकी मदद से आंगनबाड़ी अब टाइल्स वाले फर्श, स्मार्ट क्लास और उच्च तकनीक वाले उपकरणों से लैस हो चुकी है. इस तरह की पहली आंगनबाड़ी 2019 में पूवर के पास पल्लम में स्थापित की गई थी.
जर्मनी की प्रोफेसर ने बदली तस्वीर
इस पहल के पीछे जर्मनी के एक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मारिया कैसलमैन का दिमाग है. दरअसल मारिया पहली बार 2008 में कोवलम आई थीं. उस वक्त वो आंगनबाड़ी की खस्ता हालत देख कर हैरान रह गई थी. उस वक्त उन्हें महसूस हुआ था कि इन क्षेत्रों में कई ऐसे स्कूल हैं, जो बच्चों के बेहतर भविष्य की गारंटी नहीं देते हैं. ये सब देखने के बाद मारिया ने अपने एनजीओ पॉजिटिव पावर फॉर चिल्ड्रन ई.वी. के माध्यम से एक दान अभियान शुरू किया. इस अभियान में उन्हें जितना भी दान मिला उस पैसों से मारिया ने बुक्स, टेक्स्ट बुक्स, स्टेशनरी, खिलौने और फर्नीचर खरीदे. इतना ही नहीं उन्होंने केरल और तमिलनाडु में कई मौजूदा आंगनबाड़ियों के पुनर्निर्माण में मदद की.
पल्लम में बनी है हाई-टेक आंगनबाड़ी
नई आंगनबाड़ी में बिजली, पानी के कनेक्शन के साथ-साथ बाथरूम और रसोई भी बनाई गई है. पल्लम में हाई-टेक आंगनबाड़ी बनी हुई है. जिसमें दो मंजिला इमारत है, जहां 38 बच्चे रह सकते हैं. अंबालाथुमूल आंगनबाड़ी का उद्घाटन आदिमलाथुरा पैरिश विकर फादर डेंसन जोसा ने किया था. वहीं वार्ड पार्षद आशा बी ने भवन के लिए जमीन चिन्हित करने में मदद की. इसके बारे में बताते हुए आशा कहती है कि, "यह कोट्टुक्कल की पहली हाई-टेक आंगनबाड़ी है. इसे बनाने का विचार मारिया का था ताकि बच्चे आधुनिक सुविधाओं के साथ अच्छे से सीख सकें. हाइसिंथ लुइस नाम के व्यक्ति ने जमीन के पैसे दिए. आंगनबाड़ी और आधुनिक खेल के मैदान के पूरे निर्माण के लिए 15 लाख रुपये की आवश्यकता थी."
खेल-खेल में सीख रहे हैं बच्चे
आशा आगे कहती है कि, "आंगनबाड़ी में 26 बच्चे पढ़ रहे हैं. बच्चे खेल उपकरण देखकर उत्साहित हैं. इससे उन्हें अकादमिक रूप से मदद मिलेगी और उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा. अगर जमीन उपलब्ध हो तो मारिया ऐसी और हाईटेक आंगनबाड़ी स्थापित करने को तैयार हैं. हमारा उद्देश्य आदिमालाथुरा में आंगनबाड़ी को हाई-टेक बनाना भी है. यह वर्तमान में खराब स्थिति में है. इस उद्देश्य के लिए, हम उपयुक्त जमीन खोज रहे हैं."
बच्चों को मिल रही है बेहतर शिक्षा
पॉजिटिव पावर फॉर चिल्ड्रन ईवी के मुख्य समन्वयक विमल कुमार आरके कहते हैं, "केरल और तमिलनाडु में ऐसी लगभग 20 हाई-टेक नर्सरी का निर्माण किया गया है. हम हाई स्कूल की लड़कियों के लिए आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम भी प्रदान करते हैं. आंगनबाड़ी में जर्मनी से आयातित उपकरणों के साथ एक खेल का मैदान भी है. इन सुविधाओं से एक बार में 40 बच्चों को सिखाया जा सकता है. बच्चों को स्टडी मटेरियल और यूनिफॉर्म भी मुहैया कराई गई है."