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EXCLUSIVE: नेत्रहीन महिलाएं चला रही हैं Blind Bake Cafe, ब्रेल लिपि में रखा गया है Food Menu

दिल्ली के हौज़ खास एन्क्लेव (Hauz khas Enclave) में स्थित ब्लाइंड बेक कैफ़े (Blind Bake Cafe) में नेत्रहीन महिलाएं बेकिंग कर रही हैं और आपको अलग-अलग डिश परोस रही हैं. ब्लाइंड बेक कैफ़े का मेन्यू भी ब्रेल लिपि में तैयार किया गया है. आपको बता दें, इन महिलाओं को नेशनल एसोसिएशन फ़ॉर ब्लाइंड वीमेन (NAB) द्वारा ट्रेनिंग दी गयी है और 15 नवंबर से इसे लोगों के लिए खोल दिया गया है. 

Blind Bake Cafe Blind Bake Cafe
हाइलाइट्स
  • 15 नवंबर से लोगों के लिए खोल दिया गया है Blind bake cafe

  • ब्लाइंड बेक कैफ़े का मेन्यू ब्रेल लिपि में तैयार किया गया है

  • प्रॉफिट कामना नहीं है इस कैफे का मकसद

कहते हैं कुछ लोग अपने हौसलों से दुनिया के सामने उदाहरण बन जाते हैं. ऐसी ही कुछ महिलाएं हैं जो आज अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बनाकर सभी के सामने मिसाल बनकर खड़ी हैं. नेत्रहीन होने के बावजूद ये महिलाएं अपना कैफ़े चला रही हैं. जी हां, दिल्ली के हौज़ खास एन्क्लेव (Hauz khas Enclave) में स्थित ब्लाइंड बेक कैफ़े (Blind Bake Cafe) में नेत्रहीन महिलाएं बेकिंग कर रही हैं और आपको अलग-अलग डिश परोस रही हैं. ब्लाइंड बेक कैफ़े का मेन्यू भी ब्रेल लिपि में तैयार किया गया है. 

आपको बता दें, इन महिलाओं को नेशनल एसोसिएशन फ़ॉर ब्लाइंड वीमेन (NAB) द्वारा ट्रेनिंग दी गयी है और 15 नवंबर से इसे लोगों के लिए खोल दिया गया है. 

तो चलिए पढ़ते हैं नेशनल एसोसिएशन फ़ॉर ब्लाइंड वीमेन (NAB) की डायरेक्टर शालिनी खन्ना से हमारी बातचीत के मुख्य अंश...

3 साल पहले आया कैफ़े खोलने का ख्याल 

इसकी शुरुआत 3 साल पहले से हुई. शालिनी बताती हैं कि लगभग तीन साल पहले उन्होंने सोचा कि कोई ऐसी जगह होनी चाहिये जहां नेत्रहीन महिलाओं के लिए एक कैफ़े खोला जाए और जहां से वह लोगों के बीच रह सकें. 

Blind Bake Cafe
Blind Bake Cafe

चाकू पकड़ना और आग का इस्तेमाल सीखना था सबसे बड़ी चुनौती

सबसे बड़ी समस्या नेत्रहीन महिलाओं को चाकू पकड़ना और गैस (आग) का इस्तेमाल करना सिखाना था. इसके लिए स्पेशल बेकर को बुलवाया गया, जिन्होंने सभी महिलाओं को प्रोफेशनल ट्रेनिंग दी. 

समाज के बीच रहना है जरूरी, कई जगह है सुविधाओं का अभाव 

शालिनी कहती हैं, "नेत्रहीन महिलाओं को एक्सपोज़र की जरूरत है. जब कोई कैफ़े किसी ऐसी लोकैलिटी में होगा जहां से वह लोगों के बीच रह सकेंगी, सीख सकेंगी और लोग जब उन्हें अपने बीच देखेंगे तो समझेंगे कि वह भी समाज का ही हिस्सा हैं. नेत्रहीन महिलाओं के लिये सबसे जरूरी लोगों के बीच रहना है, इससे उनके आत्मबल को भी बल मिलता है. लोग जब उन्हें अपने आसपास देखेंगे तभी नेत्रहीन लोगों के लिए बैरियर फ्री रास्ते बनाए जाएंगे. अभी आमजन इन्हें अपने बीच नहीं देख पाते हैं. इसलिए ज्यादातर जगह एक्सीसिबिल्टी और सुविधाओं का काफी अभाव है." 

प्रॉफिट कामना नहीं है मकसद

वह कहती हैं कि जिस जगह यह कैफ़े खुल रहा है वहां आसपास कोई कैफ़े नहीं है, इससे आसपास के लोग वहां आ सकेंगे. सबके लिए कंपीटिशन भी जरूरी है. हालांकि अभी हमारा मकसद प्रॉफिट कमाना नहीं है. हम केवल उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करना चाहते हैं. यहां से ये महिलाएं आगे किसी भी दूसरे रेस्टॉरेंट या कैफे में कहीं भी नौकरी पा सकेंगी. हम इन्हें बस एक रास्ता दिखाना चाहते हैं. 

ब्रेल लिपि में होगा मेन्यू
 
अब अगर कैफ़े के मेन्यू की बात करें, तो ये अपने आपके खास होगा. लाइंड बेक कैफ़े का मेन्यू (Menu) ब्रेल लिपि में होगा. मेन्यू में नीचे की तरफ अंग्रेजी में लिखा होगा और ऊपर की तरफ ब्रेल लिपि में लिखा होगा. आपको बता दें, ब्रेल पद्धति एक तरह की लिपि है, जिसको विश्व भर में नेत्रहीनों द्वारा पढ़ने और लिखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस छूकर व्यवहार में लाया जाता है. 

देश की अकेली ऐसी संस्था जहां सिखाया जाता है ब्रेस्ट कैंसर रिडक्शन

शालिनी खन्ना कहती हैं कि NAB में 18 से अधिक उम्र की महिलाओं को कुकिंग (Cooking) सिखाई जाती है, जिससे उनमें एक स्किल डेवेलप हो पाए. ब्रैस्ट कैंसर रिडक्शन भी सिखाया जाता है. ये भारत की अकेली ऐसी संस्था है जहां महिलाओं को इसके लिए ट्रेन किया जाता है. 

15 नवंबर से लोगों के खोल दिया गया है कैफ़े
15 नवंबर से लोगों के खोल दिया गया है कैफ़े

सभी को है जिंदगी जीने का अधिकार: शालिनी

लोगों को संदेश के तौर पर शालिनी कहती हैं कि वह लोगों से बस इतना चाहती हैं कि सभी नेत्रहीन लोगों का सम्मान करें, उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखें. वह कहती हैं, "जिंदगी जीने का अधिकार सभी को है. सबके प्रयासों से हम उनका जीवन भी आसान बना सकते हैं. बस इसके लिए सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है." 

कहते हैं आंखों के बगैर जीवन में कोई रंग नहीं रह जाते, लेकिन ब्लाइंड बेक कैफ़े आज कितनी सारी महिलाओं के जीवन में रंग भर रहा है और इन्हें हौसला दे रहा है कि जीवन में असली उड़ान अभी बाकी है, "अभी तो नापी है सिर्फ मुट्ठी भर जमीन, अभी तो नापने के लिए सारा आसमान बाकी है."