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तीन दोस्तों ने नौकरी छोड़ किसानों के लिए लॉन्च किया ऐप; 30 करोड़ रुपए का है टर्नओवर

29 साल के हर्षित फार्मर बैकग्राउंड से ताल्लुक रखते हैं. एग्रीकल्चर से ग्रेजुएशन करने के बाद IIM अहमदाबाद से 2014 में MBA की डिग्री हासिल की. उसके बाद उन्होंने कुछ सालों तक कई कंपनियों में नौकरी की पर उनका मन नहीं लगा. फिर साल 2016 में हर्षित ने IIM अहमदाबाद के अपने दो दोस्तों के साथ इस काम की नींव रखी.

Three friends launch app for farmers Three friends launch app for farmers
हाइलाइट्स
  • किसानों के लिए ग्रामोफोन नाम का एक ऐप लॉन्च

  • एग्रीकल्चर एक्सपर्ट से पूछें सवाल

हमारा भारत देश एक कृषि प्रधान देश है. यहां की तकरीबन 55 से 60 प्रतिशत जनसंख्या कृषि क्षेत्र से जुड़ी हुई है और खेती-किसानी पर ही निर्भर है. लेकिन इनमें से बहुत कम ही किसान ऐसे हैं जो खेती की हर बारीकियों से परिचित हों. ज्यादातर किसानों को खेती के बारे में सही जानकारी नहीं होती. खेती के लिए मिट्टी कैसी हो, मिट्टी के हिसाब से किन-किन फसलों की खेती की जाए? खेती-किसानी से जुड़ी सरकार की कौन-कौन सी योजनाएं हैं और उनका लाभ कैसे लिया जा सकता है?  ऐसे कई सवालों के जवाब किसानों को नहीं मिलते. इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए यूपी के मेरठ जिले में रहने वाले हर्षित गुप्ता ने एक ऐसा ऐप लॉन्च किया जिसके जरिए किसानों को खेती से जुड़े लगभग हर सवालों के जवाब मिल जाएंगे.   

 

शुरुआत कैसे हुई: 

29 साल के हर्षित फार्मर बैकग्राउंड से ताल्लुक रखते हैं. एग्रीकल्चर से ग्रेजुएशन करने के बाद IIM अहमदाबाद से 2014 में MBA की डिग्री हासिल की. उसके बाद उन्होंने कुछ सालों तक कई कंपनियों में नौकरी की पर उनका मन नहीं लगा. फिर साल  2016 में हर्षित ने IIM अहमदाबाद के अपने दो दोस्तों के साथ इस काम की नींव रखी.    

दो सालों तक जमीन पर किसानों के साथ काम करने के बाद ग्रामोफोन नाम का एक ऐप लॉन्च किया. जो किसान स्मार्टफोन यूज नहीं करते उनके लिए टोल फ्री नंबर भी शुरू किया. काम को धीरे-धीरे आगे बढ़ाते हुए 5 साल के अंदर हर्षित की टीम के साथ देशभर से 8 लाख से ज्यादा किसान जुड़ गए.   
 


कैसे होता है काम और जानें ऐप के फायदे:  
  
हर्षित की टीम तीन स्तरों पर काम करती है.  एप, टोल फ्री नंबर और ग्राउंड पर. किसान अपने समाधान के लिए इनमें से कोई भी मार्ग चुन सकते हैं.

 
फायदे

  • इस मुहिम के जरिए किसान अपनी किसी भी समस्या का समाधान एग्रीकल्चर से जुड़े एक्सपर्ट से पूछ सकते हैं. 
  • किसान और व्यापारी एक दूसरे से जुड़ सकते हैं. अगर किसी किसान को अपनी फसल या उत्पाद बेचना है तो वह ऐप के जरिए मार्केटिंग कर सकता है. 
  • किसान, खेती से जुड़ा कोई भी प्रोडक्ट खरीद सकता है. 

    

इस मुहिम से ऐसे जुड़ें 

जिन किसानों के पास स्मार्टफोन है, वह ऐप के जरिए जुड़ सकते हैं. वहीं जिन किसानों के पास स्मार्टफोन नहीं है, वे टोल फ्री नंबर के जरिए जुड़ सकते हैं.  इसके अलावा कोई भी किसान सेंटर या ऑफिस के जरिए मेंबर बन सकता.  

जानें  बिजनेस मॉडल 

किसान जो ऑनलाइन या ऑफलाइन प्रोडक्ट खरीदते हैं ज्यादातर रेवेन्यू वहां से होता है. इसके अलावा ऐप के जरिए जो किसान और व्यापारी आपस में खरीद-बिक्री करते हैं, उससे भी कमीशन के जरिए कमाई होती है. कुल मिलाकर अभी सालाना 25 से 30 करोड़ रुपए टर्नओवर है.