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बचपन गरीबी में बीता, हैंडीक्राफ्ट साड़ियों का स्टार्टअप शुरू किया, सालाना 60 करोड़ टर्नओवर

पल्लवी बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हैं और उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. पुणे में उन्होंने हैंडीक्राफ्ट साड़ियों का स्टार्टअप चलाती हैं. अब वो सालाना 60 करोड़ रुपये उनका टर्नओवर है.

पल्लवी मोहाडीकर की सफलता की कहानी पल्लवी मोहाडीकर की सफलता की कहानी
हाइलाइट्स
  • हैंडीक्राफ्ट साड़ियों का स्टार्टअप शुरू किया

  • सालाना 60 करोड़ टर्नओवर, 17 देशों में मार्केटिंग

नागपुर की रहने वाली पल्लवी मोहाडीकर की सफलता की कहानी हर किसी की जुबान पर है. पल्लवी बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हैं और उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. जिसकी वजह उन्हें पढ़ाई के दौरान कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा.  IIM लखनऊ से  MBA करने के दौरान पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए वह पार्ट टाइम चिकनकारी साड़ियों की मार्केटिंग करती थीं. 

5 बुनकरों के साथ की स्टार्टअप की शुरुआत

वो वहां के लोकल कारीगरों से साड़ियां खरीदकर सोशल मीडिया के जरिए ऑनलाइन मार्केटिंग करती थीं.  इससे जो कुछ उन्हें पैसे मिलते थे, उसे वो अपनी जरूरतों को पूरा करती थीं. इसके बाद उन्होंने पुणे में अपना खुद का कारोबार शुरू किया और करोड़ों कमाने लगी.

सालाना 60 करोड़ रुपये का टर्नओवर

उनके पास चंदेरी, बनारसी, चिकनकारी, कोसा सिल्क सहित अलग-अलग दर्जनों वैराइटी की साड़ियों का कलेक्शन है. देशभर से उनके साथ 1800 से ज्यादा बुनकर जुड़े हैं.  भारत के अलावा 17 अन्य देशों में भी वे अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर रही हैं.  अभी हर महीने 10 हजार से ज्यादा उनके पास ऑर्डर्स आ रहे हैं और सालाना 60 करोड़ रुपये  उनका टर्नओवर है.  

पल्लवी ने IIM लखनऊ से MBA की पढ़ाई की है

पल्लवी और उनके पति डॉक्टर अमोल पटवारी मिलकर ये स्टार्टअप संभालते हैं.  उनकी टीम में 35 लोग काम करते हैं. काम के मॉडल को लेकर पल्लवी बताती हैं कि हमने देश के अलग-अलग राज्यों में कारीगरों से टाइअप कर रखा है. हम उन्हें अपनी डिमांड के मुताबिक डिजाइन, सैंपल और लिस्ट भेज देते हैं.  इसके बाद वे तय वक्त पर प्रोडक्ट तैयार करके हमारे ऑफिस में भेज देते हैं.  बदले में उनकी जो भी लागत या कीमत होती है, उसका हम भुगतान कर देते हैं.