गुजरात के आईएएस अधिकारी ने उदारता की मिसाल पेश की है. गुजरात के दाहोद जिले में एक आईएएस अधिकारी ने अपने बेटे का एडमिशन वहां के लोकल आंगनवाड़ी में करवाया है. दाहोद की जिला विकास अधिकारी नेहा कुमारी ने वीआईपी कल्चर को छोड़ अपने बेटे को इस आंगनवाड़ी में भेजना मुनासिब समझा है. ताकि वो यहां बाकी बच्चों के साथ घुले-मिले, पढ़े-लिखे, खेले-कूदे और आगे बढ़े.
आंगनवाड़ी की कमी को पूरा करना भी है मकसद
डीडीओ नेहा की इस पहल के पीछे एक खास मकसद ये भी है कि इसके जरिए आंगनबाड़ी में जो कमी हो. उसके बारे में पता चल सके, ताकि उसे दूर करने की कोशिश हो. दाहोद ही नहीं, बल्कि गुजरात में ये पहली बार हुआ है कि एक आईएएस अधिकारी ने अपने बच्चे का एडमिशन आंगनवाड़ी में कराया है. ऐसा कर नेहा कुमारी ने मिसाल कायम की है.
आंगनवाड़ी में फ्री हैं सुविधाएं
आंगनवाड़ी में सभी सुविधाएं फ्री हैं. यहां आमतौर पर गरीब लोगों के बच्चे तो होते हैं. लेकिन ज्यादातर अधिकारी अपने बच्चों को यहां भेजने से बचते ही हैं. लेकिन इसके स्तर को बेहतर बनाकर लोगों को आकर्षित किया जा सकता है. वैसे दाहोद के छापरी गांव के नंद घर नाम के इस आंगनवाड़ी में बेहतर सुविधाएं भी हैं और बच्चों का अच्छे से ध्यान भी रखा जाता है.
बच्चों को मिलता है खाना
यहां की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मीनाबेन दूधिया ने बताया कि हमारे आंगनवाड़ी में 95 बच्चों का रजिस्ट्रेशन है. जिसमें 40 बच्चे नियमित आते हैं. यहां सुबह गर्म नाश्ता, दोपहर में खाना और फिर नाश्ता मिलता है. इस आंगनवाड़ी में आम लोगों के बच्चों के साथ एक आईएएस अधिकारी के बच्चे का होना. चर्चा का विषय बना हुआ है. डीडीओ नेहा कुमारी ने जो ये पहल की है. उससे बाकियों के प्रेरणा लेने की उम्मीद तो कम से कम की ही जा सकती है.