वैक्सीनेशन के मोर्चे पर भारत ऐतिहासिक 100 करोड़ के आंकड़े के बेहद करीब पहुंच चुका है. यानी 100 करोड़ के जादुई आंकड़े को छूने का फासला तेजी से घटता जा रहा है. टीकाकरण की रफ्तार को देखते हुए 1 अरब वैक्सीनेशन की गुड न्यूज किसी भी क्षण मिल सकती है. कोरोना को लेकर पाबंदियां अब भले ही घट रही हों, बंद दरवाजे भले ही खुल रहे हों. लेकिन कोरोना के खिलाफ भारत का युद्ध जारी है. सवाल है कि क्या वैक्सीन की दो डोज काफी है? दरअसल दुनिया में इस वक्त बूस्टर डोज को लेकर चर्चा तेज होती जा रही है.
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने कमजोर इम्यून वाले लोगों को बूस्टर डोज की सिफारिश की है. तो क्या भारत में भी बूस्टर डोज लगाए जाने की संभावना है?
अब तक भारत के कई राज्यों में 100 फ़ीसदी आबादी को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज़ लगाई जा चुकी है. पूरे देश में दूसरी डोज भी तेजी से लगाई जा रही है. ऐसे में सवाल ये भी उठ रहा है कि क्या भारत को बूस्टर डोज की आवश्यकता है. सवाल इसलिए कि WHO के वैक्सीन सलाहकार समूह ने सिफारिश की है कि जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर है, उन्हें एक अतिरिक्त डोज लगानी चाहिए. क्योंकि वैक्सीनेशन के बाद इन लोगों की वैक्सीन को लेकर रिस्पॉन्स करने की संभावना कम होती है.
सभी वयस्कों को वैक्सीन देना है प्राथमिकता: ICMR
बता दें, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक प्रोफ़ेसर बलराम भार्गव ने हाल ही में हुई प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि इस वक़्त देश की प्राथमिकता सभी वयस्क आबादी को वैक्सीन देना है. अभी भारत बूस्टर डोज पर नहीं सोच रहा है. प्रोफेसर बलराम भार्गव ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा, “आज समय की मांग देश की पूरी वयस्क आबादी को दो-डोज का टीकाकरण कराना है. बूस्टर डोज की बात फिलहाल सही नहीं है.”
55 फीसदी बच्चों में पायी गयी है एंटीबॉडी
गौरतलब हो कि पूरी दुनिया के साथ-साथ भारत में भी बूस्टर डोज को लेकर चर्चा चल रही है. जहां एक ओर सरकार की प्राथमिकता वयस्क आबादी को दोनों डोज दिलाने की है, वहीं 18 साल से कम उम्र के बच्चों को भी कोविड के खिलाफ सुरक्षा कवच मुहैया कराने पर जो दिया जा रहा है. जुलाई में आए चौथे सीरो सर्वे के नतीजों के अनुसार, 55 फीसदी बच्चों में एंटीबॉडीज बन चुकी हैं .
WHO से कोवैक्सीन को हरी झंडी मिलने का इंतजार
तीसरी लहर की आशंका के बीच, WHO से कोवैक्सीन (Covaxin) को हरी झंडी मिलने का भी बेसब्री से इंतजार हो रहा है. मुमकिन है कि 26 अक्टूबर तक WHO की टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप की बैठक में कोवैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिल जाएगी. भारत के लिए ये भी एक अहम उपलब्धि होगी.