इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021 के मंच से किसान नेता राकेश टिकैत ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. टिकैत ने कहा कि कृषि उपज के लिए एमएसपी (न्यूनतम बिक्री मूल्य) केवल कागजों पर मौजूद है. कोई भी उत्पाद एमएसपी पर न ही खरीदा गया है और ही खरीदा जाएगा. इसके बाद जब टिकैत से पूछा गया कि किसान केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में क्यों बैठे हैं? इस पर उन्होंने कहा, "हमें अपनी फसलों का उचित मूल्य मिल जाए. जो भारत सरकार ने कहा कि एमएसपी थी, है और रहेगी वो सिर्फ कागजों में न रहकर धरातल पर मिल जाए इसलिए हम 11 महीने से सड़कों पर बैठे हैं." इसके अलावा उनकी मांग है कि किसान इतने महीने से सड़को पर बैठे हैं. देश में 750 किसानों की मौत हो गई इस पर एक बार प्रधानमंत्री मोदी को सांसद में कुछ बोलना चाहिए.
टिकैत ने कहा, "मंडियां फसल बेचने का एक मंच हैं. मंडियां खरीद की कीमत तय नहीं करती हैं. अगर मंडियों को बंद करने से लाभ होता, तो बिहार को सालों पहले फायदा होता." टिकैत के आरोपों का जवाब देते हुए मंच पर मौजूद मेरठ से बीजेपी सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी कई मौकों पर किसानों के मुद्दों पर बात कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि 2014 के बाद से नीतिगत फैसलों को लेकर मोदी सरकार ने किसानों को विश्वास में लिया है. राजेंद्र अग्रवाल ने कहा, "किसानों को विकल्प दिए गए हैं, वो अब मंडियों के अंदर और बाहर बेच सकते हैं." इस पर किसान नेता राकेश टिकैत इस बात पर अड़ गए कि आप हमें जगह बता दीजिए बाहर हम कहां अपने अनाज को बेचें.
वहीं लखीमपुर खीरी में बीजेपी कार्यकर्ताओं की लिंचिंग को टिकैत ने रिएक्शन बताया. उन्होंने कहा कि ये तो लोगों का रिएशन था कि उन्होंने मारा इस पर आप जांच करवाइए तभी फैसला होगा. राकेश टिकैत ने कहा, "लखीमपुर खीरी में चार किसानों की कारों के काफिले के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या एक कार्रवाई की प्रतिक्रिया है. मैं हत्याओं में शामिल लोगों को अपराधी नहीं मानता." टिकैत ने लखीमपुर नरसंहार के दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की.
राकेश टिकैत के नेतृत्व वाला संगठन भारतीय किसान संघ (बीकेयू) संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के 40 विषम किसान संगठनों में से एक है. किसान संगठन केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन की अगुवाई कर रहा हैं.