अब तारीख पर तारीख की सच्चाई जनता को भी पता चलेगी. किसी मामले की सुनवाई आखिर क्यों टलती जाती है? किसी को फौरन बेल और किसी को जेल कैसे होती है? अदालतों में क्या होता है, कैसे होता है? ये सारी जानकारी जनता को लाइव देखने को मिल सकती है, वो भी कुछ वर्षों के भीतर ही. बहुत जल्दी देशभर की अदालतों में होने वाली रोजमर्रा की कार्यवाही जनता के सामने होगी. तकनीक आधारित पारदर्शिता आज के जमाने की जरूरत है. आखिर जनता को यह जानने का पूरा अधिकार है कि न्यायालयों में क्या चल रहा है और काम कैसे चलता है. सुनवाई टलती है तो क्यों?
सुप्रीम कोर्ट की ई कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने कहा कि देश की अदालतों में क्या हो रहा है, कैसे हो रहा है...ये सब जानने का बुनियादी हक देश की जनता को है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने एक समारोह में कहा कि ई कमेटी ने अदालतों की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए नियम कायदे बना लिए हैं. आज के दौर में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व बढ़ाने के लिए यह सब बुनियादी जरूरत है. सुनवाई किसी भी कोर्ट में हो पूरा देश उसे देख सकता है. बस अब लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए सार्वजनिक होने वाले डाटा की प्राइवेसी और दिव्यांग फरियादियों तक अदालतों की पहुंच को कैसे सुगम बनाया जाए, इसके उपाय किए जा रहे हैं.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने लाइव स्ट्रीमिंग के साथ साथ अदालतों में दस्तावेजों और रिकॉर्ड के डिजिटलाइज्ड तरीके से संरक्षण पर भी जोर दिया. फैसले, आदेश और रजिस्ट्री से संबंधित दस्तावेजों के साथ साथ तीसरे चरण में ईकोर्ट्स के दस्तावेजों के संरक्षण की बात भी कही. देशभर की अदालतों में करीब 3100 करोड़ दस्तावेजों को डिजिटल फॉर्म में संरक्षित करना बड़ी चुनौती है.
ई कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'योजना है कि दो महीने बाद यानी जनवरी 2022 तक सभी हाईकोर्ट में कम से कम सरकार की ओर से दायर मुकदमों की ई फाइलिंग सुनिश्चित की जाए. क्योंकि देशभर की अदालतों में सरकार ही सबसे बड़ी मुकदमेबाज है.'
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि लंबित मुकदमों के पहाड़ की चिंता के बीच कई उपलब्धियां भी न्यायपालिका के खाते में हैं जिन पर गर्व किया जा सकता है. नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड (NJDG) के आंकड़ों के मुताबिक देशभर की अदालतों में चार करोड़ मुकदमे लंबित हैं तो 11 करोड़ मुकदमे निपटाए भी गए हैं. विभिन्न हाईकोर्ट्स में 56.2 लाख मुकदमे लंबित हैं तो 3.17 करोड़ मुकदमों का निपटारा भी किया गया है.
अब कोविड संकट काल में जिला और सत्र अदालतों में 2.18 करोड़ मुकदमे दर्ज किए गए जबकि इसी डेढ़ साल की अवधि में 1.48 करोड़ मुकदमे निपटाए गए.