
त्रिपुरा के एक छोटे से गांव दासपारा ने मिसाल कायम की है. इस गांव में रहने वाले 64 परिवारों ने एकजुट होकर इको फ्रेंडली खेती को अपनाया. इतना ही नहीं, इन्होंने अपने गांव को भारत का पहला 'बायो विलेज' बना दिया. इस गांव की 75 फीसदी आबादी खेती और मछली पालन पर निर्भर है. चलिए इस गांव के बारे में बताते हैं.
क्या है बायो विलेज कॉन्सेप्ट-
बायो विलेज 2.0 की की स्थापना 2018 में पहली बार की गई थी. जिसका मकसद जैविक खेती को बढ़ावा देना और गांवों को टिकाऊ और आत्मनिर्भर बनाना है. हालांकि, समय के साथ इस प्रोजेक्ट का दायरा बढ़ा और इसमें पर्यावरण के नजरिए से कई बदलाव किए गए. जिसमें जानवरों के बेहतर नस्लों का इस्तेमाल, सौर ऊर्जा से चलने वाले इक्यूपमेंट, ऊर्जा की बचत करने वाले इक्यूपमेंट और बायोगैस प्लांट शामिल हैं.
खेती-किसानी से जुड़ी है 75 फीसदी आबादी-
दासपारा के 75 फीसदी आबदी कृषि और मछली पालन पर निर्भर हैं. ग्रामीणों का मकसद ऊर्जा के स्रोतों का इस्तेमाल करना, पर्यावरण के दायरे में खेती करना और अपनी गांव की जिंदगी बेहतर बनाना है.
सौर ऊर्जा से चलने वाले इक्यूपमेंट, बायोगैस सिस्टम और जैविक उर्वरकों की शुरुआत ने केमिकल फर्टिलाइजर्स और फॉसिल फ्यूल की आवश्यकता को कम कर दिया है. जिसके चलते ना सिर्फ गांववालों को फायदा हुआ है, बल्कि पूरे पर्यावरण को भी फायदा हुआ है. यही कारण है कि गांववाले अब स्वस्थ मिट्टी, फसलों की बेहतर पैदावार और एक अच्छी जीवन शैली जी रहे हैं.
साफ हवा में सांस ले रहे हैं गांववाले-
जैविक खेती के अलावा गांव के लोग घरों और खेतों को स्वच्छ ऊर्जा से संचालित कर रहे हैं. पूरे गांव में सौर पैनल और बायोगैस सिस्टम लगाए गए हैं. ऊर्जा से चलने वाले पंपों से खेतों की सिंचाई होती है. इसके गांव में पॉल्यूशन भी कम हो रहा है. गांव के लोग साफ हवा में सांस ले रहे हैं.
गांववालों की बढ़ी इनकम-
इस पहले ने किसानों को मशरूम की खेती, जैव खाद बनाने और मधुमक्खी पालन जैसे तरीके सिखाकर उनको सशक्त बनाया है. इस सिस्टम ने गांववालों की हेल्थ पर पॉजिटिव असर के साथ दासपारा के निवासियों को आर्थिक रूप से बढ़ावा दिया है. जहां एक तरफ टिकाऊ खेती के तरीकों में बढ़ोतरी हुई, वहीं दूसरी तरफ यहां परिवारों की आय में भी बढ़ी है. इस गांव में हर फैमिली की अतिरिक्त कमाई हर महीने 5 हजार से 15 हजार रुपए है.
अब त्रिपुरा सरकार ऐसे 100 गांव बनाने की योजना बना रही है. जिनमें से अब तक 10 बायो-विलेज स्थापित किये जा चुके हैं.
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