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निराशा को नहीं आने दिया कभी आड़े; Physically Challenged होने के बाद भी बने लोगों की आवाज़, जानिए कौन है वो शख्स जिसने दूसरों के लिए किया जीवन समर्पित!

दसवीं पास जसवीर कुमार सिंह 90 प्रतिशत फिजिकली चैलेंज्ड हैं. वह अन्य दिव्यांगों के लिए सरकार के बड़े अधिकारियों को पत्र लिखते हैं. समाज में लोगों के लिए किए जा रहे उनके कार्यों के कारण उन्हें ज़िला परिषद का सदस्य भी बनाया गया है.

Physically Challenged (Credits: AI) Physically Challenged (Credits: AI)
हाइलाइट्स
  • केवल दसवीं पास है जसवीर कुमार सिंह

  • जनता के लिए लिखते हैं बड़े-बड़े अधिकारियों को पत्र

  • 90 प्रतिशत शरीर से हैं विकलांग

बिहार के जसवीर कुमार सिंह उन लोगों के लिए एक आशा की किरण की तरह हैं, जो फिजिकली चैंलेंज्ड हैं. ज्यादातर दिव्यांग लोगों का जीवन निराश से भरा होता है. लेकिन जसवीर उनमें से हैं जो 90 प्रतिशत फिजिकली चैलेंड हैं लेकिन फिर भी समाज में औरों के लिए उदाहरण बन रहे हैं. वह समाज में उन लोगों की मदद कर रहे हैं जो फिजिकली चैलेंज्ड हैं. जसवीर के जीवन का लक्ष्य को दिव्यांग लोगों को आत्मनिर्भर और खुश देखना है. आइए बताते हैं कि कैसे जसवीर कर रहे हैं समाज में दिव्यांग लोगों की मदद.

ऊंची पहुंच रखते हैं जसवीर
बिहार के वैशाली ज़िले के रहने वाले जसवीर अपने कामों को पूरा करवाने के लिए जिला मजिस्ट्रेट और अन्य अधिकारियों तक पहुंच जाते हैं. वह अपना सारा सफर ट्राइसाइकिल पर तय करते हैं. बता दें कि जसवीर केवल 10वीं पास हैं. उन्होंने बाद में 12वीं की पढ़ाई करने का प्रयास किया लेकिन पारिवारिक कारणों की वजह से पढ़ाई छोड़नी पड़ी.

जसवीर ने शुरू किया 'जनता दरबार'
कुछ साल पहले ही जसवीर ने फिजिकली चैलेंज्ड लोगों के लिए जनता दरबार की शुरुआत की. इस जनता दरबार को उन्होंने अपने गांव में आयोजित किया. जनता दरबार की मदद से उन्होंने उन हज़ारो लोगों की मदद की जो डिलेब्लिटी सर्टीफिकेट पाने के लिए भटक रहे थे. 

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जसवीर ने बताया कि केवल हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र में ही 30,000 के करीब लोग फिजिकली चैलेंज्ड हैं. जसवीर उन दिव्यांगों की भी एप्लीकेशन लिखने में मदद करते हैं, जिन्हें सरकार की तरफ से पेंशन मिलती है. वे इस बात का ध्यान रखते हैं कि पेंशन तय समय पर मिलती रहे और अगर देरी होती है तो वह अधिकारी से वजह भी पूछते हैं.

2011 में 'वैशाली विकलांग कल्याण संघ' का किया गठन
दिव्यांगों की परेशानियों का हल निकालने के लिए ज़िले में 'वैशाली विकलांग कल्याण संघ' का गठन किया गया. संस्थान ने जिलाधिकारियों की मदद से दिव्यांगों को बैसाखी और ट्राइसाइकिल बांटीं. साथ ही संघ की मदद से 500-600 लोगों को फिजिकली चैलेंज्ड सर्टिफिकेट बांटा.

जसवीर ने बताया कि उन्हें ट्राइसाइकिल पहली बार 1996 के एक कैंप में दी गई. उससे पहले वह 3 किलोमीटर दूर अपने स्कूल पैदल जाते थे.

कैसे हुए जसवीर प्रेरित?
दिव्यांगों के लिए अपना जीवन समर्पित करने का ख्याल उन्हें तब आया जब कैंप में लोगों ने उन्हें पीछे धकेल दिया. उन्हें महसूस हुआ कि उनके जैसे अनेक लोग इस तरह के मौके से वंचित रह जाते होंगे. जिसके बाद उनके दिव्यांगों के लिए संगठन तैयार किया.

पहचान मिलने के बाद बने जिला परिषद सदस्य
2016 में उनके किए जा रहे प्रयासों को देखा गया और उन्हें जिला परिषद का मेंबर बनाया गया. उनके सामाजिक कार्यों को नीतीश कुमार ने भी सराहा है. साथ ही उन्हें 'कर्म योगी' के अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है.