विदेश में नौकरी कर रहे 49 साल के संजय गुप्ता को अखबार के माध्य से जब यह पता चला कि उनका होमटाउन असम के तिनसुकिया जिले को सबसे गंदा शहर है. तो उन्हें काफी तकलीफ हुई. फिर उन्होंने साल 2018 में नौकरी छोड़ी दी और अपने शहर की गंदगी मिटाने की मुहिम में जुट गए. वापस वतन लौटने पर उन्होंने अपने जिले का कचरा साफ करने की मुहीम चलाई और लोगों को जागरुक किया.
विदेश में नौकरी छोड़ घर-घर इकट्ठा करने लगे कचरा
धीरे-धीरे उनकी मुहीम रंग लाई और असम के दूसरे जिले भी कचरा मुक्त होने लगे. बदलाव की इस कहानी को गढ़ने वाले शख्स का नाम संजय गुप्ता है, जो लंबे वक्त से वेस्ट मैनेजमेंट पर काम कर रहे हैं. संजय गुप्ता की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई गांव में ही हुई, उसके बाद बैचलर्स की पढ़ाई के लिए वे इलाहाबाद चले गए. इसके बाद उन्होंने मास्टर्स और फिर पीएचडी की डिग्री हासिल की. संजय का कहना है कि JNU में पढ़ाई के दौरान ही उनकी वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर मेरी दिलचस्पी बढ़ने लगी थी.
एक साल में पूरे शहर को कर दिया साफ
2013 तक उन्होंने अलग-अलग संस्थानों के लिए वेस्ट मैनेजमेंट और इससे जुड़े प्रोजेक्ट पर काम किया. इसके बाद वो स्विट्जरलैंड चले गए. तीन साल पहले जब मुझे अपने होमटाउन की गंदगी के बारे में पता चला तो उन्होंने राज्य की सरकार और जिले के अधिकारियों को लेटर लिखा. उन्हें बताया कि वो वेस्ट मैनेजमेंट पर काम कर रहा हैं और अब अपने राज्य और शहर के लिए कुछ करना चाहता हैं.
संजय गुप्ता ने किया है वेस्ट मैनेजमेंट का कोर्स
होटल और दुकानों के बाहर वेस्ट का ढेर लगा रहता था. बहुत कम लोग ही अवेयर थे. इसके बाद मैं नगर निगम के अधिकारियों से मिला और स्थानीय लोगों के साथ मिलकर अपनी एक टीम तैयार की. सबसे पहले उन्हें वेस्ट मैनेजमेंट की ट्रेनिंग दी. सूखे और गीले कचरे का फर्क बताया. हर तरह के कचरे को कैसे अलग करना है, इसकी प्रोसेस समझाई और फिर अपने काम में जुट गए. उनकी मेहनत धीर-धीरे रंग लाई और एक साल के अंदर ही शहर की आधी गंदगी साफ हो गई.