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Success Story: रंगाई के 20 साल पुराने पारंपरिक काम को बिजनेस में बदला, अब Abhishek Sengupta की हर महीने होती है इतनी कमाई

KARUANGAN Success Story: पश्चिम बंगाल के बीरभूम के रहने वाले अभिषेक सेनगुप्ता ने रंगाई के 20 साल पुराने पारंपरिक काम को बिजनेस में बदल दिया. इसके काम में उन्होंने MGIRI की मदद ली. उन्होंने अपने गांव में ही बिजनेस शुरू किया और आज हर महीने उनकी 50 हजार रुपए की कमाई होती है.

Abhishek Sengupta (Photo/Linkedin) Abhishek Sengupta (Photo/Linkedin)

20 सालों से एक परिवार रंगाई का काम था. लेकिन इस परिवार के एक युवक ने इस पारंपरिक काम को बिजनेस में बदल दिया. आज उस युवक की कमाई हर महीने करीब 50 हजार रुपए है. उस युवक का नाम अभिषेक सेनगुप्ता है. अभिषेक ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई भी नहीं की है. चलिए आपको अभिषेक की सफलता की कहानी बताते हैं.

अभिषेक ने कैसे शुरू किया बिजनेस-
अभिषेक सेनगुप्ता पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के एक छोटे से गांव Benepukur para के रहने वाले हैं. वो अपने रंगाई के पारिवारिक काम को बिजनेस में बदलना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने Mahatma Gandhi Institute for Rural Industrialization (MGIRI) की मदद ली. पहले अभिषेक ने फोन पर MGIRI से बात की और बिजनेस शुरू करने के लिए जानकारी हासिल की. इसके बाद वो खुद MGIRI पहुंचे और खादी व कपड़ा डिविजन के वैज्ञानिकों की टीम से मिले. अभिषेक ने अपने इलाके में खुद का बिजनेस शुरू करने की अपनी इच्छा के बारे में बताया.

MGIRI से मिली जरूरी जानकारी-
जब उनके बारे में पूछा गया तो पता चला कि उन्होंने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई भी नहीं की है. वो एक ऐसे परिवार से आते थे, जो पिछले 20 सालों से रंगाई का काम करता था. वो अपने पारिवारिक काम में आगे बढ़ना चाहते थे और खुद का बिजनेस शुरू करना चाहते थे.

अभिषेक जब पहली बार MGIRI गए तो उन्होंने अपने बिजनेस के बारे में बुनियादी जरूरतों को जाना. इसके साथ ही उनको ये भी पता चला कि कैसे स्टेप बाई स्टेप आगे बढ़ना है. MGIRI की निगरानी में अभिषेक ने जून 2016 में 20 दिनों तक प्राकृतिक रंगों के साथ खादी की रंगाई पर स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग में शामिल हुए.

'करुंगन' नाम से शुरू किया बिजनेस-
MGIRI से ट्रेनिंग मिलने के बाद अभिषेक सेनगुप्ता ने बीरभूम के अपने गांव Benepukur para में अपना बिजनेस शुरू करने की तैयारी शुरू कर दी. वो अपना बिजनेस माइक्रो लेवल पर शुरू करने की योजना बना रहे थे. उनके परिवार ने इसके लिए फंड की व्यवस्था की. अगस्त 2016 में उन्होंने 'करुंगन' नाम से बिजनेस शुरू किया. जहां सूती और रेशमी कपड़ों की चीजों पर बाटिक, प्राकृतिक रंगाई, टाई एंड डाई, शिबोरी लहरिया का काम शुरू किया.

हर महीने 50 हजार रुपए की होती है कमाई-
अभिषेक सेनगुप्ता ने इस बिजनेस में 5 लोगों को रोजगार दिया और अपनी पारंपरिक रंगाई यूनिट शुरू की. इस यूनिट से रोजाना 100 मीटर कपड़ा या तो रंगा जा सकता है या प्रिंट किया जा सकता है. इन मैटरियल को स्थानीय मार्केट में आउटलेट के जरिए बेचा जाता है. अभिषेक सेनगुप्ता अपने सामान की मार्केटिंग के लिए देशभर में प्रदर्शनियों में हिस्सा लेते हैं. इसमें लोकल, जिला, स्टेट और नेशनल लेवल की प्रदर्शनियां शामिल हैं. 

इस बिजनेस से अभिषेक हर महीने करीब 50 हजार रुपए की कमाई करते हैं. वो लगातार MGIRI के खादी व कपड़ा डिवीजन के संपर्क में हैं और पारंपरिक रंगाई, छपाई, तकनीक, डिजाइन और मार्केटिंग को लेकर जानकारी हासिल करते हैं.

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