मार्च 2025 तक केरल को कचरा-मुक्त दर्जा प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम में, राज्य सरकार ने स्थानीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी के साथ हर स्थानीय निकाय में कम से कम एक शहर को वेस्ट मैनेजमेंट के मॉडल में बदलने की पहल शुरू की है. कस्बों को 'ग्रीन टाउन' टैग दिलाने के लिए, पंचायत दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन कर रही हैं जिसमें 100% कचरे को अलग-अलग इकट्ठा करना, कचरा न जलाना, सौंदर्यीकरण के प्रयास, कम्यूनिटी क्लीनअप एक्टिविटीज, लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट और कूड़ेदान लगाना शामिल है.
हरिता केरलम मिशन की उपाध्यक्ष टी.एन सीमा ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि राज्य के लगभग हर लोकल बॉडी ने इस पहल में साथ दिया है. सबसे पहले दिशानिर्देश तय किए गए और कचरा-मुक्त दर्जा देने के प्रयासों का मूल्यांकन करने के लिए एक टीम बनाई. यह मूल्यांकन एक सस्टेनेबल प्रोसेस होगी. कोई भी पब्लिक डंपिंग नहीं होनी चाहिए, गंदे पानी का उचित प्रबंधन किया जाना चाहिए और शहर के सभी थोक वेस्ट जनरेटरों में उचित वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम होना चाहिए. हरिता केरलम सेना के सदस्यों को नियमित अंतराल के दौरान कचरे को अलग करना और हटाना होगा.
820 कस्बों बने 'ग्रीन टाउन'
हरिता केरलम संगठन ने स्थानीय निकायों को 1 नवंबर की समय सीमा के साथ शुरुआती मिशन दिया था. मार्च 2025 तक केरल का लगभग हर शहर हरित शहर में तब्दील हो जाएगा. कन्नूर के पेरालास्सेरी ग्राम पंचायत का एक छोटा सा शहर मुन्नुपेरिया, 'ग्रीन टाउन' टैग हासिल करने जा रही 820 पंचायतों में से एक है. कन्नूर-कुथुपरम्बा स्टेट हाइवे के किनारे स्थित, मुन्नुपेरिया शहर को एक सुंदर और हरे-भरे शहर में बदल दिया गया है. यह यहां के लोगों की वजह से संभव हो पाया है.
पेरलास्सेरी पंचायत में हर दिन सफाई गतिविधियां सुबह 5 बजे शुरू होती हैं और एक घंटे तक जारी रहती हैं. नगर क्षेत्र इतना बेदाग है कि लोगों को कूड़ा-कचरा फैलाने का मन ही नहीं करेगा. बस शेल्टर का पुनर्निर्माण किया गया है. शहर को पूरी तरह नया रूप दिया गया है. अधिकारियों ने कहा कि उन्हें यहां के व्यापारियों का सहयोग भी मिला है. उन्होंने जैविक एवं अजैविक कूड़े को अलग-अलग एकत्र करने के लिए कूड़ेदान लगाए.