Facebook ने सोमवार को घोषणा की है कि वो तथाकथित मेटावर्स विकसित करने के लिए यूरोपियन यूनियन के देशों में 10,000 लोगों को नियुक्त करने की योजना बना रहा है. मेटावर्स एक ऑनलाइन दुनिया है जहां लोग वीआर हेडसेट का उपयोग करके वर्चुअल वातावरण में खेल, काम और संचार कर सकते हैं. फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग इस कंसेप्ट में महत्वपूर्ण किरदार निभा रहे हैं. फेसबुक इस डिजिटल वर्ल्ड को आने वाला भविष्य मानता है. इस कंसेप्ट के हकीकत में बदलने के बाद रियल और वर्चुअल दुनिया के बीच फर्क मिट जाएगा.
उदाहरण के लिए, मान लीजिए किसी व्यक्ति ने वर्चुअल रियलिटी ग्लासेज पहने हैं और मीलों दूर बैठा है. इस तकनीक के तहत उसे अहसास होगा कि वो अपने दोस्त से आमने-सामने बात कर रहा है, जबकि दोनों सिर्फ इंटरनेट के माध्यम से एक-दूसरे से जुडें होंगे.
क्या है मेटावर्स?
फेसबुक ने एक ब्लॉगपोस्ट में लिखा, 'इस मेटावर्स में नई रचनात्मक, सामाजिक और आर्थिक संभावनाओं के द्वार खोलने की क्षमता है और यूरोपियन इसकी शुरुआत से ही इसे आकार देने का काम करेंगे. आज हम अगले पांच सालों तक यूरोपियन यूनियन में 10,000 हाई स्किल्ड जॉब पैदा करने की घोषणा कर रहे हैं.' फेसबुक ने बताया है कि हायरिंग के तहत वो 'हाईली स्पेशलाइज्ड इंजीनियर्स' को शामिल करेगा. हालांकि इसके अलावा इस पर आगे कि कोई जानकारी नहीं दी गई है.
विवादों से निपटने की कोशिश?
यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब फेसबुक कई तरह के विवादों से निपटने की कोशिश कर रहा है. इसके प्रभाव को कम करने के लिए उसे विनियमन की मांग में वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है. पिछले महीने फेसबुक अपने एक पूर्व कर्मचारी के एक खुलासे के बाद विवादों में आ गया था. Frances Haugen नाम के इस कर्मचारी ने इंटरनल स्टडीज़ के तथ्यों को उजागर करते हुए यह बात लीक कर दी थी कि फेसबुक जानता था कि युवा लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर उसकी साइटों का बुरा प्रभाव पड़ सकता है. अब मेटावर्स का कंसेप्ट लाकर फेसबुक पॉलिसीमेकर्स के साथ अपने संबंध सुधारना चाहत है.
फेसबुक ने बताया कि वह जुलाई में से ही मेटावर्स पर काम करने के लिए एक प्रोडक्ट टीम बना रहा था. ये टीम फेसबुक रियलिटी लैब्स, संवर्धित वास्तविकता और आभासी वास्तविकता समूह का हिस्सा होगी.