
उत्तर प्रदेश के मथुरा में यमराज और उनकी बहन यमुना जी का प्राचीन मंदिर है. मंदिर को यमुना धर्मराज मंदिर के नाम से जाना जाता है. देश में भाई-बहन का यह एकमात्र मंदिर मथुरा शहर में स्थित है. ऐसी मान्यता है कि जो भी भाई-बहन इस मंदिर में भैया दूज यानी यम द्वितीया के दिन एकसाथ स्नान करते हैं उन्हें मृत्यु के बाद बैकुंठ की प्राप्ति होती है.
भैया दूज के दिन की विशेष मान्यता
मथुरा शहर के मध्य में विश्राम घाट पर स्थित यमराज और उनकी बहन यमुना जी का प्राचीन यमुना धर्मराज मंदिर स्थित है. बताया यह भी जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने कंस का वध करने के बाद इसी स्थल पर बैठकर विश्राम किया था. तभी से इस स्थान का नाम विश्राम घाट पड़ गया. श्रद्धालु सुबह से शाम तक यहां आया करते हैं. मां यमुना का पूजन करने के बाद श्रद्धालु यमुना धर्मराज मंदिर के दर्शन करते हैं. शुक्लपक्ष भैया दूज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु विश्राम घाट पर आकर यमुना जी में स्नान करते हैं.
स्नान के बाद भाई-बहन एक साथ मंदिर में दान-पुण्य करते हैं. भैया दूज को यम द्वितीया पर्व भी कहा जाता है. पौराणिक मान्यता है कि जो भी भाई-बहन इस विश्राम घाट पर स्नान करते हैं, मृत्यु के बाद उन्हें सीधे बैकुंठ की प्राप्ति होती है. उन्हें यमराज के प्रकोप से भी मुक्ति मिलती है.
क्या है पौराणिक मान्यता?
पौराणिक मान्यता है कि हजारों वर्ष पूर्व सूर्यपुत्र यमराज को पुत्री यमुना ने अपने घर बुलाया था. इसके बाद बहन ने भाई की खूब जमकर खातिरदारी की. बहन की खातिरदारी से प्रसन्न होकर भाई यमराज ने यमुना से एक वरदान मांगने को कहा. यमुना ने यमराज से कहा कि उनके पास तो सब कुछ है. वह कृष्ण की पटरानी हैं, उनके स्वामी संसार को सब कुछ देने वाले हैं. कोई भला मुझे क्या कुछ दे सकता है? फिर भी भाई यमराज ने अपनी बहन से कुछ भी मांगने के लिए कहा. तब बहन यमुना ने भाई से पूछा कि आप के प्रकोप से लोगों को मुक्ति कैसे मिलेगी?
यमराज ने बहन यमुना को दिया वरदान
इस पर यमराज ने कहा कि शुक्ल पक्ष की दूज के दिन जो भी भाई-बहन विश्राम घाट पर आकर स्नान करेंगे उन्हें मेरे प्रकोप से मुक्ति मिल जाएगी. वह मृत्यु के बाद सीधा बैकुंठ में वास करेंगे. इसके बाद यमराज और यमुना जी ने विश्राम घाट पर एक साथ स्नान किया. मंदिर में सबसे पहले सुबह यमुना जी और धर्मराज जी को स्नान कराया जाता है. उसके बाद मंदिर में आरती होती है और भोग लगाया जाता है.
दोपहर में कुछ देर के लिए मंदिर बंद हो जाता है और फिर शाम 4:00 बजे दोबारा खुलता है. मंदिर भक्तों के लिए रात 8:00 बजे तक खुला रहता है. भाई दूज के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं और यमुना मैया और धर्मराज जी के दर्शन कर अपने जीवन को धन्य मानते हैं.
माता यमुना की चार भुजा धारी प्रतिमा
धर्मराज मंदिर के पुजारी शैलेंद्र चतुर्वेदी बताते है कि मंदिर में भाई यमराज और बहन यमुना जी चार भुजा धारी प्रतिमा स्थापित है. यमुना जी एक हाथ में भोजन की थाली, दूसरे हाथ में कमल का पुष्प लिए तीसरे हाथ से भाई को टीका कर रही हैं और चौथे हाथ से भाई से वरदान ले रही हैं.
मथुरा से मदन गोपाल शर्मा की रिपोर्ट