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Inspiration Story: पुलिसवाले की घर की छत पर पाठशाला, गरीबों को मिलती है शिक्षा, 3 हजार से अधिक स्टूडेंट्स को मिली सरकारी नौकरी... Delhi Police के हेड कांस्टेबल Ajay Grewal की कहानी

अजय ग्रेवाल पिछले 9 साल से घर की छत पर कोचिंग चलाते हैं. इस कोचिंग में वो गरीब बच्चों को पढ़ाते हैं. इस कोचिंग से अब तक 3 हजार से अधिक स्टूडेंट्स सरकारी नौकरी पा चुके हैं. अजय ने साल 2009 में दिल्ली पुलिस में भर्ती हुए थे. उसके कुछ सालों बाद साल 2015 में उन्होंने कोचिंग पढ़ाना शुरू किया.

Ajay Grewal Ajay Grewal

हरियाणा के बहादुरगढ़ में 200 गज में एक घर है. इस घर की छत पर एक अनोखी पाठशाला चलती है. ये पाठशाला दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल अजय ग्रेवाल चलाते हैं. पिछले 9 साल में इस पाठशाला के 3 हजार से अधिक बच्चों ने सरकारी नौकरी हासिल की है. इस कोचिंग में गरीब बच्चे पढ़ाई करते हैं. अजय ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों क्लासेज़ लेते हैं. कोचिंग सुबह 7 बजे से सुबह 4 बजे तक पढ़ाई होती है.
अजय ग्रेवाल ने साल 2009 में दिल्ली पुलिस ज्वाइन किया था और साल 2015 में कोचिंग चला रहे हैं. 

कोचिंग में गरीब करते हैं पढ़ाई-
अजय ग्रेवाल ने ये कोचिंग खासकर ऐसे बच्चों के लिए शुरू की है, जो गरीब तबकों से आते हैं. यहां पढ़ने वाले बच्चों में किसी के पिता नहीं है तो किसी के पिता लंबी बीमारी से जूझ रहे हैं. कई बच्चे ऐसे हैं, जिनके परिवार की आर्थिक हालत ऐसी नहीं है, जो उन्हें पढ़ाई करने की इजाज़त दें. लेकिन फिर भी ये बच्चे पूरा मन लगाकर प्राइवेट नौकरी करते हैं और रात में फिर अजय की क्लास में पहुंच जाते हैं. यहां कई बच्चे ऐसे हैं, जो दिन में सिक्योरिटी गार्ड का काम करते हैं या फिर बाइक टैक्सी चलाते हैं और रात में सरकारी नौकरी की तैयारी करते है.

परिवार के साथ अजय ग्रेवाल

जब सीनियर की दी हुई सजा ने बदल दी ज़िंदगी-
अजय ने खुद UPSC की तैयारी की थी. वो दो बार इंटरव्यू तक भी पहुँचे. लेकिन अपने आखिरी अटेम्पट में भी वो महज़ 3 नंबर से चूक गए. अजय बताते हैं कि एक वक्त ऐसा था, जब उनको UPSC, IAS, PCS, IPS के बारे में कुछ पता ही नहीं था. उन्हें लगता था कि दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल उसके बाद सब इंस्पेक्टर और फिर इंस्पेक्टर इसके आगे कुछ होता ही नहीं है.

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अजय बताते हैं कि नई नई नौकरी के वक्त एक बार उनकी ड्यूटी पुलिस लाइन के गेट पर लगी. एक सीनियर ऑफिसर की गाड़ी आयी. लेकिन अजय उनको पहचान नहीं पाए, क्योंकि ऑफ़िसर सिविल ड्रेस में थे. इसलिए अजय ने सैल्यूट नहीं किया. इस पर वह सीनियर नाराज हो गए और सजा के तौर पर अजय को ट्रेनिंग सेंटर भेज दिया. अजय बताते हैं कि ट्रेनिंग सेंटर में पहुंच कर उनको UPSC, IAS, IPS के बारे में पता चला. तब उन्होंने भी उसकी तैयारी करने की ठान ली. लेकिन वो सफल नहीं हो सके.

..जब एक मां ने आँचल से जूते पोंछने की कोशिश की-
अजय बताते हैं कि वैसे तो उनकी कोचिंग से अब तक तीन हजार से ज्यादा बच्चों को सरकारी नौकरी मिल चुकी है. लेकिन इस बीच जो बच्चे सिलेक्ट हुए. उनके ज़रिए अजय के जीवन में भी कई ऐसे मौक़े आए, जब उनकी आँखों में आँसू आ गए. अजय बताते हैं कि एक महिला थी, जो साफ सफाई का काम करती थी. उनके पास अपने 2 बेटों को पढ़ाने के लिए पैसे नहीं थे. अजय ने उनके दोनों बेटों को अपने पास पढ़ाया और फिर उनके दोनों बेटे अजय की पढ़ाई से सरकारी नौकरी हासिल करने में सफल रहे. अजय बताते हैं कि उनकी माँ जब उनसे मिलने आयी तो उन्होंने अपने आँचल से मेरे जूते साफ करने की कोशिश की. उस वक़्त मेरी भी आँखों में आँसू आ गए.

अजय ग्रेवाल

स्पेशल चाइल्ड भी क्लास में-
इस क्लास में जितेंदर नाम के एक स्पेशल चाइल्ड भी पढ़ाई करते हैं. जिनकी उम्र 28 साल है. लेकिन जितेंदर भी बाकी बच्चों की तरह एक-एक सवाल का सटीक जवाब देते हैं.

वैसे तो ये क्लास उन बच्चों के लिए है, जो सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं. लेकिन इस क्लास में आपको 4th क्लास से लेकर 7th क्लास तक के बच्चे भी मिल जाएंगे. ये बच्चे क्लास में यूं ही नहीं बैठते, बल्कि यह भी UPSC की किताबों के सवालों के सटीक जवाब देते हैं.

पढ़ाए बच्चों को सैल्यूट करने पर गर्व-
अजय बताते हैं कि बहुत सारे ऐसे बच्चे हैं, जो उनकी कोचिंग से निकलकर दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर बने हैं. जबकि अजय अभी भी दिल्ली पुलिस में हेड कांस्टेबल है. ऐसे में अजय जब भी उन लड़कों से मिलते हैं तो उन्हें सैल्यूट ज़रूर करते हैं. अजय बताते हैं कि वो इसमें गर्व महसूस करते हैं. हालांकि वे बच्चे तुरंत उन्हें भैया कहकर उनका आभार जताने लगते हैं.

अजय कहते हैं कि उनका मकसद गांव-देहात में बैठे उस बच्चे तक भी शिक्षा को पहुँचाना है, जो शहर आकर बड़े बड़े कोचिंग सेंटर की मोटी फीस नहीं दे सकता. आगे वो इसके लिए कई गांवों से जुड़ने को भी तैयार हैं.

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