मुंबई की 17 वर्षीय क्लाइमेट एक्टिविस्ट, लितिशा बागड़िया को क्लाइमेट एक्शन और जानवरों की देखभाल में उनके असाधारण काम के लिए द प्रिंसेस डायना अवार्ड से सम्मानित किया गया है. 30 जून को एक ऑनलाइन समारोह में उन्हें सम्मानित किया गया. लितिशा ने गणेश चतुर्थी उत्सव के दौरान मुंबई में गणपति पूजा में इस्तेमाल हुए फूलों के वेस्ट की रीसाइक्लिंग का नेतृत्व किया था जिससे वंचित और आदिवासी समुदायों को काफी फायदा हुआ.
आपको बता दें लितिशा अपनी दोस्त, सिया जोशी के साथ मिलकर Ayika Foundation चलाती हैं और इसके तहत पर्यावरण और समाज के लिए काम कर रही हैं. वह अपनी पढ़ाई से ज्यादा समय अपने सामाजिक कामों को देती हैं. लेकिन वह अपने कॉलेज और कामकाजी जीवन को बैलेंस करने की कोशिश करती हैं. उन्होंने मिड-डे को बताया, “हर एक प्रोजेक्ट में, मैं नए लोगों से मिलती हूं और नए तरीकों को समझती हूं, जो स्कूलों और कॉलेजों में मेनस्ट्रीम शिक्षा से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं. बच्चों को ग्रीन एनर्जी के बारे में सिखाया जाना चाहिए.”
इकट्ठा किया 500 किला ई-वेस्ट
मिड-डे से बात करते हुए, लितिशा ने इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की. उनका कहना है कि ईवी का उपयोग करके, आप पर्यावरण की रक्षा नहीं कर रहे हैं, बल्कि वास्तव में इसे नुकसान पहुंचा रहे हैं. इन्हें बनाने के लिए जरूरी कोबाल्ट और लिथियम जैसे खनिजों का जिस तरह से खनन किया जाता है, उससे जहरीले रसायन मिट्टी में चले जाते हैं. इन चीजों के मार्केटिंग के तरीके पर नियम होने चाहिएं.
उन्होंने कहा कि उन्होंने लैपटॉप, चार्जर आदि जैसे 500 किलोग्राम ई-वेस्ट इकट्ठा किया, और इसे रीसाइक्लिंग कंपनी को दे दिया, जो मेटल निकालती है और इसका रियूज करती है. लितिशा ने आगे कोबाल्ट खनन के मुद्दे पर बताया कि दुनिया का 3/5वां कोबाल्ट कांगो से आता है, और इससे बहुत ज्यादा गांव उजड़ जाते हैं क्योंकि इन गांवो के नीचे नई कोबाल्ट खदानें मिलती हैं. जिन स्थितियों में ये खनन करने वाले रहते हैं, उनसे उनके स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव पड़ता है.
300 किलो फूलों का वेस्ट किया इकट्ठा
गणपति विसर्जन उत्सव के दौरान उत्पन्न होने वाले कचरे के बारे में उन्होंने मिड-डे से कहा कि गणपति विसर्जन के बाद अक्सर सिर्फ मूर्तियों से होने वाले वेस्ट पर ही चर्चा होती है. लेकिन फूलों का वेस्ट बेरोजगारी की परेशानी को भी दूर कर सकता है. उन्होंने 11 दिनों के दौरान 300 किलोग्राम फूल इकट्टा किए और इसे मोबी ट्रैश नामक एक स्टार्टअप को दे दिया. यह स्टार्टअप इन फूलों को आदिवासी क्षेत्रों और झुग्गी-झोपड़ियों के लोगों को अगरबत्ती और रंग बनाने के लिए देता है.
इसके अलावा, वह समुद्र तट पर सफाई अभियानों से इकट्ठे किए गए प्लास्टिक को शक्ति प्लास्टिक्स को देते हैं जो इस वेस्ट प्लास्टिक को फर्नीचर और अन्य उपयोगी उत्पादों में इस्तेमाल करते हैं. वह छोटी क्लास के बच्चों के लिए भी वर्कशॉप करती हैं ताकि छोटी उम्र से बच्चों को क्लाइमेट, पर्यावरण जैसे मुद्दों पर शिक्षित किया जा सके.