साल 2016 की बात है, सोशल मीडिया पर ओम पुरी का वीडियो क्लिप खूब वायरल हुआ था, जिसमें ओम पुरी इस्लाम पर बात कर रहे हैं. इसे सुनकर लोग कोई प्रतिक्रिया दे या न दें लेकिन चौंक जरूर रहे थे. वीडियो में ओम पूरी कह रहे थे कि 'पूरी दुनिया जो है इस्लाम कबूल करे...और किसी तरह का धर्म नहीं होना चाहिए और इस्लाम ही सबसे बड़ा मजहब है...' अब ये लाइन सुन कौन नहीं उन्हें पाकिस्तान परस्त और हिंदू विरोधी नहीं कहने लगेगा. इनमें शायद वो लोग भी शामिल हो जाएं जो अमूमन ऐसे मसलों पर उदारवादी रवैया रखते हैं. आज हम 5 साल पुरानी बात इसलिए याद कर रहे हैं क्योंकि आज ओम पुरी का बर्थडे है.
विवादों में रहने वाले ओम पुरी
ओम पुरी हमेशा निजी वजहों से और अपनी टिप्पणियों के लिए विवादों में रहे . साल 2016 की ही बात है जब उन्होंने शहीदों को लेकर विवादित टिप्पणी कर दी थी, जिसके बाद लोगों ने उनकी तीखी आलोचना की थी. ओम पुरी को जब अपनी गलती का एहसास हुआ तब वह शहीद के घर गए और वहां घरवालों से लिपटकर फूट-फूटकर रोए थे.
हिंदुस्तान-पाकिस्तान वाले बयान पर मचा था बवाल
ओम पुरी ने एक चैनल पर पाकिस्तानी एक्टर के भारत में काम करने को लेकर कहा “लोग चाहते हैं कि भारत और पाकिस्तान भी इजरायल और फिलस्तीन जैसा बन जाए. हिंदूस्तान में 22 करोड़ मुसलमान भाई रहते हैं. इनके रिश्तेदार वहां रहते हैं और पाकिस्तान वालों के रिश्तेदार यहां रहते हैं. तुम उन्हें क्यों भड़काना चाहते हो.”
पर्दे पर तमाम रंगो को उकेरने वाले ओम पुरी
बॉलिवुड से लेकर हॉलिवुड में अपना लोहा मनवाले वाले ओम पुरी ने जीवन के तमाम रंगों को गरीब, आमिर, चरित्र,और खलनायकी को रंगमंच से लेकर सिल्वर स्क्रीन पर बखूबी उकेरा और अपनी प्रतिभा से 300 से ज्यादा फिल्मों में काम करके मनोरंजन जगत में आला मुकाम हासिल किया. उनकी कॉमिक टाइमिंग भी काफी शानदार थी. एक साधारण से चेहरे के साथ वो आए और अपनी अदाकारी के दम पर छा गए. ओमपुरी ने अपने करियर में कई हॉलीवुड फिल्मों में भी अभिनय किया है. इन फिल्मों में 'ईस्ट इज ईस्ट', 'माई सन द फैनेटिक', 'द पैरोल ऑफिसर', 'सिटी ऑफ जॉय', 'वोल्फ', 'द घोस्ट एंड द डार्कनेस', 'चार्ली विल्सन वॉर' जैसी फिल्में शामिल है.
'गंभीर अभिनेता' के रोल में दर्शकों ने लुटाया खूब प्यार
18 अक्टूबर 1950 में अम्बाला में जन्मे ओम पुरी ने अपने फिल्मी सफर की शुरुआत मराठी नाटक पर आधारित फिल्म 'घासीराम कोतवाल' से की थी. 1980 में आई 'आक्रोश' ओम पुरी के सिने करियर की पहली हिट फिल्म साबित थी. 1976 में पुणे फिल्म संस्थान से ट्रेनिंग पूरी करने के बाद ओमपुरी ने लगभग डेढ़ साल तक अभिनय पढ़ाया. उन्होंने अपने निजी थिएटर ग्रुप 'मजमा' की स्थापना की और फिर बॉलीवुड की ओर रुख किया. यहां भी वो अलग समानांतर फिल्मों के सबसे ज्यादा पंसद किए जाने वाले अभिनेता के रूप में उभरने लगे. उनकी छवि धीर-गंभीर अभिनेता की बन गई. प्रयोगात्मक सिनेमा के दौर में ओम पुरी का अभिनय दर्शकों को खूब भाने लगा. भवनी भवई, स्पर्श, मंडी, आक्रोश, शोध जैसी फिल्मों में ओमपुरी के सधे हुए अभिनय का जादू दर्शकों के सिर चढ़कर बोला, पर उनके फिल्मी सफर में मील का पत्थर साबित हुई, अर्द्धसत्य. अर्द्धसत्य में युवा, जुझारू और आंदोलनकारी पुलिस ऑफिसर की भूमिका में वे बेहद जंचे.
मिर्च मसाला से 'डर्टी पॉलिटिक्स' का 360 डिग्री दायरा
फिल्म मिर्च मसाला में अबु मियां के किरदार ने ना सिर्फ ओम पुरी की आदाकारी को दर्शाया बल्कि ये भी दिखाया कि औरतों की इज्जत और उनकी हिफाजत हर हाल में करनी चाहिए. एक अड़ियल सुबेदार और गांव के मुखिया के सामने खड़े होकर भी ओम अबू मियां (ओम पुरी) ने ना अपनी जान की परवाह की और ना ही अपनी नौकरी की. उनके लिए सिर्फ उनके कारखाने में मौजूद सोनबाई (स्मिता पाटिल) को बचाना ही अहम था. ये किरदार ओम पुरी के सबसे अलग और अहम किरदारों में से एक था.
"एमएलए को मिनिस्टर बनना है, मिनिस्टर को चीफ मिनिस्टर बनना है और चीफ मिनिस्टर को प्राइम मिनिस्टर बनना है" इस डायलॉग को फिल्म डर्टी पॉलिटिक्स में बोलने वाले ओम पुरी ने इस फिल्म में राजनीति के उस चेहरे को दिखाया है जिसकी बात सभी दबी जुबान में करते हैं, लेकिन बोलते नहीं. एक तरफ जहां ओम पुरी ने मिर्च मसाला में औरतों की इज्जत करने वाले अबू मियां का रोल अदा किया था वहीं, डर्टी पॉलिटिक्स में ओम पुरी ने औरतों की इज्जत ना करने वाले एक ऐसे नेता की भूमिका निभाई है जिसकी असलियत से सभी वाकिफ हैं.
ओम पुरी ने अपनी तमाम फिल्मों में जो रोल किया उसकी तारीफ शब्दों में नहीं की जा सकती. आज भले ही ओम पुरी अब हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन अपने किरदारों के साथ हमेशा हम सब के बीच जिंदा रहेंगे.