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Pithoragarh Police Lines से हुई अनाथ लड़की की शादी, दिल छू लेने वाले कार्यक्रम में पुलिसकर्मी ने किया कन्यादान

यह कहानी हिमालय पर्वत शृंखला पर बसे उत्तराखंड के शहर पिथौरागढ़ की है. इस खूबसूरत शहर ने दुनिया के सामने निस्वार्थ प्रेम की एक अनूठी मिसाल पेश की है. पिथौरागढ़ की पुलिस ने एक अनाथ लड़की को न सिर्फ अपनाया, बल्कि तमाम रीति-रिवाज के साथ उसका विवाह कर उसे नई जिन्दगी भी दी है.

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पिथौरागढ़ पुलिस लाइन्स. उत्तराखंड के एक छोटे से शहर में मौजूद यह जगह यूं तो पुलिस बलों की रिहाइश के काम आती है लेकिन मंगलवार, नौ जुलाई को यह जगह 21 साल की एक अनाथ लड़की की शादी की खुशियों से जगमगाई हुई थी. 

यह कहानी है पुष्पा भट्ट की, जिसने अपने माता-पिता को पांच साल की उम्र में खो दिया था. यह कहानी नरेश चंद्र जखमोला की भी है, जिसे अपनी ड्यूटी करते-करते जीवनभर के लिए एक बेटी मिल गई. और यह कहानी पिथौरागढ़ पुलिस लाइन्स की भी है, जिसने निस्वार्थ प्रेम को परिभाषित किया है.

जखमोला को यूं मिली पुष्पा
टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक खबर बताती है कि पुष्पा के मां-बाप का निधन तब हो गया था जब उसकी उम्र पांच वर्ष थी. जब पुष्पा 10 साल की थी, तब उसका खयाल रखने वाली उसकी दादी भी यह दुनिया छोड़कर चली गईं. उसके बाद से पुष्पा इस समाज की करुणा के भरोसे ही बड़ी हुई. फिर जब करीब एक महीने पहले बालवाकोट में रहने वाली पुष्पा काम की तलाश में पिथौरागढ़ आई.

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यहां उसकी मुलाकात रिजर्व इंस्पेक्टर नरेश चंद्र जखमोला से हुई. जब जखमोला ने पुष्पा को अकेला बैठा पाया तो उसने एक पुलिस वाला होने के नाते उससे कई सवाल किए. सवालों की झड़ी जब तक खत्म हुई, जखमोला ने फैसला कर लिया कि वह पुष्पा को गोद लेना चाहता है.

"मैंने उससे कहा... तुम मेरी बेटी हो"
जखमोला पुष्पा को अपने घर ले आए, जहां वह अपनी पत्नी और दो बेटों के साथ रहते थे. रिपोर्ट में जखमोला के हवाले से कहा गया, "मैंने उसे मां दुर्गा के वरदान के रूप में देखा. मेरे दो बेटे हैं लेकिन जैसे ही मैं उससे मिला, मैं समझ गया कि यह मेरी वो बेटी है जो अब तक मेरे पास नहीं थी. मैंने उससे कहा कि अब तुम मेरी बेटी हो और अब तुम्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. मेरे परिवार ने उसका बाहें खोलकर स्वागत किया." 

पुष्पा को जीवन में लंबे इंतजार के बाद एक परिवार मिल गया था. लेकिन जीवन उसे अभी और खुशियां देने वाला था. करीब एक हफ्ते बाद जखमोला के बेटे की सास ने उन्हें फोन कर बताया कि वह अपने किसी रिश्तेदार के लिए लड़की तलाश रही हैं. जखमोला ने इसे एक अंदेशा समझा और उस परिवार से पुष्पा का परिचय करवाया. 

पुष्पा के एक पैर में थोड़ी परेशानी होने के बावजूद धरचुला के एक टीवी केबल ऑफिस में काम करने वाले बिपिन उपाध्याय ने शादी के लिए हां कर दी. पुष्पा भी शादी के लिए राजी हो गई. एक हफ्ते पहले जिस खानाबदोश लड़की के सिर पर छत नहीं थी, वो अब दुल्हन बनने जा रही थी. 

फिर यूं धूमधाम से हुई शादी
रिपोर्ट बताती है कि जखमोला ने सुपरिटेंडेंट रेखा यादव को पुष्पा के बारे में बताया. उन्होंने पुष्पा की शादी तमाम रीति-रिवाजों के साथ, धूमधाम से करने की इच्छा जाहिर की. रेखा यादव को भी यह खयाल बहुत भाया.

वह कहती हैं, "जब मुझे इसके बारे में पता चला तो मैंने सोचा कि यह एक नेक खयाल है. मैंने फौरन ही जिले की  पुलिस के समर्थन की घोषणा कर दी. हमने पुलिस लाइन्स में शादी करवाने के लिए अपनी इच्छा से योगदान दिया. पुष्पा अब सिर्फ जखमोला की नहीं, बल्कि पूरे जिले के पुलिस यूनिट की बेटी है."

जखमोला बताते हैं, "मैंने कन्यादान किया. सभी पुलिस कर्मियों ने पुष्पा से वादा किया कि वे उसकी पढ़ाई का खर्च उठाएंगे और कॉलेज जाने में उसकी मदद करेंगे. अब पूरी पुलिस यूनिट उसका खयाल रखा करेगी."