
एक शख्स बचपन से सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित है. खुद को संभाल भी नहीं पाता है. चलते समय पांव लड़खड़ाते हैं. लेकिन इरादे अडिग हैं. धरती को हरा-भरा करने के संकल्प को पूरा करने के इरादे से योगेश शर्मा ने एक लाख 11 हजार पौधे लगाए हैं और उनका संरक्षण कर रहे हैं. राजस्थान के फतेहपुर के योगेश को पीएम मोदी से प्रेरणा मिली है. उनका लक्ष्य सवा लाख पौधे लगाने का है.
बॉडी का संतुलन नहीं बना पाते हैं योगेश-
दिल में कुछ कर गुजरने की दीवानगी हो तो दिव्यांगता भी दरकिनार हो जाती है. फतेहपुर के चुवास के रहने वाले योगेश शर्मा इसकी बानगी हैं. योगेश बचपन से 75 फीसदी सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित हैं. उनके लिए सिर का संतुलन बनाना तक मुश्किल है, लेकिन इरादा पक्का है. योगेश ने पेड़ लगाने की मुहिम छेड़ रखी है.
4 साल में लगाए एक लाख से ज्यादा पौधे-
योगेश शर्मा पिछले 4 साल में एक लाख 11 हजार पौधे लगा चुके हैं. पेड़-पौधे लगाने की उनकी जिद ने उनको नई पहचान दी है. अंतर्राष्ट्रीय विकलांग दिवस पर विशेष योग्यजन निदेशालय योगेश को सम्मानित कर चुका है. उनका पेड़ लगाने का लक्ष्य हर साल बढ़ता जाता है और हर बार वो अपने लक्ष्य को पूरा करते हैं.
साल 2019 में उन्होंने पौधे लगाने का मिशन शुरू किया था. गणतंत्र दिवस के मौके पर उनको जिला स्तर पर सम्मानित किया गया. वन विभाग का जिला स्तरीय वन प्रसारक मिशन पुरस्कार भी उनको मिल चुका है.
पेंशन का पैसा भी पर्यावरण संरक्षण पर किया खर्च-
योगेश शर्मा को राज्य सरकार की तरफ से दिव्यांग पेंशन और बेरोजगारी भत्ता मिलता है. लेकिन वो सारा पैसा पर्यावरण संरक्षण पर खर्च कर देते हैं. इतना ही नहीं, योगेश दूसरों को भी शादी, बर्थडे, सालगिरह समेत दूसरे धार्मिक मौकों पर पर्यावरण संरक्षण के लिए खर्च करने को लेकर प्रोत्साहित करते हैं. योगेश सरपंच प्रतिनिधि को भी अपने साथ लेकर घूमते हैं और पेड़-पौधे लगाने के लिए प्रेरित करते हैं.
पीएम मोदी से मिली प्रेरणा-
योगेश शर्मा ने पर्यावरण संरक्षण का अपना मिशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित होकर शुरू किया था. योगेश शर्मा बताते हैं कि पीएम मोदी के स्वच्छ भारत और स्वच्छ गंगा जैसे मिशन से उनको पर्यावरण को स्वच्छ रखने की प्रेरणा मिली. इसके बाद उन्होंने पौधारोपण की मुहिम की शुरुआत की थी.
निशक्त छात्रों के लिए लड़ी जंग-
योगेश निशक्त विद्यार्थियों के हक के लिए भी लड़ाई लड़ चुके हैं. 2018-19 में राजस्थान में पीटीईटी परीक्षा में दिव्यांगों को श्रुतिलेखक नहीं देने के प्रावधान से प्रदेश के हजारों निशक्तजनों की परेशानी बढ़ गई थी. ऐसे में योगेश ने पहले एसडीएम और कलक्टर से लेकर मुख्यमंत्री तक को ज्ञापन देकर विरोध प्रदर्शन किया. बाद में उन्होंने कोर्ट में भी लड़ाई लड़ी. आखिर में कोर्ट से छात्रों के पक्ष में फैसला आया था.
(फतेहपुर से राकेश गुर्जर की रिपोर्ट)
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