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लड़के-लड़कियों को एक समान अधिकार देने के लिए केरल के इस स्कूल ने बदल डाली यूनिफॉर्म

केरल के एक सरकारी लोअर प्राइमरी स्कूल ने लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए एक कॉमन ड्रेस कोड रखा है. ये स्कूल एर्नाकुलम जिले के वलयनचिरंगारा में स्थित है. इस कोड को स्कूल की प्रधानाध्यपिका ने वर्ष 2018 में लागू किया था.

Kerala govt school introduces gender-neutral uniform Kerala govt school introduces gender-neutral uniform
हाइलाइट्स
  • स्कर्ट में लड़कियों को होती थी समस्या

  • लड़के और लड़कियों में होनी चाहिए समानता

केरल के एक सरकारी लोअर प्राइमरी स्कूल ने लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए एक कॉमन ड्रेस कोड रखा है. ये स्कूल एर्नाकुलम जिले के वलयनचिरंगारा में स्थित है. इस कोड को स्कूल की प्रधानाध्यपिका ने वर्ष 2018 में लागू किया था, जिसमें बच्चों को स्कूल में शर्ट और थ्री-फोर्थ ट्राउजर पहनने के लिए कहा गया था. इस समय सोशल मीडिया पर उनकी इस नीति की काफी चर्चा हो रही है.

गुड विजन थीम पर काम करता है स्कूल

साल 2018 में इस वर्दी को लागू करने वाली पूर्व प्रधानाध्यापिका सी राजी ने कहा,"यह स्कूल गुड विजन की थीम पर काम करता है. जब हम स्कूल में कई नीतियों को लागू करने की बात कर रहे थे उस दौरान लैंगिक समानता हमारा लिए मुख्य विषय रही. उस समय सबसे पहले यूनिफार्म हमारे दिमाग में आई. जब मैं इस बारे में सोच रही थी कि मुझे क्या करना है, तो मैंने देखा कि लड़कियों को स्कर्ट में बहुत ज्यादा समस्या होती थी. उस समय हमने इसमें बदलाव करने पर विचार किया और इस विषय पर सबके साथ चर्चा की. उस समय 90 प्रतिशत माता-पिता ने इसका समर्थन किया था. बच्चे भी खुश थे. मुझे बहुत खुशी और गर्व महसूस होता है कि अब इस पर चर्चा हो रही है." 

स्कर्ट में लड़कियों को होती थी समस्या
पूर्व स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष एनपी अजयकुमार ने कहा,"छात्रों और अभिभावकों के मन में लैंगिक समानता होनी चाहिए. स्कर्ट पहनने पर लड़कियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है.  उन्हें शौचालय जाने और खेलते समय काफी समस्या होती हैं. यह पोशाक लैंगिक समानता को बढ़ावा देने वाली है. हमारा स्कूल 105 साल पुराना स्कूल है इसलिए किसी ने इसका विरोध भी नहीं किया. अकादमिक समिति के निर्णय को सभी ने स्वीकार कर लिया. इसे हमारी अपेक्षा से अधिक मान्यता मिली."

लड़के और लड़कियों में होनी चाहिए समानता
स्कूल की इस समय की प्रधानाध्यापिका कहती हैं, इस यूनिफॉर्म कोड को 2018 में लागू कर दिया गया था. इससे बच्चे और खासतौर पर लड़कियों में बहुत कॉन्फिडेंस आया. बच्चे और उनके मां-बाप दोनों ही इस फैसले से खुश थे. इसका कारण यही था कि लड़के और लड़कियों दोनों के पास सामान्य आजादी और खुशी होनी चाहिए. माता-पिता और शिक्षक संघ के अध्यक्ष वी विवेक ने कहा, "मेरे बच्चे 2018 में इस स्कूल में शामिल हुए थे. लड़कों और लड़कियों को समानता की जरूरत है, यही इसके पीछे का विचार है. यह एक तरह की वर्दी है जिसे पहनकर वो कोई भी एक्टिविटी कर सकती हैं."

सी राजी जिन्होंने 2018 में स्कूल प्रबंधन समिति और अभिभावक शिक्षक समिति की मंजूरी के बाद इस फैसले को लागू किया था उस दौरान वहां की प्रधानाध्यापिका थीं.