बुढ़ापे में अक्सर इंसान अकेला हो जाता है. कई बार बच्चे भी मां-बाप को अकेला छोड़ जाते हैं. ऐसे बुजुर्गों के लिए रतन टाटा ने मदद का हाथ बढ़ाया है. बुजुर्गों के के लिए काम कर रहे स्टार्टअप गुडफेलोज की आर्थिक मदद करने के लिए रतन टाटा ने निवेश का ऐलान किया है.
गुडफेलोज एक ऐसा स्टार्टअप है. जिसका मकसद है बुजुर्गों के अकेलेपन को बांटना. उनकी तन्हाई को दूर करना. उनकी मदद करना. देश के सीनियर सिटीजन के लिए ये पहला कम्पैनियन शिप स्टार्टअप है. जिसकी मदद करने के लिए देश के जाने माने उद्योगपति रतन टाटा ने हाथ बढ़ाया है. रतन टाटा ने गुडफेलोज में निवेश करने की घोषणा की है.
शांतनु नायडू ने दिया आइडिया
मंगलवार को मुंबई में हुए एक कार्यक्रम में 84 साल के टाटा ने बुजुर्गों की अकेलेपन की समस्या दूर करने के लिए ऐसे स्टार्टअप को लेकर खुशी जाहिर की. इस मौके पर अपने अकेलेपन के दर्द बयां कर टाटा ने बताया कि गुडफेलोज क्यों ज़रूरी है. इस स्टार्टअप की पहल की है 30 साल के युवा शांतनु नायडू ने जो रतन टाटा के ऑफिस में काम करते हैं.
बुजुर्गों के साथ समय बिताएंगे गुडफेलोज
युवाओं और शिक्षित ग्रेजुएट्स के जरिए गुडफेलोज बुजुर्गों की मदद करेगा. उनका अकेलापन दूर करने के लिए ये युवा बुजुर्गों के साथ वक्त बिताएंगे. उनके साथ कैरम जैसे गेम खेलेंगे. उनके लिए अखबार पढ़ेंगे और आराम करने में उनकी मदद करेंगे. यानि गुडफेलोज युवाओं को बूढ़े लोगों का सहारा बनाएगा. गुडफेलोज ने बुजुर्गों को संस्था से जोड़ने के लिए एक वेबसाइट शुरू की है. हालांकि कनेक्टिविटी आसान करने के लिए हॉटलाइन का भी इंतजाम किया है. ताकि फोन के जरिए बुजुर्ग आसानी से संपर्क कर सकें.
पहला महीना मुफ्त रहेगा
गुडफेलोज के बिजनेस मॉडल के तहत बुजुर्गों को पहला महीना पूरी तरह मुफ्त मिलेगा. दूसरे महीने से एक छोटा सा मेंबरशिप चार्ज लगेगा, जिसे बुजुर्गों की पेंशन के आधार पर तय किया गया है. वहीं बुजुर्गों की सेवा के साथ-साथ कई युवाओं को गुडफेलोज के साथ इंटर्नशिप का भी मौका मिलेगा. फिलहाल गुडफेलोज को मुंबई में शुरू किया गया है. लेकिन जल्द ही पुणे, चेन्नई और बेंगलुरु में रह रहे बुजुर्गों की मदद के लिए गुडफेलोज अपनी सेवाएं शुरू करेगा.