दिल्ली में कड़कड़ाती ठंड आ चुकी है. सर्दी से इंसान तो इंसान जानवर भी परेशान हैं. राष्ट्रीय राजधानी की हाड़ कंपा देने वाली ठंड शहर के स्ट्रे डॉग्स के लिए बड़ी चिंता है. इन बेसहारा जानवरों का दर्द यूं तो हमारी आंखों के सामने रहकर भी छिपा रहता है. लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जो इन कुत्तों कि मदद के लिए आगे आ रहे हैं. गुरूग्राम के रहने वाले जगजीत सिंह उन्हीं चुनिंदा लोगों में से हैं.
जगजीत सिंह बेसहारा जानवरों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं हैं. सिंह पेशे से तो एक बिजनेसमैन हैं लेकिन अपनी बिजी जिंदगी से थोड़ा समय और संसाधन निकालकर इन बेसहारा कुत्तों को ठंड से छुपने के लिए ठिकाना दे रहे हैं. आइए डालते हैं जगजीत सिंह के काम पर नजर.
कैसे कर रहे मदद?
सिंह ने जीएनटी डिजिटल से खास बातचीत में बताया कि वह अपनी पहल 'स्ट्रे टॉक इंडिया' के माध्यम से यह काम कर रहे हैं. कुत्तों का घर बनाने के लिए सिंह प्लास्टिक बैरल, लकड़ी के फाइबर कंटेनर और ड्रम्स का इस्तेमाल करते हैं. कंटेनर से बनाए गए ये घर कुत्तों को ठंड में पनाह देते हैं.
कहां से आया आइडिया?
सिंह ने बताया कि वह बचपन से स्ट्रीट डॉग्स को लेकर काफी प्यार रखते थे. जानवरों के लिए यह प्यार उन्हें उनके पिता से विरासत में मिला था. सिंह रंग बनाने का बिजनेस करते हैं. और एक दिन उन्होंने काम के दौरान ही पाया कि वह अपने बिजनेस के जरिए ही इन जानवरों की मदद कर सकते हैं.
सिंह बताते हैं, "एक दिन एक आवारा कुत्ता हमारे कारखाने में एक खाली बैरल के अंदर आराम से सो रहा था. इसे देखकर मुझे लगा कि क्यों न इसी तरह और भी आवारा कुत्तों की मदद की जाए? इस तरह मेरे दिमाग में यह आइडिया आया." इसी के बाद सिंह ने बैरेल के अंदर गद्दा लगाकर कुत्तों के लिए एक छोटी सी पनाहगाह तैयार कर दी.
3800 कुत्तों की कर चुके मदद
सिंह ने बताया कि आइडिया आने के बाद उन्होंने अगले दिन से ही इस पर काम करना शुरू कर दिया. उन्होंने घर के सामने गद्दों के साथ चार ड्रम रख दिए. अगली सुबह उन्होंने देखा की चारों में कुत्ते सो रहे थे. उन्होंने इसकी एक तस्वीर व्हाट्सएप ग्रुप में डाल दी. लोगों को यह पहल इतनी अच्छी लगी कि लोग उनसे मदद मांगने लगे.
सिंह ने बताया कि वह इन ड्रम्स को हफ्ते के छह दिन तक अपने ड्राइवर, कुक और गॉर्ड के साथ मिलकर बनाते हैं. रविवार के दिन वे इन ड्रम्स को बांटते हैं और लोगों से जुड़ते हैं. ये ड्रम लेने गुरूग्राम के अलावा नोएडा, दिल्ली, मेरठ और गाजियाबाद तक से लोग उनके पास आते हैं. उन्होंने अपने पहले साल 2018 में 200-300 कुत्तों की मदद की थी. अब वह कुल 3800 शेल्टर बांट चुके हैं.
कैसे ले सकते हैं ये ड्रम?
सिंह लोगों को फ्री में ये ड्रम बांटते हैं. दरअसल हफ्ते में दो बार इन ड्रम्स में भरकर सामान सिंह की फैक्ट्री आता है. वे इन ड्रम्स को फैक्ट्री से खाली करवा कर अपने घर के वेयर हाउस में रखते हैं. वह हफ्ते में करीब 400 ड्रम तैयार कर लेते हैं. इसके बाद वह हर रविवार डीएलएफ फेज-1, गुरुग्राम में लोगों को मुफ्त में ये ड्रम बांटते हैं.
कोई भी रविवार को सिंह से मिलकर ये ड्रम कलेक्ट कर सकता है. आवारा कुत्तों के प्रति प्रेम रखने वाले जगजीत सिंह ने कहते हैं कि स्ट्रे जानवरों की मदद करने के लिए हमें ड्रम्स की जरूरत नहीं है. बल्कि हम दूसरे तरीकों से भी इन कुत्तों की मदद कर सकते हैं. साथ ही वे लोगों से निवेदन करते हैं कि लोग कभी भी इन कुत्तों को न मारें.
(जीएनटी डिजिटल के लिए यह एक्सक्लुसिव स्टोरी यामिनी सिंह बघेल ने की है. यामिनी जीएनटी डिजिटल के साथ बतौर इंटर्न काम कर रही हैं.)