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निजी हित रखने वाला नहीं दायर कर सकता जनहित याचिका- सुप्रीम कोर्ट

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि यह एकदम सही है कि किसी पद का प्रत्याशी व्यक्ति उस संबंध में जनहित याचिका दायर नहीं कर सकता. शीर्ष अदालत, हाई कोर्ट द्वारा जुलाई में सुनाए गए एक फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. जुलाई में हाई कोर्ट ने उसकी याचिका पर सुनवाई से इन्कार कर दिया था.

सूचना आयुक्तों की पेंशन मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला सूचना आयुक्तों की पेंशन मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला
हाइलाइट्स
  • जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

  • किसी पद का प्रत्याशी इससे संबंधित मामले में नहीं दायर कर सकता PIL

जनहित याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि किसी पद के लिए प्रत्याशी इससे संबंधित मामले में जनहित याचिका दायर नहीं कर सकता है. इस टिप्पणी के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सूचना आयुक्तों की पेंशन मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता जिसने राज्य के जनवरी 2013 के कार्यालयी ज्ञापन को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, वह खुद पद का प्रत्याशी था. ज्ञापन में राज्य के सूचना आयुक्तों को मुख्य सचिव की पेंशन के बराबर पेंशन देने का प्रविधान किया गया था.

जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता भी राज्य सूचना आयुक्त पद का प्रत्याशी है और रोजगार की मांग के लिए उसने एक आवेदन किया था, जिसका जिक्र हाई कोर्ट के फैसले में है. हमें लगता है कि उसकी ओर से कथित तौर पर जनहित के नाम दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने सुनवाई से इन्कार कर सही फैसला किया है.

पद का प्रत्याशी व्यक्ति उस संबंध में जनहित याचिका दायर नहीं कर सकता

पीठ ने एक अक्टूबर को दिए अपने आदेश में कहा कि यह एकदम सही है कि किसी पद का प्रत्याशी व्यक्ति उस संबंध में जनहित याचिका दायर नहीं कर सकता. शीर्ष अदालत, हाई कोर्ट द्वारा जुलाई में सुनाए गए एक फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. जुलाई में हाई कोर्ट ने उसकी याचिका पर सुनवाई से इन्कार कर दिया था.

कोर्ट ने 2013 के फैसले का किया जिक्र

याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में दलील थी कि सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत राज्य सूचना आयुक्तों को पेंशन लाभ देने का कोई प्रविधान नहीं है. अगर कोई व्यक्ति राज्य सूचना आयुक्त के रूप में अपनी नियुक्ति से पहले किसी पेंशन योग्य पद पर तैनात था, तो ही वे पेंशन के हकदार हैं. हाई कोर्ट ने इस पर जनवरी 2013 के आदेश का जिक्र किया, जिसमें कहा गया था कि राज्य सूचना आयुक्त, मुख्य सचिव को देय पेंशन के बराबर भुगतान हकदार होंगे, जिसके तहत उनकी पिछली सेवा के लिए उन्हें मिलने वाली पेंशन में कटौती की जाएगी.

क्या होती है जनहित याचिका

अगर किसी एक आदमी के अधिकारों का हनन हो रहा है तो उसे निजी यानि पर्सनल इंट्रेस्ट लिटिगेशन माना जाएगा और अगर ज्यादा लोग पर इसका उल्टा असर पड़ रहा है तो  तो उसे जनहित याचिका माना जाएगा. पीआईएल डालने वाले शख्स को अदालत को यह बताना होगा कि कैसे उस मामले में आम लोगों का हित प्रभावित हो रहा है. दायर की गई याचिका जनहित है या नहीं, इसका फैसला कोर्ट ही करता है. इसमें सरकार को प्रतिवादी बनाया जाता है. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट सरकार को निर्देश जारी करती हैं. हाईकोर्ट में अनुच्छेद-226 के तहत और सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद-32 के तहत याचिका दायर की जा सकती है.