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संयुक्त राष्ट्र अधिकारी का दावा, जल्द शुरू होगी अफगान के स्कूलों में लड़कियों की पढ़ाई

पिछले हफ्ते काबुल का दौरा करने वाले यूनिसेफ के उप कार्यकारी निदेशक उमर आब्दी ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में कहा कि अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से पांच (उत्तर पश्चिम में बल्ख, जवज्जन और समांगन, उत्तर पूर्व में कुंदुज और दक्षिण पश्चिम में उरोजगान) माध्यमिक विद्यालय में भाग लेने के लिए पहले से ही लड़कियों को अनुमति दे रहे हैं.

लड़कियों को स्कूलों में पढ़ाई की इजाजत पर जल्द घोषणा करेगा तालिबान लड़कियों को स्कूलों में पढ़ाई की इजाजत पर जल्द घोषणा करेगा तालिबान
हाइलाइट्स
  • लड़कियों के लिए माध्यमिक विद्यालय की घोषणा करेगा तालिबान

  • पांच प्रांतों में मिल चुकी है लड़कियों को पढ़ने की इजाजत

संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारा नी ने कहा है कि तालिबान जल्द लड़कियों के स्कूल खोलने का ऐलान कर सकता है. इसके साथ ही सभी अफगान लड़कियां माध्यमिक स्कूलों में जा सकेंगी. हालांकि तालिबान के नेतृत्व में अफगानिस्तान के शिक्षा मंत्रालय ने सभी माध्यमिक स्कू्लो को शुरू करने का तो निर्देश दिया लेकिन इसमें लड़कियों के स्कूल जाने को लेकर कोई बात नहीं की गई थी. 

लड़कियों को छठी कक्षा से आगे की स्कूली शिक्षा जारी रखने की इजाजात- तालिबान के शिक्षा मंत्री

पिछले हफ्ते काबुल का दौरा करने वाले यूनिसेफ के उप कार्यकारी निदेशक उमर आब्दी ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा कि अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से पांच प्रांतों- उत्तर पश्चिम में बल्ख, जवज्जन और समांगन, उत्तर पूर्व में कुंदुज और दक्षिण पश्चिम में उरोजगान ने पहले से ही लड़कियों को स्कूल जाने की इजाजत दे रखी है. उन्होंने कहा कि तालिबान के शिक्षा मंत्री ने उन्हें बताया कि वे सभी लड़कियों को छठी कक्षा से आगे अपनी स्कूली शिक्षा जारी रखने की इजाजात देने के लिए "एक रूपरेखा" पर काम कर रहे हैं जिसे "एक और दो महीने के बीच" प्रकाशित किया जाना चाहिए.

स्कूलों में लड़कियों पर पाबंदी तालिबान के वादे के खिलाफ 

तालिबान की तरफ से स्कूल को फिर से खोलने की घोषणा में केवल लड़कों को ही स्कूल वापस जाने के निर्देश दिया गया था. इसमें लड़कियों की वापसी की तारीख का कोई जिक्र नहीं था. यह कदम काबुल में सत्ता संभालने के बाद तालिबान द्वारा किए गए वादों के खिलाफ है. अमेरिकी सैनिकों के हटने और अफगान सरकार के पतन के बाद तालिबान ने पिछले महीने अफगानिस्तान को पूरी तरह से अपने काबू में कर लिया था. जिसके बाद से यह चिंता पैदा हो गई थी कि वे इस्लामिक कानून को फिर से लागू करेंगे जो लड़कियों को स्कूल जाने से रोकता है. 

पिछले दो दशक में शिक्षा के क्षेत्र में हुआ बेहतरीन काम- UN

यूनिसेफ के मुताबिक अफ्गानिस्तान में पिछले दो दशकों में  शिक्षा के क्षेत्र में काफी बेहतरीन काम हुआ.  स्कूलों की संख्या तीन गुना हो गई. तो वहीं स्कूल में बच्चों की संख्या 10 लाख से बढ़कर 95 लाख हो गई है.

स्कूलों और विश्वविद्यालयों पर विदेशी ताकतों की कड़ी नज़र 

कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर एक ऐसी तस्वीर खूब साझा की गई जिसमें यूनिवर्सिटी की एक क्लास में पुरुष और महिला छात्र अलग-अलग बैठे हैं और उनके बीच में एक पर्दा लगा दिया गया है. यह तस्वीर काबुल की एविसेना यूनिवर्सिटी की थी. समाचार एजेंसियों की रिपोर्ट्स बताती हैं कि विदेशी ताकतें स्कूलों और विश्वविद्यालयों पर कड़ी नजर रख रही हैं क्योंकि तालिबान के राज में महिला अधिकारों को लेकर चिंता जाहिर की जाती रही है. 1996 से 2001 के बीच जब तालिबान पिछली बार सत्ता में आए थे तब महिलाओं की पढ़ाई और काम करने पर कड़ी पाबंदियां लगा दी गई थीं. वैसे,  सत्ता पर काबिज होने के शुरुआती हफ्तों में  तालिबान ने कई बार कहा कि महिला अधिकारों का सम्मान इस्लामिक कानूनों के दायरे में किया जाएगा. लेकिन असल में इसका मलतब समझ नहीं आया , क्योंकि इस बारे में कुछ भी साफ नहीं हो पाया है. 

आधिकारिक नियम क्या हैं?
यह तालिबान की आधिकारिक नीति है या नहीं, इस बारे में किसी अधिकारी या यूनिवर्सिटी एसोसिएशन के किसी सदस्य ने कोई टिप्पणी नहीं की है. तालिबान ने कहा था कि स्कूल शुरू हो जाने चाहिए लेकिन लड़कों और लड़कियों को अलग करना होगा. तालिबान के एक वरिष्ठ नेता ने रॉयटर्स को बताया कि कक्षाओं को बांटने के लिए पर्दों का इस्तेमाल पूरी तरह स्वीकार्य है और चूंकि अफगानिस्तान के पास संसाधनों की कमी है तो बेहतर यही होगा कि एक ही शिक्षक दोनों तरफ की क्लास को पढ़ाए.