
महाराष्ट्र के बीड जिले के देओला गांव की महिलाओं ने कृषि क्षेत्र में एक अनोखी क्रांति ला दी है. इस गांव के 11 परिवारों की महिलाओं ने मिलकर एक समूह बनाया और खेती का सारा काम खुद ही करने लगी हैं. ना सिर्फ ये महिलाएं बखूबी खेती का काम कर रही हैं बल्कि घर की जिम्मेदारी भी संभाल रही हैं.
सामूहिक खेती से मिली आत्मनिर्भरता
एक खेत में फसल उगाने के लिए किसान को खेत की जुताई, बुवाई और निराई जैसे मुश्किल कामों को अंजाम देना होता है. यह काम कहने में जितना आसान है, करने में उतना नहीं है. कई महिलाओं के लिए स्वतंत्र रूप से खेती करना मुश्किल होता है. देओला गांव की 11 महिलाओं ने इस मुश्किल को हल करने की कोशिश की है.
इन महिलाओं ने मिलकर जैविक ग्रामीण कृषक समूह बनाया. एक ग्रुप के तौर पर इन महिलाओं ने खेत-खलिहान की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली है. खास बात यह है कि ये महिलाएं एक-दूसरे के खेत में हाथ बंटाकर काम को अंजाम देती हैं, जिससे इन्हें काफी आसानी होती है. और पैसों की बचत भी होती है.
ये सभी महिलाएं बीज प्रसंस्करण से लेकर कटाई तक सभी कार्यों में कुशल हैं. वे ट्रैक्टर से छिड़काव जैसे कामों में एक-दूसरे की मदद करती हैं. इन महिलाओं की पहल खास इसलिए है कि इन्हें अब अपने खेतों में काम करने के लिए किसी पुरुष की मदद नहीं लेनी पड़ती.
इन महिलाओं को समय-समय पर कृषि विज्ञान केंद्र, पानी फाउंडेशन और कृषि विभाग की ओर से मार्गदर्शन दिया जाता है. समूह की बैठकों के माध्यम से महिलाएं आपस में मिलकर सबके सुख-दुख में शामिल होती हैं.
"हम एक परिवार हैं..."
सामूहिक खेती के जरिए आत्मनिर्भरता हासिल करने वाली महिलाओं में से एक मीरा कदम कहती हैं कि वे सभी एक परिवार की तरह रहती हैं. मीरा कहती हैं, "हम एक परिवार की तरह रहते हैं और काम करते हैं. खेत में कष्ट करते हैं इसलिए हमें फायदा मिलता है. हम समूह बनाकर खेती के पूरे काम करते हैं और कूछ महिलाएं ट्रैक्टर चलाकर खेती के काम करती हैं.
मीरा के साथ काम करने वाली संजना यशवंत कहती हैं कि जब महाराष्ट्र में किसान समूहों के बीच होने वाली प्रतियोगिता 'फार्मर्स कप' की शुरुआत हुई तो उन्होंने साथ मिलकर खेती करने का फैसला किया. इसी के बाद इन 11 महिलाओं के इस समूह का निर्माण हुआ. उसके बाद से ही सब महिलाएं मिलकर खेती के पूरे काम करती हैं.
कहते हैं एक और एक मिलकर 11 होते हैं. निश्चित तौर पर एकता का सूत्र ही इन महिलाओं को वो श्रम शक्ति दे रहा है जिससे प्रेरणा लेते हुए आसपास के गांवों की महिलाएं भी ऐसे ही समूह बनाकर महिला शक्ति को एक नया आयाम देने की तरफ बढ़ रही हैं.
(महाराष्ट्र के बीड से रोहिदास हतागले की रिपोर्ट)