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Maini Renewables: इस महिला इंजीनियर ने बनाई कमाल की टर्बाइन, बिना बांधों के छोटी नहर से बना सकती है बिजली, रोशन हो रहे हैं दूरदराज के गांव

इस नई तकनीक की मदद से अब गढ़चिरौली और मेलघाट जैसे पिछड़े और दूरदराज़ इलाकों के गांवों में लगातार बिजली मिल रही है.

Swati Maini invented mini turbine (Photo: Linkedin) Swati Maini invented mini turbine (Photo: Linkedin)

भारत में आज भी बहुत से ऐसे गांव हैं जो बिजली की कमी से जूझ रहे हैं. इसके साथ-साथ क्लीन एनर्जी भी आज की जरूरत है. ऐसे में, मुंबई की एक युवा इंजीनियर ने एक बहुत ही उम्दा इनोवेशन किया है जो इन दोनों समस्याओं को हल कर रही है. इस नई तकनीक की मदद से अब गढ़चिरौली और मेलघाट जैसे पिछड़े और दूरदराज़ इलाकों के गांवों में लगातार बिजली मिल रही है. इन गांवों में आज़ादी के बाद से या तो बिजली कभी नहीं पहुंची या फिर बहुत ही अनियमित तरीके से मिलती रही है. 

10 साल की विदेश में नौकरी 
स्वाति मैनी एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं. उन्होंने अमेरिका की ड्रेक्सेल यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है और वहां 10 साल नौकरी भी की है. हालांकि, जब वह अपने वतन लौटीं तो अपने गांव में बिजली की कमी को देखकर उन्होंने कुछ करने की ठानी. उन्होंने एक छोटी टरबाइन बनाई है जो नदियों या नहरों के पानी के बहाव से बिजली पैदा कर सकती है. स्वाति ने यह डिवाइस कोरोना महामारी के दौरान पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (COEP) में बनाई थी. 

उन्होंने इस डिवाइस का पेटेंट भी कराया है, जो “टरबाइन और उससे जुड़े सिस्टम व तरीके” के अंतर्गत आता है. उन्होंने अपनी खुद की स्टार्टअप कंपनी ‘Maini Renewables’ शुरू की है, जिसके जरिए वह इस तकनीक की मदद से गांव-गांव को रोशन करना चाहती हैं. सबसे दिलचस्प बात है कि यह टरबाइन छोटी नहर या जलधाराओं से बिजली बना सकता है. इसके लिए कोई बांध बनाने की जरूरत नहीं है. हम सब जानते हैं कि बांध बनाने से पर्यावरण पर गलत असर पड़ता है. ऐसे में, यह टरबाइन पानी से क्लीन एनर्जी बनाने का किफायती और इको-फ्रेंडली साधन बन रही है. 

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क्या है उनकी तकनीक 
स्वाति ने टाइम्स ऑफ इंडिया को एक इंटरव्यू में बताया, “हमने एक जनरेटर को रोटर के ऊपर फिट किया है, जो पानी के बहाव से घूमेगा और बिजली बनाएगा. हवा और सौर ऊर्जा की अपनी सीमाएं होती हैं, लेकिन यह तरीका लगातार और असीमित बिजली दे सकता है. इसे नदियों या नहरों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है. मेरा मकसद था कि देश के उन हिस्सों तक पहुंचूं जहां अब तक कोई नहीं पहुंच पाया है.”

अब स्वाति की योजना है कि वो इससे भी बड़ी और ज्यादा असरदार टरबाइन बनाए. उन्होंने इस डिवाइस की कीमत करीब 1 लाख रुपये रखी है. उनका यह भी कहना है कि जहां बिजली पहले से मौजूद है, वहां लोग इसे ग्रिड से जोड़कर अतिरिक्त बिजली बेच भी सकते हैं. उन्होंने इस डिवाइस को IIT रुड़की जैसे संस्थानों से टेस्ट भी कराया है. यह सबसे असरदार नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में से एक बन सकता है.