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Exclusive: जल्द आ रही है बच्चों की वैक्सीन, Zydus प्लांट में जानें कैसी हैं तैयारियां?

कोरोना से जूझ रहे भारत में लोग बच्चों की वैक्सीन को लेकर बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. माना जा रहा है कि इस महीने के अंत तक या नवंबर के पहले सप्ताह तक बच्चों की वैक्सीन देश में आ जाएगी. आजतक ने जायडस वैक्सीन प्लांट से एक्सक्लूसिव रिपोर्ट तैयार की है.

देशभर में तेजी से लगाई जा रही है कोरोना वैक्सीन. (सांकेतिक तस्वीर-रॉयटर्स) देशभर में तेजी से लगाई जा रही है कोरोना वैक्सीन. (सांकेतिक तस्वीर-रॉयटर्स)
हाइलाइट्स
  • नवंबर से पहले आएगी बच्चों की वैक्सीन

  • स्वदेशी है जायडस का यह वैक्सीन

  • भारत में ही हो रहा है वैक्सीन का उत्पादन

कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीनेशन ड्राइव तेज़ रफ्तार से चल रही है. लेकिन बच्चों की वैक्सीन को लेकर अब तक कोई स्पष्टता नहीं थी. बच्चों की वैक्सीन को लेकर गुड न्यूज ये है कि बेहद तेजी से वैक्सीन का निर्माण किया जा रहा है. वैक्सीन का उत्पादन किस तरह से हो रहा है, गुड न्यूज टुडे की टीम ने इसकी पड़ताल की. साथ ही यह भी पता किया कि कब तक वैक्सीन बाजार में आ जाएगी.

गुड न्यूज़ टुडे की टीम गुजरात में जायडस कैडिला के वैक्सीन उत्पादन वाले प्लांट पर पहुंची और वैक्सीन को लेकर कई तरह की जानकारियों को सामने लाई. जायडस का ये वैक्सीन पूरी तरह स्वदेशी है. ये भारत में विकसित हुआ है. और इसका उत्पादन भी भारत में ही हो रहा है. अभी तक 18 साल से ऊपर के लोगों को ही वैक्सीन लगाई जा रही थी. लेकिन ये वैक्सीन 12 से 18 साल के बच्चों को लगाई जा सकेगी. 

इस गुड न्यूज़ में भी सबसे बड़ी गुड न्यूज वो ये कि बच्चों का कोरोना वैक्सीन सुई लगाकर नहीं दिया जाएगा. सुई का इस्तेमाल नहीं, यानि बच्चों को दर्द नहीं. वयस्कों को वैक्सीन की दो डोज लगवानी पड़ी हैं. बच्चों को तीन डोज लगेंगी. हर डोज़ के बीच में 28 दिन का गैप होगा. यानि 28 दिन के अंतर पर तीनों डोज़ लगेंगी. बड़ी बात ये भी कि बच्चों के लिए क्या पर्याप्त डोज़ मिल पाएंगी? तो जायडस कैडिला की मौजूदा उत्पादन क्षमता है हर महीने 1 करोड़ वैक्सीन का न‍िर्माण. 

कब तक बाजार में आ जाएगी बच्चों की वैक्सीन?

इसी महीने के आखिर तक इस वैक्सीन के बाज़ार में आ जाने की पूरी पूरी संभावना है. लेकिन अच्छी ख़बर बस इतनी नहीं है. भारत बायोटेक भी बच्चों के लिए अपनी वैक्सीन का ट्रायल कर रहा है. फ़ाइनल रिज़ल्ट जल्द ही आने वाला है. इस वैक्सीन में भी इंजेक्शन की ज़रूरत नहीं. ये नाक में स्प्रे की जाएगी. यानि नेज़ल वैक्सीन होगी. एम्स में बच्चों के लिए कोवैक्सीन का ट्रायल किया जा रहा है. अलग अलग चरण में हर एज ग्रुप के बच्चों के लिए ट्रायल किया जा रहा है. नतीजे ठीक रहे तो भारत बायोटेक की वैक्सीन 2 से 18 साल के बच्चों को दी जाएगी. 

क्या है इंट्रा नेजल वैक्सीन?

इस नई तकनीक के हकीकत में उतरने का फासला बस चंद कदमों का है. उसके बाद वैक्सीन लेने में ना तो इंजेक्शन का टंटा, ना कोई दर्द ना तकलीफ. बच्चों के वैक्सीनेशन में ये तकनीक बेहद सुविधाजनक और प्रभावी साबित होगी. सुविधानजक इसलिए क्योंकि इसमें इंजेक्शन की जरूरत नहीं है. सीधे नाक में दो बूंद  डालनी है. और प्रभावी इसलिए क्योंकि वायरस नाक के जरिये ही शरीर पर हमला करता है और ये वैक्सीन नाक में ही सुरक्षा कवच बनाती है. इसके अलावा कोरोना के खिलाफ जल्दी असर करती है क्योंकि ये नाक, मुंह और फेफड़ो में इम्यून रिस्पॉन्स पैदा करती है. इसका उत्पादन आसान है और स्टोरेज की समस्या भी नहीं है. 

किसके सहयोग से बन रही है वैक्सीन?

इस इंट्रा नेजल वैक्सीन को भारत बायोटेक ने सेंट लूसिया की वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर बनाया है. और ये दुनिया में अपनी तरह की सबसे अलग वैक्सीन है. दुनिया में इस वक्त इस्तेमाल हो रही कोई भी वैक्सीन नेजल वैक्सीन नहीं है. जिन वैक्सीन का ट्रायल हो रहा है उनमें 8 नेजल वैक्सीन हैं. इनमें पुणे की सीरम इंट्स्टीट्यूट ऑफ इंडिया की वैक्सीन भी शामिल है.  

बच्चों के लिए रामबाण साबित होगी यह वैक्सीन

जानकार मान रहे हैं कि भारत बायोटेक का नेजल वैक्सीन कोरोना के खिलाफ सबसे इफेक्टिव हथियार साबित हो सकता है. खासकर बच्चों के मामले में ये रामबाण साबित होगा. क्योंकि इसके कोई साइड इफेक्टस नहीं होंगे. डॉक्टर मानते हैं कि ये नेजल डोज न केवल बच्चों को कोरोना की तीसरी लहर से बचाएगी, बल्कि इस बीमारी को फैलने से भी रोकेगी.