हमारे शरीर में कई ग्रंथियां (Glands) होती हैं जो विभिन्न हार्मोन (Hormone) बनाती हैं और ये हार्मोन शरीर में क्रियाएं करते हैं. थायरॉइड गर्दन में स्थित एक तितली के आकार की ग्रंथि है, जो थायरॉइड हार्मोन का उत्पादन करती है जो हमारे चयापचय के लिए महत्वपूर्ण हैं. लेकिन कुछ कारणवश अगर इस हार्मोन का उत्पादन ज्यादा (Hyperthyroidism) या कम (Hypothyroidism) होने लगे तो कई तरह की बीमारियां शरीर को लग जाती हैं. हालांकि, अच्छी डाइट, व्यायाम और एक उचित जीवन शैली इस हार्मोन के स्तर को संतुलित करने में मदद कर सकती है.
थायरॉइड को लगातार योगासन करके भी कंट्रोल किया जा सकता है. योग समग्र स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है. योग करने से एनर्जी बैलेंस्ड रहती है, ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है, फ्लेक्सीबिलिटी बढ़ती है और स्ट्रेस दूर होता है. (Photo: Unsplash)
सर्वांगासन में पैर ऊपर और सिर नीचे की ओर होता है. जिससे ऊपरी अंगों में ब्लड का सर्कुलेशन सही तरीके से हो पाता है. इस आसन को नियमित करने से थायरॉइड ग्लैंड की काम करने की क्षमता बढ़ती है. (Photo: Pixahive/Sourav Mukherjee)
हलासन से ग्रंथियों की कार्यक्षमता में सुधार होता है. यह आसन रीढ़ की हड्डी के लिए फायदेमंद है. इस आसन को करने से मांसपेशियों का तनाव भी कम होता है. (Photo: Pixahive/Sourav Mukherjee)
मत्स्यासन या मछली की मुद्रा करने से गला, छाती, कंधा और पेट फैलता है और खुलता है. यह मुद्रा पेट और वक्षीय अंगों के लिए भी फायदेमंद है. (Photo: Pixahive/Akshay Gupta)
मार्जरी शब्द का अर्थ है बिल्ली और आसन का अर्थ है मुद्रा. यह आसन रीढ़ की हड्डी की फ्लेक्सीबिलिटी को बढ़ाता है और पेट को कम करता है. (Photo: Pixahive/Sukhjinder)
शिशु आसन को बालासन के नाम से भी जाना जाता है. यह माइग्रेन को ठीक करने में मदद करता है और तनाव से राहत देता है. इसमें आपके कूल्हे, टखने और जांघें फैलाती हैं. (Photo: Flickr)