अंगदान एक ऐसा दान है, जो किसी को नया जीवन दे सकता है. अंगदान की मदद से व्यक्ति कई लोगों को जीने की वजह दे सकता है. यही वजह है कि इसे महादान भी कहा जाता है. इस महादान में गुजरात के एक माता-पिता भी सहभागी बने हैं. जी हां, सूरत शहर में 100 घंटे के ब्रेनडेड नवजात शिशु के माता-पिता ने उसके अंगों को दान करने का फैसला किया है. इससे पांच बच्चों को नया जीवन मिलेगा. एक अंग दान फाउंडेशन ने यह जानकारी दी.
जन्म लेने के बाद नवजात में नहीं दिखी कोई हलचल
सूरत के अमरोली क्षेत्र में रहने वाले अनुपम सिंह ठाकुर डायमंड वर्कर के तौर पर काम करते हैं. अनुपम सिंह की पत्नी वंदना बेन ने कुछ दिन पहले एक बच्चे को जन्म दिया था. नवजात बच्चे के जन्म लेने के बाद उसके शरीर में कोई हलचल नहीं दिखी. वह रोया भी नहीं और उसकी सांसें बंद थी. बच्चे को इलाज के लिए फौरन ही सूरत के कतारगाम स्थित एक चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में दाखिल किया गया. जहां डॉक्टर ने इंट्यूबेशन कर उसकी धड़कने नार्मल की.
डॉक्टर ने ब्रेनडेड घोषित कर दिया
48 घंटे तक बच्चे में कोई न्यूरोजिकल इंप्रूमेंट नजर नहीं आया. इसके बाद डॉक्टर ने उसे ब्रेनडेड घोषित कर दिया. सूरत में ऑर्गन डोनेशन के लिए लोगों को प्रेरित करने वाली जीवनदीप ऑर्गन डोनेशन फाउंडेशन नामक संस्था ने बच्चे के परिजनों को अंगदान के लिए प्रेरित किया. फाउंडेशन के प्रबंधन न्यासी विपुल तलाविया ने बताया कि परामर्श के बाद, शिशु के माता-पिता जरूरतमंद लोगों को नया जीवन देने के लिए अपने बेटे के अंगों को दान करने के लिए सहमत हुए.
उन्होंने कहा, हाल ही में पांच दिन के बच्चे के इसी तरह के मामले के बारे में बताए जाने के बाद बच्चे के माता-पिता अनूप और वंदना अपने ब्रेनडेड शिशु के अंगदान करने के लिए सहमत हुए. बच्चे की दो किडनी, स्प्लीन और दो आंखों का दान किया गया. इससे पांच जरूरतमंद बच्चों को जीवनदान मिलेगा. जीवनदीप ऑर्गन डोनेशन फाउंडेशन ने दावा किया कि शिशु देश का सबसे कम उम्र का अंगदाता है.
अक्टूबर में एक और बच्चे के अभिभावक ने किया था अंगदान
सूरत के निजी अस्पताल में गत अक्टूबर में एक नवजात ब्रेनडेड हो गया. इसके बाद नवजात के माता-पिता ने बच्चे के अंगों को दान करने का फैसला लिया. जीवनदीप ऑर्गन डोनेशन फाउंडेशन माध्यम से 5 दिन के नवजात के अंगों का दान कराया गया था. दरअसल, सूरत के वालक पाटिया इलाके के गीतांजलि रो हाउस में रहने वाले हर्ष भाई संघानी के घर में 13 अक्टूबर की दोपहर एक बच्चे ने जन्म लिया था.
बच्चा नवजात के चाचा व्रज संघानी ने बताया कि जन्म के बाद से ही बच्चे के शरीर में हलचल न थी. वो रोया भी नहीं था. केयर चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के डॉक्टर ने बताया कि बच्चे को वेंटिलेटर पर रखना पड़ेगा. वेंटिलेटर पर रखने के बाद भी रिकवरी नहीं हो सकी. बच्चा ब्रेनडेड हो गया था. यह जानकर हमारा पूरा परिवार बेहद दुखी था. फिर डॉक्टर ने बताया कि ब्रेनडेड बच्चे के ऑर्गन डोनेट कर सकते हैं. इसके बाद बच्चे की दादी और परिवार के लोगों ने नवजात के ऑर्गन डोनेट करने का निर्णय लिया.
(संजय सिंह राठौड़ की रिपोर्ट)