फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट (FMRI) के डॉक्टरों ने 17 वर्षीय मरीज की छाती से 1.9 किलोग्राम का ट्यूमर सफलतापूर्वक ऑपरेशन करके निकाला. मरीज को बुखार के साथ गर्दन और सीने में दर्द था, जिसके लिए वह डॉक्टर से परामर्श लेने आए थे. डॉक्टरों ने उनके कई मेडिकल टेस्ट किए, जिनमें पता चला कि उन्हें एक दुर्लभ ट्यूमर है- थाइमोलिपोमा (एक ऐसी स्थिति जिसमें थाइमस ग्लांड आकार में बढ़ जाती है और छाती और फेफड़ों के बड़े हिस्से को कवर करने लगती है.
FMRI के कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी (CTVS) के निदेशक और प्रमुख डॉ. उद्गीथ धीर के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम एक सर्जरी के जरिए इस दुर्लभ ट्यूमर को सफलतापूर्वक निकाला.
सर्जरी कर निकाला ट्यूमर
फोर्टिस गुरुग्राम में एडमिशन के बाद, डॉ. धीर की टीम ने मरीज का एक हाई-रिज़ॉल्यूशन चेस्ट सीटी स्कैन किया गया, जिसमें ट्यूमर का पता चला. यह फेफड़ों और हृदय पर दबाव डाल रहा था, जिसके कारण हृदय और फेफड़े अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर रहे थे. डॉक्टरों ने तुरंत सर्जरी करने का फैसला किया. हालांकि, इस सर्जरी में रिस्क बहुत ज्यादा था.
मामले के बारे में बात करते हुए, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) के निदेशक और प्रमुख डॉ. उद्गीथ धीर ने कहा, “थाइमोलिपोमा फैटी टिशू और थाइमिक टिश्यू से बने दुर्लभ ट्यूमर हैं. थाइमोलिपोमास काफी आकार तक बढ़ सकता है और आसपास के अंगों को कंप्रेस कर सकता है. जिससे सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द और अन्य असुविधाएं हो सकती हैं."
मरीज कर रहा है अच्छा रिस्पॉन्स
सबसे अच्छी बात यह है कि सर्जरी के बाद मरीज अच्छी तरह से रिस्पॉन्स कर रहा है. अगर ऐसे मामलों का समय पर इलाज नहीं किया जाता है, तो रोगी को सांस फूलना, एट्रोफिक डायाफ्राम मसल्स और फेफड़ों की क्षमता में कमी जैसी गंभीर परेशानी हो सकती हैं. इस मामले में, फिर से ट्यूमर होने की संभावना बहुत कम है क्योंकि डॉक्टरों ने पूरे टिश्यू को हटा दिया है.
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और बिजनेस हेड महिपाल सिंह भनोट ने कहा कि डॉ. उद्गीथ धीर के मार्गदर्शन में डॉक्टरों की टीम ने मरीज की जान बचाई. थाइमोलिपोमा एक दुर्लभ मेडिकल कंडीशन है और इसके लिए सही इलाज की जरूरत होती है.