नाइट शिफ्ट (Night Shift) बहुत से लोगों के लिए आरामदायक शिफ्ट होती है क्योंकि इसमें काम का बोझ बाकी शिफ्ट के मुकाबले कम होता है... तो वहीं कुछ लोग इस शिफ्ट में काम करने से बचते हैं. अमेरिका के Washington State University के रिसर्चर्स ने हाल ही में एक शोध किया. जिसमें पाया कि केवल तीन दिन नाइट शिफ्ट करने वाले लोगों में डायबिटीज की समस्या ज्यादा आती है. इन्हें obesity से रिलेटेड और भी कई दिक्कतें आ सकती हैं. जर्नल ऑफ प्रोटिओम में प्रकाशित रिसर्च में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि कैसे नाइट शिफ्ट में काम करने से डायबिटीज, मोटापा और मेटाबॉलिज्म संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है.
बायोलॉजिकल क्लॉक हो सकती है डिसबैलेंस
हमारे दिमाग में बायोलॉजिकल क्लॉक होती है जोकि ये डिसाइड करती है कि हम दिन और रात के हिसाब से कब खाएंगे, कब काम करेंगे और कब सोएंगे. अगर वो समय पर अपना काम न करें, तो ये रिएक्शन शुरू कर देती है जिससे हमारी फिजिक और मेंटल हेल्थ पर असर पड़ता है. शोधकर्ताओं में से एक प्रोफेसर Hans Van Dongen इस क्लॉक इंटरप्शन के परिणामों पर जोर देते हैं. वो बताते हैं कि लगातार तीन रात की शिफ्ट हमारे शरीर की Protein Rhythms को अव्यवस्थित करने के लिए पर्याप्त है, जिससे लॉन्ग टर्म प्रभाव पड़ता है.
मेटाबॉलिक डिसऑर्डर हो सकता है
आपके हॉर्मोनल कंपोनेंट रात में ज्यादा खाना नहीं खाने की इजाजत देते हैं और नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोग नींद ना आए इसके चक्कर में कुछ न कुछ खाते रहते हैं. रात में काम करने वाले लोगों को ग्लूकोज रिदम दिन में काम करने वालों की तुलना में बिल्कुल विपरीत होता है. ये व्यवधान न केवल आपके शुगल लेवल को प्रभावित करता है बल्कि इंसुलिन प्रोडक्शन और संवेदनशीलता के लिए महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को भी प्रभावित करता है. जिसकी वजह से मेटाबॉलिक डिसऑर्डर जैसे डायबिटीज की समस्या होती है.
स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है
इस अध्ययन के निष्कर्ष नाइट शिफ्ट में काम के हानिकारक प्रभावों की चर्चा करते हैं. पिछले शोध में रात की शिफ्ट को हाई ब्लड प्रेशर से जोड़ा गया था, जिससे हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है, खासकर उन लोगों में जो नियमित रूप से नाइट शिफ्ट में काम करते हैं. रात के समय नींद नहीं लेने से आपकी बायोलॉजिकल क्लॉक बिगड़ जाती है और हेल्थ संबंधित कई दिक्कतें आने लगती हैं. नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों में तनाव की वजह से डिप्रेशन का खतरा भी बढ़ जाता है.