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48 घंटे की मैराथन सर्जरी के बाद, डॉक्टरों ने बचा ली मरीज की जान, ब्लड फ्लो रोक कर किया गया ऑपरेशन

लखनऊ के अपोलोमेडिक्स के डॉक्टर ने 48 घंटे सर्जरी करके एक पेशेंट की जान बचाई है. इस पेशेंट के मस्तिष्क में एन्यूरिज्म डेवलप हो रहा था, जिससे पेशेंट की आंखों की रोशनी चली गई थी. साथ ही एन्यूरिज्म के कभी भी फटने का खतरा था, जिससे पेशेंट की जान भी जा सकती थी.

अपोलोमेडिक्स के डॉक्टर अपोलोमेडिक्स के डॉक्टर
हाइलाइट्स
  • रुक नहीं रहा था पेशेंट का ब्लड फ्लो

  • अपने तरह का पहला केस

आज मेडिकल साइंस काफी तरक्की कर चुका है, इसी की बदौलत आज लाखों लोग गंभीर बीमारियों के बाद भी बच जाते हैं. लखनऊ के अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने 48 घंटों तक लगातार सर्जरी करके एक एक स्केच आर्टिस्ट की जान बचा ली. दरअसल स्केच आर्टिस्ट महिला के दिमाग में एन्यूरिज्म था, जिससे उसके आंखों की रोशनी चली गई थी. डॉक्टरों का कहना है कि अगर समय रहते ये सर्जरी नहीं होती तो एन्यूरिज्म कभी भी मस्तिष्क में फटकर महिला के जीवन के लिए खतरा बन सकता था.

48 घंटे लगातार चली सर्जरी
अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल के एमडी और सीईओ डॉ मयंक सोमानी ने बताया कि, यह बहुत ही जटिल सर्जरी थी क्योंकि पेशेंट के मस्तिष्क में डेवलप हुआ एन्यूरिज्म कभी भी फट सकता था. जिससे मरीज की मौत भी हो सकती थी. उन्होंने बताया कि इस पूरी गंभीर और जटिल सर्जरी में 50 डॉक्टरों और पैरामेडिकल की टीम को लगाया गया और तकरीबन 48 घंटे तक यह ऑपरेशन चला. जिसमें बिना थके अपने प्रोफेशनल कमिटमेंट को पूरा करते हुए डॉक्टर और पैरामेडिकल की टीम ने इस सर्जरी को सफल बनाया जिसके मरीज की जान बच गई. 

दो दिन के अंदर चली गई थी आंखों की रोशनी
इस सर्जरी को अंजाम देने वाले डॉक्टरों के टीम के हेड सीनियर कंसल्टेंट न्यूरोसर्जन डॉ सुनील कुमार सिंह ने बताया कि दो दिन के अंदर मरीज की दोनों आंखों की रोशनी चली गई थी. जिसके बाद मरीज का पूरा बॉडी चेकअप हुआ. जिसमें ये सामने आया कि पेशेंट के दिमाग में काफी बड़ा एन्युरिज्म विकसित हो चुका था. जो आंखों की नर्व्स को दबा रहा था. जिससे आंखों की रोशनी चली गई थी. ऐसी स्थिति में एन्यूरिज्म को दोनों तरफ से क्लिप किया जाना जरूरी था ताकि एन्यूरिज्म वाले स्थान को ब्लड सप्लाई को रोका जा सके. क्योंकि ब्लड सप्लाई रुकने से यह एन्यूरिज्म स्वयं ही पिचक कर सामान्य स्थिति में आ जाता है और आर्टरीज जोकि गुच्छे के फॉर्म में होता है वह खत्म हो जाता है.

रुक नहीं रहा था पेशेंट का ब्लड फ्लो
अपोलोमेडिक्स के डॉक्टरों ने ब्लड सप्लाई रोकने का मन बनाया और उस पर काम करने लगे. लेकिन रक्त प्रभाव को रोकने में असफल रहे क्योंकि क्लस्टर इतना बड़ा था कि, उसके आसपास रक्तप्रवाह करने वाली आर्टरी को ढूंढना मुश्किल हो गया. इसके बाद अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल के सीनियर सीटीवीएस सर्जन डॉ भरत दुबे और उनकी टीम से इस केस को डिस्कस किया गया. डॉ भरत दुबे ने बताया कि ब्लड सरकुलेशन रोकने के लिए मरीज के शरीर को डीप हाइपोथर्मिक सर्कुलेटरी अरेस्ट की स्थिति में लाना होगा और फिर पेशेंट के बॉडी से पूरा खून बाहर निकाल लिया गया. लेकिन इस दौरान मरीज के हृदय और फेफड़ों को हार्ट एंड लंग मशीन के जरिये ब्लड की सप्लाई जारी रखी गयी.

अपने तरह का पहला केस
अपोलोमेडिक्स अस्पताल के एक और कंसल्टेंट न्यूरो सर्जन पार्थ सक्सेना ने बताया कि मरीज को इस स्टेज में लाने के उपरांत हमारे पास आधे घंटे का समय था और इसी दौरान पहले की तरह ही ब्लड सर्कुलेशन नार्मल करना था ताकि ब्लड फ्लो के रुकने से ब्रेन को क्षति न पहुंचे हालांकि डॉक्टरों के प्रयास से सर्जरी सफल रही और मरीज में सुधार हो रहा है. फिलहाल मरीज डॉक्टरों की निगरानी में है. यह इस तरह का पहला मामला है, जिसमें न्यूरो सर्जरी के लिए रोगी के शरीर के रक्त प्रवाह को रोक दिया गया हो और पेशेंट के शरीर को मृत अवस्था में ला दिया गया हो. इससे पहले इस तरह की जटिल सर्जरी सिर्फ दिल्ली या मुंबई जैसे बड़े शहरों में ही मुमकिन थी लेकिन अपोलो हॉस्पिटल लखनऊ में ही हम इस तरह की जटिल सर्जरी करने में सक्षम हैं.

(सत्यम मिश्रा की रिपोर्ट)