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Good News: CAR-T cell थेरेपी से आसान हुआ ब्लड कैंसर का इलाज, अब नहीं झेलना पड़ेगा कीमो से होने वाली परेशानी का दर्द

CAR-T cell थेरेपी लोगों में नई उम्‍मीद जगाने वाली है. भारत में इसको जीन थेरेपी की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है. टाटा मेमोरियल सेंटर में ब्लड कैंसर के इलाज के लिए स्वदेशी रूप से विकसित सीएआर-टी तकनीक के क्लिनिकल परीक्षण के परिणाम उत्साहजनक आए हैं.

CAR-T Cell therapy CAR-T Cell therapy
हाइलाइट्स
  • CAR-T cell थेरेपी लोगों में नई उम्‍मीद जगाने वाली है.

  • सीएआर-टी सेल थेरेपी के लिए हर मरीज को करीब 3 से 4 करोड़ रुपये का खर्च आता है.

टाटा मेमोरियल सेंटर (टीएमसी) में ब्लड कैंसर के इलाज के लिए स्वदेशी रूप से विकसित सीएआर-टी तकनीक के क्लिनिकल परीक्षण के परिणाम उत्साहजनक आए हैं. CAR-T सेल थेरेपी में T कोशिकाओं में सीएआर जीन (CAR-gene) जेनरेट करके कैंसर वाली सेल को खत्म करती हैं. कैंसर के इलाज के दौरान शरीर की इम्यून कोशिकाओं (टी-लिम्फोसाइट्स) को मॉडिफाई किया जाता है और फिर ये कैंसर सेल (Tissues) को ढूंढकर खत्म करती हैं. 

सामने आए उत्साहजनक परिणाम

पहली बार आईआईटी बॉम्बे के रिसर्चर्स ने स्वदेशी रूप से विकसित जीन थेरेपी का भारत में रोगियों पर परीक्षण किया. इस परीक्षण में करीब 14 महाने लगे लेकिन इसके नतीजे ब्लड कैंसर के मरीजों के लिए अच्छी खबर लेकर आए हैं. आईआईटी बॉम्बे ने एक बयान में बताया कि भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित शिमेरिक एंटीजेन रिसेप्टर टी-सेल (सीएआर-टी) थेरेपी सुरक्षित है और लिम्फोमा (एक प्रकार का ब्लड कैंसर) के इलाज में प्रभावकारी है. आपको बता दें ये एक तरह की जीन थेरेपी होती है.

इस तकनीक को सस्‍ती दर पर मुहैया करवाने की है कोशिश

जून 2020 में केंद्र सरकार के राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन (NBM) बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (BIRAC) ने इस थेरेपी के पहले और दूसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल को पहली बार इंसानी शरीर पर करने के लिए 19 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की थी. सरकार इस थेरेपी को सस्‍ती दर पर मुहैया करवाने की कोशिश कर रही है. सीएआर-टी सेल थेरेपी के लिए हर मरीज को करीब 3 से 4 करोड़ रुपये का खर्च आता है.

नहीं झेलना होगा कीमो का दर्द

जहां एक तरफ मौजूदा इलाज में रोगियों के जीवन को कुछ साल तक बढ़ाने की दिशा में काम किया जाता है वहीं सीएआर-टी थेरेपी में कुछ प्रकार के कैंसर को ठीक करने का वादा किया जा रहा है. कीमोथेरेपी के अलग यह दवा रोगी को केवल एक बार दी जाती है. सीएआर-टी सेल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल गंभीर ब्लड कैंसर, मल्टीपल मायलोमा, ग्लायोब्लास्टोमा, हेपेटोसेलुलर कार्सीनोमा और टाइप-2 डायबटीज के उपचार में किया जाएगा. जिन लोगों की कीमोथेरेपी होती है उन्हें इसके कई साइड इफेक्ट्स के बारे में चेतावनी दी जाती है. इसमें दर्द, चेहरे पर सूजन, नींद का नहीं आना, मूड स्विंग और मितली शामिल हैं.

भारत में बढ़ रहे ब्लड कैंसर के मामले

भारत की बात करें, तो ICMR द्वारा पब्लिश एक रिपोर्ट के अनुसार, अगले पांच सालों में कैंसर के मामलों की संख्या में 12 फीसदी की बढ़त होगी. साल 2025-26 तक भारत कैंसर के मरीजों की संख्या लगभग 15 लाख से अधिक पहुंच जाएगी.