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Cough Syrup Row: कफ सिरप मामलों के बाद सख्त हुए नियम, अब दवा कंपनियों को हर साल करना होगा फार्मा सप्लायर्स का ऑडिट

फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री की सुरक्षा को देखते हुए, भारत में अब दवा निर्माताओं के लिए साल में कम से कम एक बार अपने रॉ मेटेरियल सप्लायर्स का ऑडिट करना अनिवार्य होगा.

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हाइलाइट्स
  • ऑडिट को लेकर नियम हुए सख्त

  • दूसरे देशों से पहले भारत में ही हुईं कई मौतें

एक सरकारी दस्तावेज़ के अनुसार, भारत में अब दवा निर्माताओं को साल में कम से कम एक बार अपने रॉ मेटेरियल सप्लायर्स का ऑडिट करना अनिवार्य होगा. भारत में निर्मित कफ सिरप के दुनिया भर में 141 बच्चों की मौत से जुड़े होने के बाद नियमों को कड़ा किया जा रहा है.

आपको बता दें कि जून में कफ सिरप निर्यात के लिए अतिरिक्त परीक्षण नियमों को लागू किया गया था. अब यह नया नियम दर्शाता है कि भारत दुनिया के सबसे बड़े फार्मास्यूटिकल्स उद्योगों में से एक, अपने 42 अरब डॉलर के फार्मास्यूटिकल्स उद्योग की सुरक्षा के बारे में खरीदारों को आश्वस्त करना चाहता है. 

सलाना करना होगा ऑडिट 
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और अन्य स्वास्थ्य एजेंसियों ने पिछले साल गाम्बिया में 70, उज्बेकिस्तान में 65 और कैमरून में कम से कम छह बच्चों की मौत के लिए भारत में निर्मित टॉक्सिक कफ सिरप को जिम्मेदार ठहराया था. रॉयटर्स के अनुसार, भारत के संघीय दवा नियामक, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने 15 सितंबर को उद्योग प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक में रॉ मेटेरियल और पैकेजिंग मेटेरियल सप्लायर्स के लिए अनिवार्य ऑडिट के निर्णय की जानकारी दी. 

दवा निर्माताओं को अपने कच्चे माल और पैकेजिंग सप्लायर्स का "साल में कम से कम एक बार" ऑडिट करना होगा. हालांकि, फिलहाल इस तरह के ऑडिट कभी-कभी इस तरह के घटनाओं के बाद किए जाते हैं, जैसे कि उत्पाद को वापस लेना. बताया जा रहा है कि कुछ भारतीय दवा निर्माता उन सप्लायर्स से मेटेरियल खरीद रहे थे जिनके पास फार्मास्युटिकल-ग्रेड उत्पाद बेचने का लाइसेंस नहीं था. 

हालांकि, दवा निर्माताओं ने इन आरोपों से इनकार किया है कि उनके उत्पाद बच्चों की मौतों के लिए ज़िम्मेदार थे. लेकिन अब दवा निर्माताओं को अपने लाइसेंसिंग अधिकारियों को, आम तौर पर उस राज्य के दवा नियामक को, जहां वे स्थित हैं, सभी उत्पाद वापस मंगाने के बारे में सूचित करना होगा. 

2019 में भारत में हुई थी 12 मौतें
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि भारत में 2019 के अंत में टॉक्सिक कफ सिरप के सेवन से 12 बच्चों की मौत इन घटनाओं की शुरुआत हो सकती है. सभी मामलों में, सिरप में टॉक्सिन डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी), और या संबंधित रसायन, एथिलीन ग्लाइकॉल का उच्च स्तर पाया गया. फार्मा उत्पादों के लिए नए नियामक कदमों के माध्यम से, भारत अन्य बातों के अलावा, "गुणवत्ता पर भरोसा और विश्वास" बनाना चाहता है और "उत्पाद की विफलता" को कम करना चाहता है.