हाल ही में, भोपाल एम्स (Bhopal AIIMS) ने ड्रोन ट्रायल का सफल परीक्षण पूरा किया है और प्रदेश में इस तकनीक को लाने का निर्णय लिया है. इस पहल के अंतर्गत, रायसेन के गौहरगंज में पहली बार 20 मिनट में ड्रोन के माध्यम से जीवन रक्षक दवाओं की सप्लाई की गई है.
दरअसल ड्रोन के माध्यम से दवाइयों को पहुंचाने के लिए एक विशेष प्रक्रिया है. दो लोग ड्रोन स्थान पर पहुंचकर उसमें दवाओं को लोड करते हैं और इसे विभिन्न स्थानों में ड्रॉप करते हैं. यह सुरक्षित तरीके से और बिना किसी परेशानी के होता है.
ब्लड सैंपल के लिए भी इस्तेमाल
ड्रोन का सही से उपयोग करने के लिए ऑपरेटर्स को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है. एम्स भोपाल ने संस्थान के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर डॉ.अजय सिंह के नेतृत्व में पहला सफल ड्रोन परीक्षण मंगलवार को पूरा किया. पहले ट्रायल में ड्रोन के जरिए एम्स भोपाल से गौहरगंज पीएचसी तक सिर्फ 20 मिनट में जीवन रक्षक दवाओं की डिलीवरी की गई. इसके बाद यह ड्रोन वहां से मरीज का ब्लड सैंपल लेकर भी आया. डॉ. सिंह ने कहा कि आदिवासी आबादी तक आसानी से और जल्द चिकित्सा सहायता मुहैया कराने के लिए एम्स यह सुविधा शुरू करेगा. इसका उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना है.
मंगलवार को दोपहर 12:30 के करीब एम्स भोपाल से ड्रोन ने उड़ान भरी. इसके बाद करीब 1:45 पर यह गौहरगंज पीएचसी से वापस एम्स लौट आया. इस पूरी प्रक्रिया को एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) अजय सिंह ने मॉनिटर किया. वे लगातार लैपटॉप के माध्यम से जीपीएस लोकेशन के जरिए ड्रोन को ट्रैक कर रहे थे. ड्रोन का संचालन करने वाली टीम ने बताया कि यह ड्रोन एक बार में 100 किमी की दूरी तय कर सकता है. साथ ही 120 किलोमीटर प्रति घंटा तक की रफ्तार पकड़ सकता है.
ड्रोन दीदी को ट्रेनिंग
एम्स में इस ड्रोन में मेडिकल सामान लोड व निकालने के लिए स्पेशल स्टाफ रखा गया है. जिसमें ड्रोन दीदी और पायलट शामिल है. उन्हें इस काम की ट्रेनिंग दी गई है. इस ड्रोन या मानव रहित हवाई वाहन को पैकेज डिलीवरी के लिए उपयोग किया जा सकता है. इनके जरिए मेडिकल सप्लाई चेन विकसित करने में मदद मिलेगी. प्रदेश में यह नई सुविधा शुरू करने वाला एम्स भोपाल अकेला संस्थान होगा और दूरदराज के इलाकों में इससे दवाईयां पहुंचाने में मदद मिलेगी.
(रवीश पाल सिंह की रिपोर्ट)